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    क्यों पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रहता है ज्यादा स्ट्रेस?

    Updated: Fri, 09 Aug 2024 09:37 PM (IST)

    भागदौड़ भरी जिंदगी में आज हर कोई स्ट्रेस से जूझ रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये परेशानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है? कामकाजी महिलाओं को ऑफिस के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी परेशान करती हैं वहीं कई ऐसी शारीरिक समस्याएं भी हैं जो महिलाओं को ज्यादा परेशान करती हैं। आइए जानें आखिर क्यों महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं।

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    महिलाओं को रहता है पुरुषों से ज्यादा स्ट्रेस (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं। दरअसल, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। एकसाथ कई रोल में फिट होने की ललक, बॉडी इमेज से जूझना, कई हेल्थ समस्याओं से परेशान, परिवार साथ होने पर भी अकेले होने का एहसास, अत्यधिक काम का दबाव, वर्क होम लाइफ बैलेंस जैसे कई मुद्दे हैं जो एक महिला को पुरुषों की तुलना में अधिक परेशान करते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इसके बारे में।

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    मल्टी टास्किंग

    महिलाएं एक साथ कई काम करने में सक्षम होती हैं फिर वो चाहे इच्छा से करें या मजबूरी में। इससे शारीरिक और मानसिक थकान होती है। इससे निपटने के लिए महिलाओं को अपने सभी काम की लिस्ट को कई घंटों में बांट देना चाहिए, प्राथमिकता के अनुसार काम करना चाहिए और बीच बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए। लिस्ट के सभी काम पूरे करने के लिए दबाव में नहीं आना चाहिए। कुछ काम नहीं होंगे तो भी काम चल जाएगा लेकिन काम का तनाव लेकर अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता न देने से कई प्रकार के रोग घर कर सकते हैं।

    डिजिटल ओवरलोड

    महिलाएं सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं और अपने जीवन की तुलना दूसरों के हंसते खेलते जीवन से कर के अनावश्यक दुखी हो जाती हैं जिससे तनाव बढ़ता है। इस डिजिटल ओवरलोड को कम करना चाहिए और सोशल मीडिया से ब्रेक लेकर खुद को डिजिटल डिटॉक्स करते रहना चाहिए।

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    ज्यादातर घर में रहना

    एक जगह पड़े पड़े काम करते रहने से घर के माहौल में महिलाओं को सामान्य तौर पर भी एनर्जी ड्रेन होती है और तनाव महसूस होने लगता है। इसलिए घर से बाहर निकल कर फ्रेश हवा जरूर लेनी चाहिए जिससे माहौल बदले,मूड फ्रेश हो और तनाव कम हो।

    क्रिएटिविटी ब्लॉक

    महिलाएं एक रूटीन में बंध कर मशीन की तरह दिन रात काम करती हैं। इससे उन्हें कुछ क्रिएटिव करने का या फिर अपनी हॉबी या पैशन को फॉलो करने का मौका नहीं मिल पाता है। इससे मेंटल स्टिमुलेशन नहीं होता है जिससे बोरिंग और थकान भरी दिनचर्या से मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। इसलिए कुछ आर्टिस्टिक या क्रिएटिव जरूर करते रहना चाहिए।

    महिलाओं से उम्मीदें

    महिलाओं से हर काम में परफेक्ट होने की उम्मीद की जाती है जिस पर खरा उतरने की नाकाम कोशिश करने में महिलाएं खुद को तनाव से भर लेती हैं और फिर अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि खुद को परफेक्ट कहलाने की होड़ में न लगें। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए जितना संभव हो उतने काम ही करें। अन्य काम के लिए मेड रखें, पार्टनर या घर के किसी अन्य सदस्य से मदद लें।

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