क्यों अनोखा है लद्दाख का ‘प्रेग्नेंसी टूरिज्म’, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान
क्या आपने लद्दाख प्रेग्नेंसी टूरिज्म के बारे में सुना है? दरअसल यह बहुत ही अनोखी वजह से चर्चा में बना हुआ है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी टूरिज्म को किसी दूसरे देश की नागरिकता या हेल्थ केयर सुविधाओं से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन लद्दाख प्रेग्नेंसी टूरिज्म बिल्कुल अलग वजहों से चर्चा में रहता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों और ठंडी हवाओं के बीच बसा एक रहस्यमयी इलाका है- आर्यन वैली। यहीं बसता है ब्रोकपा या द्रोकपा समुदाय, जो खुद को आर्यों के वंशज बताते हैं। लेकिन यह दावा जितना दिलचस्प है, उतना ही विवादित भी।
ब्रोकपा समुदाय लद्दाख के कुछ चुनिंदा गांवों- दाह, हानू, दार्चिक, बियामा और गर्कोन-में बसता है। इनकी शारीरिक बनावट, नैन-नक्श और रंग-रूप बाकी लद्दाखियों से अलग है। लंबे कद, गोरा रंग और हल्के रंग की आंखें इन्हें औरों से अलग बनाती हैं और इन्हीं विशेषताओं के कारण ये खुद को आखिरी प्योर आर्य बताते हैं। ऐसा कहते हैं कि इनके पूर्वज सिकंदर महान की सेना के वे सैनिक थे, जो भारत में बस गए और यहीं उनका वंश आगे बढ़ा।
क्या सचमुच यह समुदाय आर्यों का वंश है?
हालांकि, इस बात की पुष्टि कोई भी इतिहासकार नहीं करता है और न ही अब तक इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मिला है। इसलिए इसे सिर्फ कही सुनी बात या मिथक माना जाता है, जिसका विज्ञान या इतिहास में कोई दावा नहीं मिलता है। फिर भी यह कहानी इतनी बार दोहराई गई कि यह पर्यटन का आकर्षण बन गई।
क्यों चर्चा में है ‘लद्दाख प्रेग्नेंसी टूरिज्म’?
प्रेग्नेंसी टूरिज्म का नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? यहीं न कि कोई प्रेग्नेंट महिला किसी दूसरे देश जाकर अपने बच्चे को जन्म देती है, ताकि उसे वहां की नागरिकता मिल जाए। लेकिन लद्दाख प्रेग्नेंसी टूरिज्म काफी अलग है।
दरअसल, यहां के कुछ स्थानिय लोगों का मानना है कि यहां यूरोप से महिलाएं ब्रोकपा समुदाय के पुरुषों के साथ बच्चे पैदा करने के लिए आती हैं। ऐसा वे अपने बच्चे में प्योर आर्यन जीन्स हासिल करने के लिए करती हैं। ऐसा करने के लिए पुरुष को पैसे भी दिए जाते हैं यानी यह एक तरह की बिजनेस डील होती है।
क्या है प्रेग्नेंसी टूरिज्म की सच्चाई?
हालांकि, इसके भी कोई ठोस सबूत नहीं मिलते हैं। हां, ऐसा हो सकता है कि एक-दो कोई ऐसे मामले रहे हों, लेकिन वह प्रेग्नेंसी टूरिज्म से जुड़ा था इसकी कोई पुष्टि नहीं करता है। उन गांव में रहने वाले कई लोग भी इस दावे को पूरी तरह झूठा बताते हैं। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा सचमुच होता है।
इन बातों में कितनी सच्चाई है इस बारे में कहा नहीं जा सकता है। लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जो इन कहानियों की पुष्टि करे। इसलिए कई लोग इसे सिर्फ कही-सुनी बात मानते हैं, तो वहीं कुछ लोग इन किंवदंतियों पर विश्वास करते हैं। लेकिन जो भी हो, इन कहानियों से यहां आने के लिए लोग आकर्षित तो जरूर होते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।