विक्रम साराभाई और कमला चौधरी के लव अफेयर के कारण पड़ी थी IIM अहमदाबाद की नींव? पढ़ें पूरी कहानी
IIM अहमदाबाद का नाम तो आपने सुना ही होगा। मैनेजमेंट स्टडीज के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में एक नाम इसका भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी स्थापना कैसे हुई थी? साइकोएनालिस्ट सुधीर काकर की किताब के मुताबिक, IIM अहमदाबाद का जन्म विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) और कमला चौधरी (Kamla Chaudhary) की प्रेम कहानी से हुआ था। आइए जानें इस बारे में।

कैसे पड़ी IIM अहमदाबाद की नींव? (Picture Courtesy: X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय विज्ञान और मैनेजमेंट की दुनिया के दो प्रतिष्ठित नाम- विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) और कमला चौधरी (Kamla Chaudhary) का रिश्ता आज भी लोगों की जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। एक तरफ विक्रम साराभाई, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक, और दूसरी ओर कमला चौधरी, एक बुद्धिमान, प्रगतिशील और दूरदर्शी महिला, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया बल्कि सामाजिक सुधारों में भी गहरी भूमिका निभाई।
इन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई लोग ऐसा भी मानते हैं कि इनका रिश्ता केवल व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि एक ऐसा बंधन था, जिसने देश की संस्थागत संरचना को भी प्रभावित किया और भारत के दूसरे आईआईएम (IIM Ahmedabad) को जन्म दिया। आइए जानें क्या है यह कहानी।
कमला चौधरी- एक असाधारण व्यक्तित्व
कमला चौधरी ने अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से मनोविज्ञान में शिक्षा हासिल की थी। वे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी रहीं और महिलाओं की शिक्षा, समानता और सामाजिक विकास के लिए समर्पित थीं। जब विक्रम साराभाई उनसे मिले, तो वे सिर्फ उनकी सुंदरता से नहीं, बल्कि उनके ज्ञान, आत्मविश्वास और देश के विकास के लिए समर्पण से प्रभावित हुए।

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रिश्ता जो बना IIM अहमदाबाद की प्रेरणा
मशहूर मनोविश्लेषक सुधीर काकर की किताब के अनुसार, कमला चौधरी न केवल साराभाई की पत्नी मृणालिनी की दोस्त थीं, बल्कि उनके जीवन में एक गहरा इमोशनल प्रेजेंस भी बन गईं। साराभाई ने उन्हें एटीआईआरए (ATIRA) में नौकरी ऑफर की, और यह प्रोफेश्नल रिश्ता जल्द ही व्यक्तिगत जुड़ाव में बदल गया। यह रिश्ता करीब दो दशकों तक चला और कई भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरा।
कमला, एक विवाहित पुरुष और मित्र की पति से जुड़ाव के कारण खुद को असहज महसूस करने लगीं और उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला किया। लेकिन साराभाई उन्हें अहमदाबाद में ही रखना चाहते थे। कहा जाता है कि इसी वजह से उन्होंने शहर में एक नई संस्था की सुझाव दिया, जो बाद में भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) के रूप में स्थापित हुआ।

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IIM अहमदाबाद की स्थापना और कमला की भूमिका
1950 के दशक के अंत में भारत सरकार और फोर्ड फाउंडेशन देश में प्रबंधन शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना बना रहे थे। साराभाई ने इस अवसर को भांपते हुए अहमदाबाद को केंद्र बनाने का सुझाव दिया और अपनी प्रतिष्ठा और प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकार और फाउंडेशन को राजी किया। 1961 में IIM अहमदाबाद की स्थापना हुई, और कमला चौधरी इस संस्थान की पहली फैकल्टी सदस्य बनीं। उन्होंने इसके बौद्धिक और सांस्कृतिक ढांचे को आकार दिया और संस्थान की आत्मा में “मानवता और सामाजिक जिम्मेदारी” का भाव भरा।

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क्या प्यार की वजह से पड़ी IIM अहमदाबाद की नींव?
हालांकि, इस कहानी का रोमांटिक पक्ष काफी आकर्षक है, लेकिन विक्रम साराभाई की बेटी, मल्लिका साराभाई, इस बात से सहमत नहीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में साफ कहा कि उनके पिता और कमला के बीच गहरा रिश्ता जरूर था, पर यह कहना कि IIM अहमदाबाद केवल उस रिश्ते के कारण बना, उनके पिता के विजन का अपमान होगा।
विरासत जो आज भी जिंदा है
सच्चाई चाहे जो भी हो, इस बात को नहीं झुठलाया जा सकता कि कमला चौधरी का योगदान IIM अहमदाबाद की पहचान में गहराई से जुड़ा है। वहीं, विक्रम साराभाई की दृष्टि केवल इस संस्थान तक सीमित नहीं रही। उन्होंने 1969 में इसरो (ISRO) की स्थापना की और भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे लेकर गए।

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