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    घर हो या ऑफिस..बहसबाजी और लड़ाई-झगड़े के दौरान ऐसे रखें खुद को शांत, नहीं बढ़ेगी बात

    छोटी-मोटी चीज़ों से शुरू हुई बहस कब भयंकर झगड़े और मारपीट में बदल जाती है इसका हमें अंदाजा ही नहीं लगता और बाद में लोग इस दौरान हुई चीज़ों को लेकर सिर्फ और सिर्फ अफसोस करते हैं ऐसे में बहुत जरूरी है ऐसी परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार करना। बहसबाजी या लड़ाई-झगड़े के दौरान कैसे रखें खुद को शांत जान लें इसके कुछ जरूरी टिप्स।

    By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Mon, 26 Feb 2024 02:52 PM (IST)
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    बहसबाजी के दौरान ऐसे रखें खुद को शांत

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा होने पर लोग अकसर अपना कंट्रोल खो बैठते हैं। जाने-अंजाने में ऐसी बातें बोल देते हैं या कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसका लंबे समय तक या यों कहें कि जिंदगी भर अफसोस रह जाता है। घर हो या ऑफिस ऐसी परिस्थिति के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार रखना बहुत जरूरी है। नो डाउट लड़ाई-झगड़े के दौरान खुद को शांत रखना एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में। 

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    अपने ग़ुस्से को समझें

    किन चीज़ों से आपको गुस्सा आता है, सबसे पहले तो इन ट्रिगर्स को पहचानें। फिर उस पर काम करें। ये इसलिए जरूरी है कि इससे आप खुद को गुस्सा दिलाने वाली चीज़ों में पड़ने से रोक पाएंगे। 

    उकसावे में न आएं

    वाद-विवाद को बढ़ावा देती हैं उकसाने की आदत। जिससे व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है, लेकिन इसी की आपको पहचान करनी है। अगर आपको कोई ऐसी चीज़ बोली जा रही है, जिससे आपका कोई वास्ता नहीं,  तो इस चीज़ को पहचानें। मतलब उस पर रिएक्ट करने, उसे सुधारने के लिए न कहें, बल्कि उसे इग्नोर करना ज्यादा बेहतर डिसीजन होता है। 

    ईगो को साइड में रखें

    बहसबाजी बढ़ती ही इसलिए है कि लोग अपनी ईगो पर ले लेते हैं। वाद-विवाद में कभी भी पर्सनल अटैक नहीं करने चाहिए, इससे व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है और फिर टॉपिक और ज्यादा बढ़ जाता है। अगर डिस्कशन के दौरान किसी ने कुछ अच्छा कहा, तो उसकी तारीफ करनी चाहिए, न कि अपने बेमतलब के विचार डालकर उसमें खामियां निकालें। 

    आवाज धीमी रखें और उग्र न हों

    बहसबाजी के दौरान अपनी टोन का ध्यान रखें। कई बार बात सिर्फ आपके टोन के चलते बिगड़ जाती है और हाथपाई पर बन आती है। इसलिए इस पर ध्यान दें। दूसरा बॉडी लैंग्वेंज भी उग्र नहीं होनी चाहिए। आपकी आवाज़ और बॉडी लैंग्वेज सामने वाले के गुस्से को भड़का सकती है। हाथों बांधकर बात करना, मुट्ठी बांधकर बात करना या उंगली दिखाकर बात करने का तरीका कहीं से भी मामले को शांत नहीं करता, बल्कि भड़काता है।

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    Pic credit- freepik