Strawberry Moon 2025: गुलाबी नहीं होता, फिर क्यों दिया गया ये नाम, इंडिया में कब दिखाई देगा चांद?"
इस साल नजर आने वाला स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon 2025) बेहद खास है लेकिन उससे पहले क्या आपको ये पता है कि इसे स्ट्रॉबेरी मून क्यों कहा जाता है? रोज दिखने वाले चांद को इस दिन स्ट्रॉबेरी मून क्यों कहा जाता है? आइए जानें क्या है इसके पीछे की वजह और आप भारत में स्ट्रॉबेरी मून कब देख सकते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 11 जून, बुधवार का दिन बेहद खास है। आज स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon 2025) नजर आने वाला है। अब स्ट्रॉबेरी मून का नाम सुनकर सबसे पहली चीज दिमाग में आती है कि क्या चांद गुलाबी रंग का दिखाई देगा? तो आपको बता दें नहीं, चांद का रंग गुलाबी नजर नहीं आएगा। तो अब दूसरा सवाल आता है कि फिर क्यों इसे स्ट्रॉबेरी मून कहा जाता है (What is Strawberry Moon)। आपके इस सवाल का जवाब इस आर्टिकल में मिलेगा। साथ ही, आइए ये भी जानते हैं कि क्यों इस साल दिखने वाला स्ट्रॉबेरी मून ज्यादा खास है।
क्यों कहते हैं स्ट्रॉबेरी मून?
स्ट्रॉबेरी मून नॉर्थ हेमिस्फियर में वसंत ऋतु का आखिरी फुल मून यानी पूरे चांद को कहते हैं। इस नाम का चांद के आकार या रंग से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि ये नाम मूल अमेरिकी जनजातियों और यूरोपीय परंपराओं से लिया गया है। पुराने समय में फुल मून का नाम मौसम के अनुसार रखा जाता था, ताकि आने वाले मौसम का पता चल सके। जून के फुल मून को वसंत का आखिरी या गर्मियों का पहला चांद माना जाता है। इसलिए इसे स्ट्रॉबेरी मून कहते हैं। दरअसल, इस समय जून-बेयरिंग स्ट्रॉबेरी पककर तैयार हो जाती हैं। इसलिए यह नाम दिया गया। कुछ जनजातियां इसे बेरीज राइपेन मून भी कहती हैं।
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क्यों है इस साल का स्ट्रॉबेरी मून खास?
जून का फुल मून आमतौर पर नॉर्थ हेमिस्फियर में साल का सबसे नीचा चंद्रमा होता है, लेकिन इस साल यह और भी नीचे दिखाई देगा। ऐसा मेजर लूनर स्टैंडस्टिल के कारण हो रहा है, जो इस साल के शुरुआत में हुआ था। यह घटना काफी खास है। यह घटना हर 18.6 साल में होती है और फुल मून के दौरान इसका असर सबसे ज्यादा दिखाई देता है और अगली बार ऐसा फिस से साल 2043 में होगा। इस दौरान चांद एक सुनहरी चमक के साथ दिखाई देगा, जिसे देखने का मौका आपको बिल्कुल नहीं चूकना चाहिए।
भारत में स्ट्रॉबेरी मून कब और कैसे देखें?
स्ट्रॉबेरी मून 11 जून को दिखाई देगा। भारत में इसे देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के बाद होगा। चंद्रमा दक्षिण-पूर्वी क्षितिज पर नीचे की ओर दिखाई देगा। कोशिश करें कि आप इसे किसी ऐसी जगह से देखें, जहां आस-पास रोशनी कम हो। ऐसे में चांद और ज्यादा साफ नजर आएगा। और बेहतर तरीके से चांद को देखने के लिए आप दूरबीन या टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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