Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या आप जानते हैं ब्लू मून, सुपर मून, हार्वेस्ट मून और ब्लड मून में अंतर

    Updated: Sun, 25 Aug 2024 07:37 PM (IST)

    अभी रक्षाबंधन के दिन ब्लू मून नजर आया था। हालांकि ये सामान्य चांद जैसा ही नजर आता है लेकिन फिर भी इसे ब्लू मून कहा जाता है। ऐसे ही फुल मून के और भी कई स्वरूप (Different Types of Full Moon) होते हैं। इस आर्टिकल में हम फुल मून के अलग-अलग स्वरूपों के बारे में जानेंगे। आइए जानें क्या हैं फुल मून के अलग-अलग रूपों के बारे में।

    Hero Image
    फुल मून के अलग-अलग स्वरूपों के बारे में समझें

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Different Types of Full Moon: हर महीने एक बार पूरा चंद्रमा नजर आता है, जिसे फुल मून या पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा पर चांद का वह हिस्सा नजर आता है, जो पृथ्वी की ओर होता है। चांद के उस हिस्से पर सूरज की रोशनी पड़ने के कारण वह धरती से चांद नजर आता है। आप जानते ही होंगे कि चांद हर दिन अपना आकार बदलता रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चांद धरती का गोलाकार नहीं, बल्कि अंडाकार चक्कर लगाता है। हालांकि, फुल मून भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में हम इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करेंगे। आइए जानें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ब्लू मून

    ब्लू मून सुनकर अक्सर लोग ऐसा समझते हैं कि इस दिन चांद नीले रंग का नजर आता है, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा नहीं होता है। ये साधारण चांद जैसा ही नजर आता है। ब्लू मून उसे कहा जाता है, जब महीने में दो बार पूर्णिमा आता है, तो दूसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है। ऐसा अक्सर नहीं होता, बल्कि दो-तीन सालों में एक बार ही होता है। ऐसे ही अगर एक ही सीजन में चार फुल मून दिखें, तो तीसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है।

    यह भी पढ़ें: क्यों दिखा ब्लू मून? 2037 में दोबारा होगी दुर्लभ खगोलीय घटना; क्या है इसका पृथ्वी से कनेक्शन

    सुपर मून

    सुपर मून तब कहते हैं, जब चंद्रमा धरती के सबसे नजदीक नजर आता है। आपको बता दें कि चांद जिस ऑर्बिट पर धरती का चक्कर लगाता है, वो अंडकार है। इस समय एक पॉइंट ऐसा आता है, जिसमें ये धरती के सबसे करीब आता है। इस समय चांद आमतौर से लगभग 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आता है। इसलिए इसे सुपर मून कहा जाता है।

    हार्वेस्ट मून

    इस चांद के बारे में इसके नाम से समझा जा सकता है। ये पतझड़ के शुरुआती समय में नजर आता है। इसका नाम हार्वेस्ट मून इसलिए पड़ा, क्योंकि जब बिजली का आविष्कार नहीं हुआ था, तब किसान इसकी रोशनी में कटाई करते थे। इस चंद्रमा की रोशनी आते ही किसान समझ जाते थे कि फसल काटने का समय नजदीक आ रहा है। हालांकि, इस समय भी चांद आम दिनों जैसा ही नजर आता है। उसके रंग और आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता।

    ब्लड मून

    चंद्रमा के इस रूप को ब्लड मून इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन चांद लाल रंग का नजर आता है। ऐसा पूर्ण चंद्रग्रहण के समय होता है। जब सूरज की रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती, तब धरती के किनारों से कुछ रोशनी चांद तक पहुंचती है। रिफ्रैक्शन के कारण ये नीली रोशनी चांद तक हल्के लाल रंग की नजर आती है। इसलिए चांद लाल रंग का नजर आता है।

    यह भी पढ़ें: चंद्रमा पर मानव के उतरने की तैयारी पूरी, भारत जल्द स्थापित करेगा स्पेस स्टेशन