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    स्ट्रेस और एंग्जायटी की वजह बनता है Perfectionism, क्या आप भी रखते हैं जरूरत से ज्यादा सही होने की चाह?

    परफेक्शनिज्म (Perfectionism) एक ऐसी मानसिकता है जो हमें सफलता की ओर ले जाने के बजाय स्ट्रेस और एंग्जायटी की ओर धकेल सकती है। जी हां आज हम आपको बताएंगे कि कैसे परफेक्शनिज्म दबे-पांव आपकी मेंटल हेल्थ को नुकसान (Perfectionism And Anxiety) पहुंचाता है और डेली लाइफ को बेहतर बनाने के लिए आप किस तरह इस सोच से छुटकारा पा सकते हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sun, 09 Feb 2025 08:06 PM (IST)
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    Mental Health के लिए ठीक नहीं है जरूरत से ज्यादा परफेक्ट बनने की चाह (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Perfectionism And Anxiety: आज की तेजी से भागती दुनिया में, जहां हर कोई सफलता की दौड़ में शामिल है, वहां परफेक्शनिज्म यानी पूर्णतावाद एक आम समस्या बन गया है। यह वह मानसिकता है जो व्यक्ति को हर काम को बिना किसी गलती के करने के लिए उकसाती है, लेकिन क्या यह सोच वाकई में हमारे लिए फायदेमंद है? या फिर यह हमें स्ट्रेस और एंग्जायटी की ओर धकेल रही है? आइए, इस विषय (Perfectionism And Mental Health) को गहराई से समझाने की कोशिश करते हैं।

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    परफेक्शनिज्म क्या है?

    परफेक्शनिज्म एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति हर काम को बिल्कुल सही और निर्दोष तरीके से करने की कोशिश करता है। यह सिर्फ काम को अच्छे से करने की इच्छा नहीं है, बल्कि एक ऐसी जुनूनी सोच है जो व्यक्ति को लगातार यह एहसास दिलाती है कि वह कभी भी पर्याप्त नहीं है। परफेक्शनिस्ट लोग अक्सर अपने आप को उच्च मानकों पर रखते हैं और छोटी-छोटी गलतियों को भी बर्दाश्त नहीं कर पाते। उनके लिए, "अच्छा" कभी भी "बेहतरीन" के बराबर नहीं होता।

    परफेक्शनिज्म के प्रकार

    परफेक्शनिज्म को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांटा जा सकता है।

    • हेल्दी परफेक्शनिज्म (Healthy Perfectionism): इसमें व्यक्ति अपने काम को अच्छे से करने की कोशिश करता है, लेकिन वह अपनी गलतियों से सीखता है और उन्हें स्वीकार करता है। यह प्रकार प्रेरणादायक हो सकता है और व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है।
    • अनहेल्दी परफेक्शनिज्म (Unhealthy Perfectionism): यह वह प्रकार है जो स्ट्रेस और एंग्जायटी का कारण बनता है। इसमें व्यक्ति अपने आप को इतना दबाव देता है कि वह कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाता। उसके लिए हर गलती असफलता का प्रतीक होती है, जो उसे मानसिक रूप से प्रभावित करती है।

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    परफेक्शनिज्म और स्ट्रेस का कनेक्शन

    परफेक्शनिज्म और स्ट्रेस के बीच एक गहरा संबंध है। जो लोग हर काम को बिल्कुल सही करने की कोशिश करते हैं, वे अक्सर खुद को जरूरत से ज्यादा दबाव में डाल देते हैं। यह दबाव धीरे-धीरे स्ट्रेस में बदल जाता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

    उदाहरण के लिए, एक परफेक्शनिस्ट छात्र हमेशा यह सोचता है कि उसे हर परीक्षा में टॉप करना है। अगर वह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाता, तो वह खुद को नाकाफी समझने लगता है। यह सोच उसे लगातार तनाव में रखती है और उसकी मानसिक शांति को भंग करती है। इसी तरह, कामकाजी लोगों में भी परफेक्शनिज्म की वजह से स्ट्रेस बढ़ता है, क्योंकि वे हर प्रोजेक्ट को बिना किसी कमी के पूरा करने की कोशिश करते हैं।

    परफेक्शनिज्म और एंग्जायटी

    एंग्जायटी यानी चिंता, परफेक्शनिज्म का एक और गंभीर परिणाम है। जो लोग हर काम को परफेक्ट करने की कोशिश करते हैं, वे अक्सर भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं। उन्हें हमेशा यह डर सताता है कि कहीं वे कुछ गलत न कर दें या उनका काम पर्याप्त अच्छा न हो। यह डर धीरे-धीरे एंग्जायटी डिसऑर्डर में बदल सकता है, जिसमें व्यक्ति को बिना किसी वजह के भी चिंता और घबराहट महसूस होती है।

    एंग्जायटी का एक बड़ा कारण यह भी है कि परफेक्शनिस्ट लोग दूसरों की राय को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं। उन्हें हमेशा यह डर रहता है कि अगर उनका काम परफेक्ट नहीं हुआ, तो लोग उन्हें कमजोर या अयोग्य समझेंगे। यह सोच उन्हें लगातार चिंता में डालती है और उनकी मानसिक शांति को भंग करती है।

    परफेक्शनिज्म के नुकसान

    स्ट्रेस और एंग्जायटी के अलावा, परफेक्शनिज्म के कई नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानें।

    • प्रोक्रैस्टिनेशन (Procrastination): कई बार परफेक्शनिस्ट लोग इतने ज्यादा डर जाते हैं कि वे काम शुरू ही नहीं कर पाते। उन्हें लगता है कि अगर वे काम को परफेक्ट नहीं कर पाएंगे, तो उसे करने का कोई मतलब ही नहीं है। यह सोच उन्हें प्रोक्रैस्टिनेशन यानी काम टालने की आदत की ओर धकेलती है।
    • आत्म-सम्मान में कमी: परफेक्शनिस्ट लोग अक्सर खुद को दूसरों से कमतर आंकते हैं। उन्हें लगता है कि वे कभी भी अपने मानकों पर खरे नहीं उतर पाएंगे, जिससे उनका आत्म-सम्मान कम होता है।
    • रिश्तों पर असर: परफेक्शनिज्म सिर्फ काम तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह रिश्तों को भी प्रभावित करता है। परफेक्शनिस्ट लोग अक्सर दूसरों से भी उतनी ही उम्मीदें रखते हैं, जितनी वे खुद से रखते हैं। इस वजह से उनके रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं।

    परफेक्शनिज्म से कैसे निपटें?

    अगर आपको लगता है कि आप भी परफेक्शनिज्म के शिकार हैं, तो कुछ उपायों को अपनाकर आप इससे निपट सकते हैं।

    • वास्तविक लक्ष्य तय करें: खुद को असंभव लक्ष्य देने के बजाय, ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जो वास्तविक और हासिल करने लायक हों। यह आपको फिजूल के दबाव से बचाएगा।
    • गलतियों को स्वीकार करें: यह समझें कि गलतियां इंसानी फितरत का हिस्सा हैं। उनसे सीखें और आगे बढ़ें। गलतियों को असफलता नहीं, बल्कि सीखने का अवसर मानें।
    • अपनी गलती ढूंढना बंद करें: खुद को दोष देना बंद करें और अपने प्रति दयालु बनें। याद रखें कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता।
    • माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करें: माइंडफुलनेस और मेडिटेशन के जरिए आप अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं और स्ट्रेस को कम कर सकते हैं।
    • प्रोफेशनल हेल्प लें: अगर परफेक्शनिज्म आपके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, तो एक मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मदद लेना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

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