क्यों 26 नवंबर को हर साल मनाया जाता है National Milk Day? यहां पढ़ें इसका इतिहास और महत्व
हम रोजाना एक गिलास दूध पीते हैं, लेकिन शायद ही कभी सोचते हैं कि यह साधारण-सी दिखने वाली ड्रिंक हमारी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव ला सकती है। जी हां, दूध सिर्फ पोषण का स्रोत नहीं, बल्कि ऊर्जा, मजबूती और अच्छी सेहत की एक पूरी दुनिया समेटे हुए है। हड्डियों को मजबूत करने से लेकर दिमागी क्षमता बढ़ाने तक- दूध हर उम्र के लोगों के लिए किसी प्राकृतिक वरदान से कम नहीं है।

National Milk Day के रूप में मनाया जाता है डॉ. कुरियन का जन्मदिन (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दूध को पोषण का सबसे बेहतर और प्राकृतिक स्रोत माना जाता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक, हमारी सेहत को मजबूत रखने में दूध की भूमिका बेहद अहम है। इसमें मौजूद कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन और जरूरी विटामिन न केवल हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, बल्कि दिमागी क्षमता, प्रतिरोधक शक्ति और हार्ट हेल्थ को भी बेहतर करते हैं। इसी महत्वपूर्ण योगदान को समझाने और लोगों को दूध के नियमित सेवन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day 2025) मनाया जाता है।

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस कब मनाया जाता है?
हर वर्ष 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन बुधवार को पड़ रहा है। यह तारीख भारत के डेयरी क्षेत्र के इतिहास से जुड़ी एक खास याद लेकर आती है।
क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय दुग्ध दिवस?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की शुरुआत डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को याद करते हुए की गई। डॉ. कुरियन को देश में श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने डेयरी क्षेत्र में काम करना शुरू किया और किसानों के लिए एक संगठित एवं लाभकारी संरचना खड़ी करने का संकल्प लिया।
उनकी पहल पर कायरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड की स्थापना हुई, जो आगे चलकर प्रसिद्ध ब्रांड अमूल के रूप में विकसित हुआ। उनके नेतृत्व में ऑपरेशन फ्लड शुरू किया गया, जिसने भारत में दूध उत्पादन और वितरण की तस्वीर बदलकर रख दी।
इस अभियान के तीन चरणों में देशभर में दूध का एक मजबूत ग्रिड तैयार किया गया, जिससे लाखों किसानों को उचित मूल्य मिला और देश दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बन पाया। साल 2014 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, भारतीय डेयरी संघ और देश के 22 राज्य स्तरीय दुग्ध संघों ने मिलकर निर्णय लिया कि डॉ. कुरियन के योगदान को याद रखने के लिए हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाएगा।

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का महत्व
दूध न केवल हमारे भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका की रीढ़ भी है। भारत दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में शामिल है और करोड़ों परिवार अपनी आय के लिए डेयरी पर निर्भर हैं।
क्या है इसे मनाने का उद्देश्य?
- लोगों को दूध और डेयरी उत्पादों के पोषण संबंधी फायदों के प्रति जागरूक करना
- डेयरी उद्योग में किसानों के योगदान को सम्मान देना
- डॉ. वर्गीज कुरियन के उल्लेखनीय कार्यों को याद करना
- देश में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन की आदतों को बढ़ावा देना
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि यह भारत की डेयरी क्रांति, किसानों की मेहनत और देश की पोषण सुरक्षा का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक छोटा-सा प्रयास- जैसे रोजाना दूध का सेवन, सेहत के साथ-साथ किसानों की आजीविका को भी मजबूत बना सकता है।

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