सिर्फ एक बार चली और बन गया तालाब, पढ़ें दुनिया की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' की कहानी
भारत की ऐतिहासिक धरोहर 'जयबाण तोप' दुनिया की सबसे बड़ी पहियों वाली तोप है, जो जयपुर के जयगढ़ किले में स्थित है। 18वीं सदी में महाराजा सवाई जय सिंह द्व ...और पढ़ें

18वीं सदी की भारतीय इंजीनियरिंग का बेमिसाल नमूना है जयपुर की 'जयबाण तोप' (Image Source: X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत का इतिहास शूरवीरों और उनकी अद्भुत शक्ति के किस्सों से भरा हुआ है। इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है 'जयबाण तोप', जो अपनी विशालता और तकनीक के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यह तोप न केवल भारत, बल्कि विश्व की सबसे बड़ी पहियों पर चलने वाली तोप मानी जाती है। राजस्थान के जयपुर में स्थित जयगढ़ किले की शोभा बढ़ाने वाली यह तोप आज भी पर्यटकों के लिए आश्चर्य का विषय है।

(Image Source: X)
इतिहास और अद्भुत इंजीनियरिंग का नमूना
इस विशालकाय तोप का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान किया गया था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी तोप को बाहर से नहीं लाया गया, बल्कि इसे जयगढ़ किले के भीतर ही बनी एक ढलाई कार्यशाला में तैयार किया गया था। यह तथ्य उस समय के भारतीय धातुकर्म और इंजीनियरिंग की उन्नत समझ का जीता-जागता सबूत है।
विशालता और मारक क्षमता
जयबाण तोप का आकार देखकर कोई भी दंग रह सकता है। इसकी लंबाई लगभग 20 फीट है और इसका वजन करीब 50 टन है। इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इसमें लोहे के 4 मजबूत पहिए लगाए गए हैं। इसकी बाहरी सतह पर संस्कृत भाषा में शिलालेख भी लिखे हुए हैं। इसकी मारक क्षमता उस दौर के हिसाब से असाधारण थी, क्योंकि यह तोप लगभग 30 से 35 किलोमीटर दूर तक गोला दागने में सक्षम थी।
जब तोप के गोले से बन गया तालाब
इस तोप से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प घटना प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस तोप का इस्तेमाल कभी किसी वास्तविक युद्ध में नहीं किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के मन में डर पैदा करना और राज्य की शक्ति का प्रदर्शन करना था। इसे केवल एक बार परीक्षण के लिए चलाया गया था।
उस परीक्षण में दागा गया गोला जयपुर से कई किलोमीटर दूर 'चाकसू' नामक जगह पर गिरा। गोले के गिरने से वहां जमीन में इतना बड़ा गड्ढा हो गया कि उसने एक तालाब का रूप ले लिया। स्थानीय लोग आज भी उस तालाब को 'तोप का तालाब' के नाम से जानते हैं।
जयबाण तोप केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की ऐतिहासिक समृद्धि और तकनीकी कौशल का प्रतीक है। युद्ध में इस्तेमाल न होने के बावजूद, यह तोप सदियों से जयगढ़ किले में शान से खड़ी है और आने वाली पीढ़ियों को भारत के गौरवशाली अतीत की याद दिलाती रहती है।

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