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    सावधान! कहीं आपका 'फाइनेंशियल गुरु' सिर्फ व्यूज और लाइक के लिए तो नहीं दे रहा सलाह?

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 01:31 PM (IST)

    रील्स और शार्ट्स के माध्यम से फाइनेंस इन्फ्लुएंसर ‘पूरे आत्मविश्वास के साथ आधा-अधूरा ज्ञान’  पेश करते हुए जल्दी अमीर बनने के सपने बेच रहे हैं। फिनफ्लु ...और पढ़ें

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    क्या रील्स और शार्ट्स देखकर लगा रहे हैं अपनी गाढ़ी कमाई? (AI Generated Image)

    विनायक सप्रे, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया के इस दौर में धन कमाने और जल्दी अमीर बनने के सपने पहले से कहीं ज्यादा चमकदार दिखने लगे हैं। इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शार्ट्स और टेलीग्राम चैनलों पर रोज कोई न कोई नया ‘सीक्रेट फार्मूला’ या ‘गारंटीड रिटर्न’ दिखता है।

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    यही वह दुनिया है जहां वित्तीय इन्फ्लुएंसर यानी फिनफ्लुएंसर्स, आज के नए ‘नीम हकीम’ बन गए हैं– आधा ज्ञान, पूरा आत्मविश्वास और कभी-कभी बहुत बड़ा खतरा-ए-माल। आज युवा पीढ़ी पारंपरिक वित्तीय सलाहकारों की बजाय इन फिनफ्लुएंसर्स को ज्यादा फालो कर रही है।

    Financial Fraud

    (AI Generated Image)

    उसके पीछे कारण है– आसान भाषा, कई बार लोक-लुभावन वादे,  समझ में आने योग्य उदाहरण और यह सब कुछ मोबाइल स्क्रीन पर। कालेज में पढ़ने वाला विद्यार्थी हो या पहली नौकरी करने वाला युवा, सबको लगता है कि कुछ रील्स देखकर अब वे खुद अपने पैसे के मैनेजर बन सकते हैं।

    शुरुआती जानकारी के स्तर पर यह बात अच्छी है, लेकिन जब यही आधा-अधूरा ज्ञान वास्तविक निवेश निर्णयों का आधार बन जाता है, तब समस्या शुरू होती है। हाल ही में एक बहुत ही प्रसिद्ध युवा फिनफ्लुएंसर्स ने इंटरनेट मीडिया पर ऐसी पोस्ट डाली कि पता चला कि उसको वार्षिक रिटर्न निकालना भी नहीं आता और ऐसा व्यक्ति न सिर्फ निवेश के वर्कशाप करता है बल्कि लोगों से पैसे भी लेता है।

    फोमो का डर देता बढ़ावा

    फिनफ्लुएंसर्स की ताकत उनकी कहानी गढ़ने की क्षमता में है। वे यह एहसास दिलाते हैं कि अगर आप अभी नहीं कूदे, तो कोई बड़ा मौका हाथ से निकल जाएगा। ‘फाेमो’  यानी ‘फियर आफ मिसिंग आउट’ पर खेलना इनका सबसे बड़ा हथियार है। इनकी छलावा बातों में स्क्रीन पर रिटर्न चार्ट दिखाना या किसी की कहानी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना शामिल हैं, जिनमें भोले-भाले युवा निवेशक फंस जाते हैं और जोखिम व तरलता जैसी महत्वपूर्ण बातों को भूल जाते हैं।

    सबसे बड़ा खतरा वहीं से शुरू होता है, जहां शिक्षा और सलाह की सीमा धुंधली होने लगती है। अधिकांश फिनफ्लुएंसर्स अपने कंटेंट को ‘एजुकेशनल पर्पज ओनली’ (केवल शिक्षा के लिए) कहकर डिस्क्लेमर लगा देते हैं, लेकिन असल में वही वीडियो, वही रील या पोस्ट दर्शकों के लिए निवेश सलाह बन जाती है। फालोअर्स ऐसे लोगों का बैकग्राउंड चेक नहीं करते, उन्हें सिर्फ यह दिखता है कि ‘इसने तो पिछले साल में इतना रिटर्न बना लिया, तो मैं भी कर सकता हूं या मैं क्यों पीछे रहूं?’

    पारदर्शिता की कमी बढ़ाती खतरा

    कई बार ब्रांड डील, रेफरल कमीशन और पेड प्रमोशन भी इस खेल का हिस्सा होते हैं। कुछ फिनफ्लुएंसर्स अलग-अलग एप, प्लेटफार्म या उत्पादों को प्रमोट करते हैं, लेकिन यह साफ नहीं बताते कि उन्हें इसके बदले में पैसा मिल रहा है या नहीं। ऐसे में इनके फालोअर को लगता है कि यह एक तटस्थ राय है, जबकि असल में यह मार्केटिंग हो सकती है।

    जब पारदर्शिता नहीं होती, तो हितों का टकराव बढ़ जाता है और नुकसान हमेशा उस युवा का  होता है, जिसने विश्वास किया होता है। यही वजह है कि नियामक संस्थाएं बार-बार चेतावनी देती हैं कि निवेश की सलाह देना कोई मनोरंजन नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का काम है।

    नियम साफ कहते हैं कि व्यक्तिगत निवेश सलाह देने के लिए पंजीकरण, योग्यता और अनुपालन जरूरी है, लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म्स की तेज रफ्तार और क्रिएटर्स की संख्या इतनी ज्यादा है कि हर कंटेंट पर नजर रखना व्यावहारिक रूप से मुश्किल हो जाता है। नतीजतन नियम तो मौजूद होते हैं, पर जमीन पर उनका पालन हमेशा उतना सख्त नहीं दिखता।

    समझें असली-नकली का फर्क

    अब सवाल यह है कि समाधान क्या है? क्या सभी फिनफ्लुएंसर्स गलत हैं? बिल्कुल नहीं। कई गंभीर और जिम्मेदार क्रिएटर्स सच में लोगों को निवेश के बारे में जागरूक कर रहे हैं, बुनियादी सिद्धांत सिखा रहे हैं, घोटालों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं और युवा पीढ़ी को बचत और निवेश की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं। असली बात यह है कि किसे फालो करना है, किस पर भरोसा करना है और किसकी बात को सिर्फ मनोरंजन की तरह लेकर आगे बढ़ जाना है- यह समझ विकसित करनी होगी।

    डिजिटल युग का सच यह है कि इंटरनेट मीडिया से भागा नहीं जा सकता और इसकी जरूरत भी नहीं है। वही प्लेटफार्म जो गुमराह कर सकता है, सही उपयोग होने पर शानदार वित्तीय साक्षरता भी दे सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि आप नीम हकीम के हाथ में अपनी ‘वित्तीय जान’ सौंपते हैं या किसी ऐसे मार्गदर्शक के साथ चलना चुनते हैं जो ज्ञान, ईमानदारी और नियामकीय जिम्मेदारी को साथ लेकर चलता हो। 

    संदेश सरल है- फिनफ्लुएंसर्स को देखिए, सीखिए, सवाल कीजिए, लेकिन आंख मूंदकर भरोसा मत कीजिए। रील्स, शार्ट्स और पोस्ट आपको रास्ता दिखा सकते हैं, चलना आपको खुद है। याद रखिए, निवेश की दुनिया में भी वही पुरानी कहावत आज पूरी तरह सटीक है– नीम हकीम खतरा-ए-जान।

    पहले जानें ये सिद्धांत 

    एक जागरूक निवेशक के रूप में कुछ सरल सिद्धांत मदद कर सकते हैं-

    • पहला, कोई भी ‘गारंटीड’, ‘फिक्स्ड हाई रिटर्न’, ‘जल्दी अमीर बनने’ वाला दावा देखते ही सतर्क हो जाएं। 
    • दूसरा, यह जांचें कि सामने वाला व्यक्ति सेबी या किसी अन्य नियामक संस्था से रजिस्टर्ड है या नहीं और क्या वह अपने डिस्क्लोजर साफ-साफ करता है। 
    • तीसरा, किसी भी वीडियो या पोस्ट को सिर्फ शुरुआती जानकारी मानें, अंतिम निर्णय नहीं। जब भी आप निवेश से संबंधित कोई बड़ा या जोखिम भरा निर्णय लें, तो अपनी प्रोफाइल, लक्ष्यों और जरूरतों के हिसाब से किसी योग्य, रेगुलेटेड सलाहकार से चर्चा अवश्य करें।

    एक बात गांठ बांध लें, व्यक्तिगत निवेश में व्यक्तिगत शब्द पहले आता है इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि जिसकी सलाह ले रहे हों वह व्यक्ति आपके भविष्य की जिम्मेदारियों को, आपके लक्ष्यों को जानता हो।

    (फाइनेंशियल कोच व पुस्तक ‘दोहानामिक्स’ के लेखक)