स्वामी रामदेव की शिक्षाएं कैसे आज भी आधुनिक स्वास्थ्य और वेलनेस को दिशा दे रही हैं
हमारी बदलती जीवनशैली के साथ सेहत पीछे छूटती जा रही है। ऐसे में अगर संतुलन न बिठाया जाए तो मोटापा डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसमें योग काफी मददगार साबित हो सकता है। स्वामी रामदेव योग को लेकर सभी को जागरूक करने का अथक प्रयास कर रहे हैं।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हमारी सेहत अक्सर पीछे छूट जाती है। हमारी दिनचर्या अब टेक्नोलॉजी और गैजेट्स के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। आधुनिकता जरूरी है, लेकिन अगर संतुलन न रखा जाए तो सेहत बिगड़ सकती है। मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर में डूबे रहने से तनाव, चिंता, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कई जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। आधुनिक दवाइयां इलाज तो देती हैं, लेकिन लोग अब प्राकृतिक और वैकल्पिक चिकित्सा की तरफ रुख कर रहे हैं।
इस बदलाव में एक बड़ा योगदान स्वामी रामदेव का है। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवनशैली को घर-घर पहुंचाने वाले बाबा रामदेव की शिक्षाएं आज भी स्वास्थ्य और वेलनेस को नई दिशा दे रही हैं। आइये जानते हैं कैसे।
योग को डेली रूटीन में वापस लाना
पतंजलि के संस्थापक स्वामी रामदेव ने योग को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया है। पहले योग को केवल साधु-संतों के द्वारा किया जाने वाला अभ्यास माना जाता था, लेकिन आज हर उम्र और वर्ग के लोग इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना चुके हैं। उन्होंने योग को साइंस-आधारित फिटनेस और बीमारियों की रोकथाम का जरिया बताया।
टीवी और योग शिविरों के जरिये उन्होंने कठिन योग आसनों और प्राणायाम को आसान भाषा और तरीकों में समझाया ताकि लाखों लोग इसे सीख सकें। आज योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि वेलनेस की वैश्विक क्रांति बन चुका है, जिसका श्रेय स्वामी रामदेव को जाता है।
प्राकृतिक उपचार पर जोर
स्वामी रामदेव हमेशा से आयुर्वेद, हर्बल दवाइयों, नेचुरोपैथी और जीवनशैली में बदलाव को बढ़ावा देते आए हैं। उनका मानना है कि प्राकृतिक उपचार शरीर के साथ सामंजस्य रखते हैं और इनके कोई साइड-इफेक्ट नहीं होते, जबकि केमिकल दवाओं से साइड-इफेक्ट हो सकते हैं।
आज preventive healthcare यानी बीमारियों से पहले बचाव की सोच पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कोविड-19 के बाद लोग और भी ज्यादा आयुर्वेद और प्राकृतिक उपायों को अपनाने लगे हैं, जैसे हर्बल चाय पीना, इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीज़ें खाना, आयुर्वेदिक औषधियां लेना और योग करना। स्वामी रामदेव की शिक्षाएं अब आम जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।
मन और शरीर का संतुलन
आज सेहत की बातें ज्यादातर शरीर और मानसिक स्वास्थ्य तक सीमित रहती है। लेकिन स्वामी रामदेव के मुताबिक शरीर, मन और आत्मा आपस में जुड़े हुए हैं। किसी एक को अच्छा रखने के लिए तीनों का संतुलन जरूरी है। इसीलिए वे योगासन, मैडिटेशन और प्राणायाम पर जोर देते हैं ताकि मन, शरीर और आत्मा में सामंजस्य बने। इससे शारीरिक ताकत बढ़ती है, मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में संतुलन आता है।
जीवनशैली में बदलाव की प्रेरणा
शहरी लोग आधुनिकता की सबसे ज्यादा मार झेलते हैं। अनियमित दिनचर्या और काम के बोझ से उनकी सेहत बिगड़ती है। स्वामी रामदेव ने उन्हें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की प्रेरणा दी है। नतीजा यह है कि अब बहुत से लोग बिजी रूटीन के बावजूद योग करने लगे हैं, ध्यान और प्राकृतिक इलाज अपना रहे हैं और हैल्दी खान-पान की ओर लौट रहे हैं। यह साबित करता है कि उनकी शिक्षाएं लोगों को आधुनिकता के साथ-साथ जड़ों से जुड़े रहने की राह दिखा रही हैं।
निष्कर्ष
स्वामी रामदेव का असर व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्वास्थ्य चर्चाओं तक फैला हुआ है। उन्होंने साबित किया है कि अगर प्राचीन ज्ञान को सही तरीके से अपनाया जाए तो वह आधुनिक समस्याओं का भी समाधान बन सकता है।
Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।
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