कैसे ब्लैक फ्राइडे बना दुनिया का सबसे बड़ा शॉपिंग फेस्टिवल और आखिर क्यों दिया गया इसे यह काला नाम
थैंक्सगिविंग के अलगे दिन को ब्लैक फ्राइडे (Black Friday 2025) कहा जाता है। इस दिन दुकानों पर भारी डिस्काउंट मिलता है, जिसके चलते लोग बेसब्री से इस दिन का इंतजार करते हैं। दुनिया भर में इस दिन खरीरदारों की भीड़ दुकानों में जुटी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई और इसे 'ब्लैक फ्राइडे' क्यों कहा जाता है?

क्यों लगती है Black Friday Sale? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ब्लैक फ्राइडे (Black Friday Sale 2025) का नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहले भारी डिस्काउंट, शॉपिंग मॉल्स के बाहर लोगों की लंबी कतारें, ऑनलाइन क्रैश होती वेबसाइट्स और सेल का लुत्फ उठाने का लोगों में पागलपन आता है। ब्लैक फ्राइडे की सेल सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लगती है और हर जगह इसका क्रेज ऐसा ही देखने को मिलता है।
हर साल नवंबर के आखिरी शुक्रवार को दुनिया भर में लगने वाली यह सेल एक ग्लोबल फेस्टिवल जैसी बन चुकी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिन को “ब्लैक फ्राइडे” क्यों कहा जाता है (Why is it called Black Friday)? और आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई? आइए जानें इस बारे में।
थैंक्सगिविंग के अगले दिन की शुरुआत
ब्लैक फ्राइडे सेल की जड़ें अमेरिका से जुड़ी हैं। अमेरिका में थैंक्सगिविंग एक बड़ा त्योहार होता है, जिसे नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है। इसके तुरंत अगले दिन लोग छुट्टी मोड में होते हैं और क्रिसमस की तैयारियों की शुरुआत करते हैं। दुकानदारों ने इसे खरीदारी शुरू करवाने का सही मौका माना और बड़े-बड़े डिस्काउंट देने लगे। धीरे-धीरे यह दिन साल की सबसे बड़ी शॉपिंग डेट बन गया।
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(Picture Courtesy: Freepik)
‘ब्लैक फ्राइडे’ नाम कैसे पड़ा?
“ब्लैक फ्राइडे” नाम सुनते ही झटका लगता है, क्योंकि इसमें ‘ब्लैक’ शब्द किसी नकारात्मक बात की ओर इशारा करता है। दरअसल, 1960 के दशक में फिलाडेल्फिया की पुलिस ने सबसे पहले इस शब्द का इस्तेमाल किया था। थैंक्सगिविंग के अगले दिन शहर की सड़कों पर इतना ज्यादा ट्रैफिक, भीड़, पार्किंग की दिक्कत और अफरातफरी बढ़ जाती थी कि पुलिसकर्मी उस दिन को ‘ब्लैक फ्राइडे’ कहने लगे। उनके लिए यह दिन बेहद थकाऊ और सिरदर्द बढ़ाने वाला होता था।
रिटेल बिजनेस ने बदल दी कहानी
जब यह नाम आम लोगों में फैलने लगा, तो दुकानदारों को लगा कि ‘ब्लैक’ शब्द सेल की पॉजिटिव इमेज को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए उन्होंने इसकी एक नई कहानी बनाकर लोगों को बतानी शुरू की। उन्होंने बताया कि पहले दुकानदार साल भर घाटे में रहते थे, जिसे ‘रेड’ में लिखा जाता था, और ब्लैक फ्राइडे जैसे सेल वाले दिनों में उनकी कमाई इतनी बढ़ जाती थी कि वे ‘ब्लैक’ में यानी प्रॉफिट में आ जाते थे। इस कहानी को लोगों ने जल्दी ही स्वीकार कर लिया, और आज ब्लैक फ्राइडे का मतलब बस एक ही है- बड़े डिस्काउंट और जबरदस्त शॉपिंग।
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(Picture Courtesy: Freepik)
डिजिटल दुनिया ने दिया ग्लोबल रूप
पहले ब्लैक फ्राइडे सिर्फ अमेरिका तक सीमित था, लेकिन ई-कॉमर्स आने के बाद यह दुनिया के हर कोने तक फैल गया और आज यह एक बड़ा ट्रेंड बन गया। आज ब्लैक फ्राइडे के साथ साइबर मंडे और वीकेंड सेल्स भी जुड़ गई हैं, जो कई दिनों तक चलती हैं।
क्यों बन गई इतनी बड़ी सेल?
थैंक्सगिविंग के बाद क्रिसमिस की तैयारियों के लिए लोग शॉपिंग में जुट जाते हैं, दुकानों में मिलने वाला भारी डिस्काउंट भी लोगों को खूब लुभाता है, कंपनियों की साल खत्म होने से पहले इन्वेंटरी क्लियर करने की जरूरत होती है, जिसके लिए ब्लैक फ्राइडे अच्छा मौका रहता है। साथ ही, इंटरनेट के आने के बाद सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्रमोशन ने भी ब्लैक फ्राइडे को काफी बूस्ट किया है। इन सभी कारणों ने मिलकर ब्लैक फ्राइडे को एक ऐसा दिन बना दिया है, जब दुनिया भर के लोग जमकर शॉपिंग करते हैं।

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