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    पहले सिर्फ पुरुष ही कर सकते थे केरल का मशहूर Kathakali नृत्य, जानें कैसे हुई महिलाओं की इसमें एंट्री

    क्या आप जानते हैं कि Ancient Dance Forms में से एक कथकली (Kathakali) की शुरुआत और कहीं नहीं बल्कि भारत के केरल (Kerala) राज्य से हुई थी? कथकली दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें कथा का मतलब है कहानी और कली यानी प्ले। आपको जानकर हैरानी होगी कि 300 साल से ज्यादा पुराने इस नृत्य में पहले सिर्फ पुरुष ही भाग ले सकते थे।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 20 Jul 2024 04:24 PM (IST)
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    300 साल से ज्यादा पुराना है केरल का मशहूर Kathakali नृत्य (Image Source: X)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। History of Kathakali: भारत में करीब 200 अनोखे Dance Forms हैं, लेकिन इन सब में कथकली खास इसलिए है क्योंकि इसे बहुत ही कठिन माना जाता है। इस कला में माहिर होने के लिए आपको कई साल लग सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका मेकअप करने में 4 घंटे और इसे हटाने में 2 घंटे लगते हैं। अब आप सोचेंगे कि भला इतने मेकअप की क्या जरूरत है? ऐसे में बता दें कि कथकली में हर रंग की अपनी अहमियत है। हरे रंग को रोमांस (Love) से जोड़कर देखा जाता है, तो वहीं लाल रंग गुस्से (Anger) को दिखाता है। काला रंग तमस (Darkness of Mind) और सफेद रंग सात्विकता को परिभाषित करता है।

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    300 साल से ज्यादा पुराना है ये नृत्य

    कथकली नृत्य को रंग-बिरंगे मेकअप और वेशभूषा के लिए भी जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति करीब 300 साल पहले केरल में हुई थी। नाटक, संगीत, नृत्य, भक्ति, श्रृंगार और वेशभूषा के साथ भारतीय महाकाव्यों से अतीत की महान कहानियों को जोड़ते हुए इस डांस फॉर्म में ज्यादातर चेहरे के इशारों और भावों का इस्तेमाल किया जाता है।

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    बेहद खास होती है कथकली की वेशभूषा

    माना जाता है कि कथकली की शुरुआत 17वीं शताब्दी से हुई थी। आज यह सिर्फ भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। अपनी वेशभूषा के कारण भी कथकली बेहद खास है। इसमें पहनी जाने वाली पोशाक का वजन 12 किलो तक भी हो सकता है। यही वजह है कथकली को इतना डिमांडिंग डांस फॉर्म माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि कलरीपायट्टु (Kalaripayattu) के सैनिक इसे परफॉर्म करते थे।

    महिलाओं ने तोड़ी वर्षों पुरानी परंपरा

    कथकली हमेशा से मेल डॉमिनेटेड डांस फॉर्म रहा है, यानी आमतौर पर पुरुष ही इसे प्रस्तुत करते थे, लेकिन 1970 के बाद से स्थिति बदली और आज इस नृत्य में महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। भारतीय महिलाएं हमेशा से स्टीरियोटाइप तोड़ती आई हैं। वे दिखाती आई हैं कि हर चीज जो पुरुष कर सकते हैं, वे भी उन्हें बेहतर कर सकती हैं। कथकली में अक्सर रामायण और महाभारत पर एक्ट किया जाता है। हर चीज को भाव से कम्युनिकेट किया जाता है। इसमें चेहरा, हाथ, पांव और मूवमेंट्स सभी शामिल होते हैं। इसके लिए एक स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। देखा जाए, तो यह एक पूर्ण रूप से विकसित भाषा है।

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