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    बिहार का सिक्की आर्ट, जिसमें प्राकृतिक घास से तैयार की जाती है तरह-तरह की कलाकृतियां

    Updated: Mon, 15 Jul 2024 04:21 PM (IST)

    बिहार अपने खानपान बोलचाल के अलावा अपनी अनोखी कारीगरी के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है। यहां के सिक्की आर्ट ने तो देश- विदेश में अपनी पहचान बना ली है। ये बहुत ही अनोखे तरह की कला है जिसमें नेचुरल घास का इस्तेमाल करके तरह- तरह की चीजें बनाई जाती हैं। ये घास यहां प्राकृतिक तरीके से उगती है जो और भी खास है।

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    बिहार का मशहूर सिक्की आर्ट (Pic credit-madhavi1154/Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नदियों के किनारे उगने वाली घास को जहां आप और हम कोई तवज्जो नहीं देते, वहीं बिहार में घास की मदद से ऐसी कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं, जिनकी देश-विदेश में डिमांड है। हालांकि बिहार की ये घास थोड़ी अलग होती है, तभी तो इसे गोल्डेन ग्रास ऑफ बिहार के नाम से जाना जाता है। इस घास से मदद से यहां के कारीगर जो चीजें तैयार करते हैं उसे सिक्की आर्ट कहते हैं।

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    क्या है सिक्की आर्ट?

    बिहार की प्राचीन और पुरानी पारंपरिक कलाओं का शानदार नमूना है सिक्की आर्ट। इस आर्ट में सिक्की घास का इस्तेमाल किया जाता है। इस घास की सबसे खास बात क्या है जानते हैं, इसकी खेती-वेती नहीं की जाती, बल्कि यह प्राकृतिक तरीके से खुद ही उगती है। 3 से 4 फीट ऊंची यह घास नहरों और नदियों के किनारे उगती है। इस घास के तने का इस्तेमाल आर्ट में किया जाता है। वहीं जड़ों से तेल, परफ्यूम बनाया जाता है और कुछ खास तरह की दवाएं भी।  

    सिक्की घास की प्रोसेसिंग

    कलाकृतियों में सिक्की घास के इस्तेमाल से पहले उसे प्रोसेस किया जाता है। जिसके लिए चूल्हे पर हांडी में पानी को पहले उबाला जाता है। फिर इसमें घास को डालकर कुछ देर के लिेए छोड़ दिया जाता है। जब उसकी पूरी भाप निकल जाती है, तो इसे बाहर रख दिया जाता है। उसके बाद ठंडे पानी से धोया जाता है। फिर धूप में एकदम कड़क होने तक सुखाया जाता है। आवश्यकतानुसार इस पर कलर किया जाता है। इसके रंग-रोगन में कम से कम एक घंटा लगता है। कलर पक्का हो जाता है तब इससे चीजें बनाई जाती हैं।

    सदाय दीदियां का रोल

    इस घास को कारीगरों तक पहुंचाने का काम सदाय ग्रूप की महिलाएं करती हैं, जिन्हें सदाय दीदियों ने नाम से पुकारा जाता है। यह काम इन्हीं के हिस्से होता है।

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    घास से तैयार किए जाते हैं प्रोडक्ट्स

    सिक्की घास से दीवार सजाने के लिए वॉल हैंगिंग, वॉल प्लेट, टेबल लैंप, कोस्टर, खिलौने, गुड़िया, डलिया, गमले और की तरह के सजावटी सामान तैयार किए जाते हैं। लोग खास मौकों पर उपहार में इन चीजों को ही गिफ्ट करते हैं। इन प्रोडक्ट्स की सबसे खास बात है कि बढ़ते समय के साथ इनकी चमक बढ़ती है। मतलब पुराने होने के बाद भी ये नए जैसे ही लगते हैं।

    विदेशों में भी है लोकप्रिय

    बिहार की यह कला अब विदेशों में भी धूम मचा रही है। मिथिलांचल आज सिक्की आर्ट की बदौलत दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है। जिस वजह से इनकी डिमांड बढ़ी है, डिमांड के चलते रोजगार के अवसर बढ़े हैं और रोजगार में बढ़ोतरी देश के विकास में मदद करती है। 

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