Hindi Diwas 2025: क्या आप जानते हैं हिंदी भाषा से जुड़ी ये 7 रोचक और अनसुनी बातें?
हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद है हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना। हिंदी का विकास काफी दिलचस्प पड़ावों से गुजरा है जिनके बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए। आइए जानें इस भाषा से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 14 सितंबर को देश भर में हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) मनाया जाता है। इस दिन साल 1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। हिंदी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
इसकी समृद्ध विरासत और विकास यात्रा में कई ऐतिहासिक और दिलचस्प पड़ाव आए हैं, जिनके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। आइए हिंदी दिवस के इस खास मौके पर हिंदी से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातों को जानते हैं।
कितनी पुरानी है हिंदी भाषा?
हिंदी का इतिहास लगभग 1300 साल पुराना है। इस हिसाब से हिंदी की शुरुआत हम सातवीं-आठवीं सदी मान सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि 10वीं शताब्दी से पहले का समय अपभ्रंश माना जाता है। इसलिए वें हिंदी के आरंभ को 10वीं सदी को मानते हैं। 9वीं-10वीं सदी के आसपास हिंदी बोलचाल और साहित्य की भाषा बनी।
हिंदी के पहले कवि कौन थे?
साहित्य के इतिहासकार ‘सिद्ध कवि’ सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इनका समय 769ई. माना जाता है।
हिंदी की पहली किताब कौन-सी थी?
हिंदी साहित्य का इतिहास बहुत पुराना है। विद्वान देवसेन द्वारा 933 ईस्वी में रचित 'श्रावकाचार' को हिंदी की पहली रचना माना जाता है। हालांकि, आधुनिक खड़ी बोली हिंदी की पहली प्रिंटेड किताब लल्लू लाल जी द्वारा रचित 'प्रेम सागर' (1810) को माना जाता है। लल्लू लाल कोलकाता स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज में अध्यापक थे और उन्होंने इसकी रचना ब्रजभाषा में लिखी एक पुस्तक को आधार बनाकर की थी। इसके बाद, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित 'प्रिय प्रवास' को खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य माना जाता है।
हिंदी का पहला अखबार कौन-सा था?
हिंदी पत्रकारिता के इतिहास की शुरुआत 'उदंत मार्तण्ड' नाम के एक साप्ताहिक समाचार पत्र से होती है। इसका प्रकाशन 30 मई, 1826 को कोलकाता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में शुरू हुआ। इस पत्र ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आम जनता की आवाज उठाने का साहसिक कार्य किया, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के चलते यह महज एक साल ही चल पाया। इसके बाद हिंदी के पहले दैनिक समाचार पत्र 'सुधा वर्षण' का प्रकाशन शुरू हुआ।
कंप्यूटर पर हिंदी का सफर
डिजिटल दुनिया में हिंदी के प्रवेश की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। 1980 के दशक के मध्य में हिंदी को कंप्यूटर पर लाने की कोशिश शुरू हुई। इसकी पहली मानकीकृत की-बोर्ड लेआउट प्रणाली 'इंस्क्रिप्ट' (INSCRIPT) थी, जिसे 1986 में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग ने विकसित किया। यह प्रणाली देवनागरी लिपि के अनुकूल थी। हालांकि, हिंदी की डिजिटल दुनिया में असल क्रांति तब आई जब यूनिकोड फॉन्ट्स का विकास हुआ, जिसने अलग-अलग फॉन्ट्स की समस्या को खत्म कर दिया।
हिंदी का पहला यूनिकोड फॉन्ट
यूनिकोड के आने से हिंदी की ऑनलाइन दुनिया बदल गई। इससे पहले अलग-अलग फॉन्ट्स के कारण टाइपिंग और डाटा शेयरिंग में काफी दिक्कतें आती थीं। हिंदी का पहला और सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला यूनिकोड फॉन्ट 'मंगल' था, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2001 में विकसित किया था। आज एरियल यूनिकोड और कोकिला जैसे कई फॉन्ट्स मौजूद हैं, लेकिन मंगल ने हिंदी को कंप्यूटर की दुनिया में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
इंटरनेट पर हिंदी की पहली पत्रिका
इंटरनेट पर हिंदी की शुरुआत करने का श्रेय 'भारत दर्शन' नाम की ऑनलाइन पत्रिका को जाता है। इसे दिसंबर 1996 में लॉन्च किया गया था, यानी भारत में इंटरनेट की शुरुआत के लगभग तीन साल बाद। एक दिलचस्प फैक्ट यह है कि यह पत्रिका भारत से नहीं, बल्कि न्यूजीलैंड से प्रकाशित होती थी और मुख्य रूप से साहित्य पर केंद्रित थी। इसने ऑनलाइन हिंदी पत्रकारिता और साहित्य प्रसारण की नींव रखी।
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