'कायनात की साजिश' या 'दिमाग की ट्रिक'? जानिए क्या सच में काम करता है Law of Attraction
आपने लॉ ऑफ अट्रैक्शन का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन क्या यह सचमुच काम करता है या नहीं? दरअसल, लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Law of Attraction) सिर्फ सोचने भर से काम नहीं करता है। इसके साथ आपको कुछ स्टेप भी लेने होते हैं, ताकि आप जो भी अपने जीवन में चाहते हैं वह आपको मिल सके।

कैसे काम करता है Law of Attraction? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मान लीजिए, आप जिंदगी में किसी चीज को पूरे दिल से पाने की चाहत रखते हैं, चाहे एक अच्छी नौकरी, मन की शांति, या एक ऐसा रिश्ता जो आपको सही मायने में समझे। आप उसकी कल्पना करते हैं, उसके बारे में खूब सोचते हैं और कभी-कभी उसे नोटबुक में भी लिख लेते हैं (How Law of Attraction Works)।
कुछ समय बाद अगर चीजें उसी दिशा में चलने लगें, तो आपके मन में सवाल उठना स्वाभाविक है क्या यह महज संयोग है या सचमुच हम जिसे पूरे दिल से चाहते हैं कायनात हमें उससे मिलाने की साजिश में जुट जाती है?
आजकल सोशल मीडिया पर या आस-पास के लोगों से आपने लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Law of Attraction) के बारे में सुना होगा। लॉ ऑफ अट्रैक्शन का प्रिंसिपल एक चुंबक की तरह काम करता है। यह आपकी जिंदगी में उन्हीं चीजों को खींचता है, जिन पर आप ध्यान लगाते हैं या जिन्हें आप पूरे दिल से चाहते हैं। सुनने में काफी आकर्षक लग रहा है और आसान भी, है न? लेकिन क्या सचमुच यह काम करता है या यह सिर्फ एक मिथक है?
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(Picture Courtesy: Freepik)
मिथक- “सोचो और सब मिलेगा”
लॉ ऑफ अट्रैक्शन को अक्सर इस रूप में पेश किया जाता है कि आपको बस किसी चीज के बारे में पॉजिटिव सोचना है और ब्रह्मांड उसे आपके पास भेज देगा। लेकिन यह सोच असलियत को बहुत आसान बना देती है।
जब मनचाही चीजें नहीं मिलतीं, तो लोग खुद को दोष देने लगते हैं कि शायद उन्होंने “नेगेटिव सोचा” होगा। लेकिन इस दौरान अक्सर लोग अपनी मेहनत, मौका, संसाधन, माहौल, और समय जैसे असली फैक्टर्स को नजरअंदाज कर देते हैं।
किताबें और इंटरनेट ने इस प्रिंसिपल को एक ट्रेंड की तरह पेश किया है, जहां ऐसा महसूस होता है कि केवल सोच की ताकत ही आपकी जिंदगी बदल सकती है। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है।
असलियत- दिमाग कैसे काम करता है?
विज्ञान यह साबित नहीं करता कि सिर्फ सोचने भर से आप चीजों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन साइकोलॉजी यह जरूर कहती है कि आपका फोकस और सोच आपके व्यवहार को प्रभावित करती है। जब आप किसी लक्ष्य के बारे में लगातार सोचते हैं, तो आपका दिमाग उसी से जुड़ी चीजों को पहचानने लगता है। इसे रेटिकुलर एक्टिवेटिंग सिस्टम (RAS) कहा जाता है। इसका मतलब है कि अगर आप अवसरों के बारे में सोचते रहते हैं, तो आप उन्हें पहले से ज्यादा नोटिस करने लगेंगे।
पॉजिटिव सोच का असर भी इसी तरह होता है। जब आप सफलता की कल्पना करते हैं, तो आप उसी तरह व्यवहार करने लगते हैं। आप सफल होने के लिए कदम उठाते हैं, कोशिश करते हैं, और अपने डर के बावजूद आगे बढ़ते हैं। यही छोटे-छोटे कदम आपकी जिंदगी में बड़े बदलाव लाते हैं।
तो सच यह है कि विचार सीधे चीजों को आकर्षित नहीं करते, लेकिन वे आपके नजरिए, एनर्जी और व्यवहार को बदलते हैं, जिससे आप मौके पहचान पाते हैं और उन पर कार्रवाई कर पाते हैं।
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(AI Generated Image)
लॉ ऑफ अट्रैक्शन को कैसे अपनाएं?
- लक्ष्य तय करें- आप क्या चाहते हैं, इसे साफ-साफ लिखें और उस पर ध्यान दें।
- कल्पना को असलियत जैसा बनाएं- अपने लक्ष्य को ऐसे महसूस करें जैसे वह अभी हो रहा है। यह आपके दिमाग को तैयार करता है।
- सोच के साथ एक्शन पर भी ध्यान दें- सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कदम उठाएं। वास्तविक बदलाव वहीं से शुरू होता है।
- खुद को दोष न दें- यदि चीजें वैसी न हों, तो खुद को गलत न ठहराएं। सीखने पर ध्यान दें।
- आभार की आदत डालें- जो आपके पास है, उसे पहचानना आपके विचारों को पॉजिटिव दिशा देता है।
- सही माहौल चुनें- आपका वातावरण आपके सोच से ज्यादा प्रभाव डालता है। अपना स्पेस और कंपनी ऐसी रखें जो आपको सपोर्ट करें।
क्या लॉ ऑफ अट्रैक्शन काम करता है?
इस सवाल का जवाब है, हां यह यह काम करता है, लेकिन तभी जब आप अपने व्यवहार और एक्शन को अपनी चाह के अनुसार ढालते हैं।

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