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    समाज में हो रहे बदलावों के बारे में क्या है सोचती है देश की नई पीढ़ी, सर्वे में हुए कई रोचक खुलासे

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 03:52 PM (IST)

    सर्वाधिक युवाओं वाला देश है भारत और इसका भविष्य हैं किशोर। विविधता से भरे इस आयु वर्ग में हर क्षेत्र और विचार को लेकर अपना एक साफ नजरिया है जिसे वे खुलकर जाहिर करने से नहीं हिचकते नहीं हैं। भारत के इस भविष्य को समझने उनकी सफलता के सामने आने वाली चुनौतियों को जानने और उनके विचार के साथ कदमताल करने के लिहाज से ‘दैनिक जागरण’ ने एक सर्वेक्षण किया।

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    क्या सोचता है देश के किशोरों का मन?

    मनीष त्रिपाठी, नई दिल्ली। किशोरावस्था के कच्चे-पक्के मन को समझना एक पहेली की तरह है। समाज और दुनिया उन्हें अपने सांचे में ढालना चाहती है, लेकिन सपनों की उड़ान भर रहा किशोर मन उस ढांचे को बदलना चाहता है। जीवन में उन्हें क्या करना चाहिए, यह तो किशोरों को हर कोई बताता है, लेकिन जीवन से वे क्या चाहते हैं, उनसे कोई नहीं पूछता। उनसे यही पूछने, उन्हें मन की बात रखने देने के लिए आगे आया ‘दैनिक जागरण’। अपने सामाजिक अभियान ‘जागरण जनमन’ के तहत उनके बीच पहुंचने और उन्हें बिना किसी पूर्वाग्रह के सुनने की पहल की।

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    जागरण जनमन वर्तमान स्थिति को जान-समझकर राष्ट्र निर्माण करने का एक अभियान है। जागरण जनमन का आरंभ किशोरों के भविष्य को समझने, उनके सामने आ रही चुनौतियों और उनकी दृष्टि से इनके समाधान को जानने के लिए अब तक का सबसे बड़ा और व्यापक सोच वाला सर्वेक्षण है।

    सात राज्यों में हुआ सर्वेक्षण

    इस सर्वेक्षण का विस्तार भारत के सात राज्यों के 378 शहरों-कस्बों तक रहा। इसकी व्यापकता और विश्वसनीयता इस बात से भी समझी जा सकती है कि इस सर्वेक्षण में कुल 4,02,287 अर्थात चार लाख से अधिक किशोर और किशोरावस्था की ओर बढ़ते बच्चे शामिल हुए। इन उत्तरदाताओं में तीन आयु वर्ग में 1,92,622 लड़कियां और 2,09,665 लड़के शामिल थे। साफ था कि मन, मानसिकता और माहौल में अंतर के कारण उत्तर भी अलग-अलग होंगे, लेकिन जब रुझान सामने आने लगे तो सर्वेक्षण का विश्लेषण करने वाले भी चौंक गए।

    धर्म, जाति, संस्कृति, लिंग, भविष्य, स्वतंत्रता, नैतिक मूल्य, धन तथा जीवन संतुष्टि जैसे गंभीर विषयों पर इस पीढ़ी का दृष्टिकोण कभी संभावनाओं से भर रहा था तो कभी बलवती हो रही थीं आशंकाएं। समझ में आने लगा कि किशोर-भारत के मन के ये विचार कितने गहरे और गतिशील हैं। इस सर्वेक्षण का निष्कर्ष बताता है कि आज जरूरी है कि सभी अभिभावक, समाज और सरकार इसे समझें तथा इस प्रवाह को समुचित संरक्षण-समाधान दें। इसी उद्देश्य से इस सर्वेक्षण में समर्थन और सहयोग देने वाले सभी उत्तरदाताओं, अभिभावकों और स्कूलों के प्रति अपार कृतज्ञता के साथ हम आज से आगामी तीन दिनों तक प्रस्तुत कर रहे हैं- भारत का सबसे बड़ा सर्वेक्षण, ‘क्या सोचता है किशोर मन…।’

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    प्रश्न 1. पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक जीवन शैली के बीच संघर्ष की स्थिति में आप क्या करेंगे?

    • बदलते समाज के साथ खुद को आगे रखने के लिए आधुनिक जीवन शैली का पालन करेंगे- 41%
    • मेरी जिंदगी, मेरा अंदाज -17%
    • पारंपरिक मूल्यों का चयन करेंगे, क्योंकि इन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए - 26%
    • चयन से पहले संदर्भ का मूल्यांकन करेंगे -17%

    प्रश्न 2. आपके लिए स्वतंत्रता का क्या अर्थ है?

    • बिना किसी डर के खुद की अभिव्यक्ति - 50%
    • स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है- 25%
    • बिना किसी बाधा के परिवर्तन करने की क्षमता-14%
    • खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता-11%

    प्रश्न 3. जीवन में सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों की क्या प्रासंगिकता है

    • इनसे समाज में अच्छे और बुरे परिवर्तनों में अंतर करने में मदद मिलती है- 41%
    • सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा मिलता है- 31%
    • व्यक्तिगत विकास होता है-15%
    • यह स्वतंत्रता को सीमित करते हैं-13%

    प्रश्न 4-आपके लिए जीवन का क्या लक्ष्य है?

    • एक खुशहाल और संतुष्ट जीवन जीना- 59%
    • धन और प्रसिद्धि-19%
    • पेशेवर मामले में सर्वोच्च पद-17%
    • पता नहीं -5%

    यह था सर्वे का आधार

    नैतिकता के सिद्धांत पर आधारित इस सर्वे का आधार बना लारेंज कोलबर्ग का सिद्धांत, जो इस बात पर केंद्रित है कि नई पीढ़ी नैतिकता और नैतिक तर्क कैसे विकसित करती है। इसके अनुसार, नैतिक तर्क मुख्य रूप से निर्णय की खोज और उसे बनाए रखने पर केंद्रित है। कोलबर्ग के सिद्धांत को तीन प्राथमिक स्तरों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक स्तर के दो चरण होते हैं।

    संतुष्टि बनाम सफलता

    हमने अपनी जिम्मेदार पीढ़ी से उनके जीवन के लक्ष्य के बारे में पूछा, तब किशोरों का सबसे बड़ा अनुपात (59%) जीवन में खुशी और संतुष्टि को महत्व देता है, जो विशुद्ध रूप से भौतिक या करियर-आधारित सफलता पर जीवन-कल्याण को महत्व देने की दिशा में बदलाव का संकेत है। यह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता को भी दर्शाता है, और यह भी बताता है कि पिछली पीढ़ियों की तुलना में आज के युवाओं के लिए भावनात्मक जरूरतें एक बड़ी प्राथमिकता हैं।

    हालांकि कुछ प्रतिभागियों को भौतिकवाद और करियर की दौड़ अभी भी अपील करते हैं। इनमें 19% किशोर धन और प्रसिद्धि को लेकर अति महत्वाकांक्षी नजर आए तो वहीं 17% पेशेवर मामले में सर्वोच्च पद को अपना लक्ष्य मानते हैं। ये संकेत सुझाव देते हैं कि भले ही खुशी और संतुष्टि अत्यधिक मूल्यवान हैं, लेकिन सफलता के मानक और महत्ता से इन्कार नहीं किया जा सकता। कुछ प्रतिशत ऐसे भी थे, जिन्होंने फिलहाल लक्ष्य तय नहीं किया था।

    नैतिक मूल्य और नई पीढ़ी

    जब उनसे सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों की प्रासंगिकता के बारे में पूछा गया तो अधिकांश किशोरों ने इस बात की पैरवी की कि वे इन मूल्यों को निर्णय लेने और अधिक सहिष्णु समाज को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में देखते हैं। प्रतिक्रियाओं की विविधता से पता चलता है कि जहां कुछ ने पारंपरिक मूल्यों को महत्वपूर्ण माना तो वहीं अधिकांश के लिए ये मूल्य उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति को सीमित करने के रूप में भी स्वीकार किए गए।

    इससे पता चलता है कि किशोर परंपरा के प्रति सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की इच्छा के बीच की दूरी को कम करना चाहते हैं। एक वर्ग ऐसा भी था, जो व्यापक सांस्कृतिक बदलाव का इच्छुक है, जो सम्मान और नैतिकता जैसे मूल सिद्धांतों को बनाए रखते हुए समावेशिता, विविधता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रतिबिंबित करने के लिए इन मूल्यों पर पुनर्विचार करने की सलाह दे रहा है।

    आधुनिकता की ओर बढ़ती नई पीढ़ी

    सर्वे के सिद्धांत और उनके प्रश्नों की तरह ही प्रतिभागियों ने भी काफी रोचक चयन किए। जब उनसे पूछा गया कि पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक जीवन शैली के बीच संघर्ष की स्थिति में आप क्या करेंगे, तो जवाब बहुत दिलचस्प थे। सबसे बड़े समूह (41%) का आधुनिक मूल्यों की ओर रुझान था, जो दर्शाता है कि अधिकांश किशोरों को तेजी से विकसित होने वाली दुनिया में परिवर्तन के साथ कदम से कदम मिलाने की आवश्यकता महसूस होती है। यह किशोरों पर वैश्वीकरण, डिजिटल संस्कृति और आधुनिक सामाजिक मानदंडों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। तो वहीं 17% ने चुना कि वो अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से चलाना चाहते हैं।

    किशोरों के बीच निजता की बढ़ती भावना इस तरह के उत्तर का प्रमाण है। इससे पता चलता है कि कई किशोर बाहरी अपेक्षाओं का सख्ती से पालन करने के बजाय निर्णय लेने में खुद के विचार और स्वतंत्रता को प्राथमिकता देते हैं। एक चौथाई किशोर (26%) अभी भी पारंपरिक मूल्यों को महत्वपूर्ण मानते हैं, जो सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और स्थिरता बनाए रखने की इच्छा को दर्शाता है। यह इंगित करता है कि आधुनिकता की ओर बढ़ने के बावजूद, परंपरा आज भी महत्वपूर्ण है। इन्हीं के बीच 17% ने कहा कि वे निर्णय लेने से पूर्व विचार करेंगे कि उसका संदर्भ क्या है। वे खुले विचारों की संभावना रखते हैं।

    अभिनंदन, आभार

    उन सभी स्कूलों और अभिभावकों को धन्यवाद, जिन्होंने अपने विद्यार्थियों और बच्चों को हमारे इस सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रकार की पुख्ता एवं जबरदस्त प्रतिक्रिया और विद्यार्थियों द्वारा साझा किए गए मूल्यवान विचार के लिए ‘दैनिक जागरण’ कृतज्ञतापूर्ण रूप से आभारी है। इस सर्वेक्षण की सफलता के लिए आपका समर्थन महत्वपूर्ण था और हम वास्तव में इस महत्वपूर्ण डाटा को एकत्र करने और हमारी नई पीढ़ी को बेहतर ढंग से समझने में हमारी सहायता करने के लिए आपके समय और समर्पण की सराहना करते हैं!

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