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    बच्चा गोद लेने की सोच रहे हैं, तो समझ लें भारत में इससे जुड़े सभी नियम और कानून

    Updated: Thu, 08 Aug 2024 02:14 PM (IST)

    भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया गोद लिए गए बच्चे की खुशहाली और उसके माता-पिता की सहूलियत के हिसाब से बनाई गई है लेकिन ये आसान नहीं इसमें कई साल लग जाते हैं। अगर आप भी किन्हीं कारणों से बच्चा गोद लेने की सोच रहे हैं तो आसान स्टेप्स से समझ लें इसका पूरा प्रोसेस और फिर बढ़ें आगे।

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    भारत में गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया (Pic credit- freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कपल जब बायलॉजिकल तरीके से बच्चा पैदा नहीं कर पाते और सेरोगेसी, आईवीएफ जैसे ऑप्शन अफोर्ड नहीं कर पाते, तो ऐसे में उनके पास बच्चा गोद लेने का भी एक ऑप्शन है, लेकिन भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं और न ही लोगों में इसे लेकर बहुत ज्यादा जानकारी है। आज हम इस लेख में विस्तार से बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया के बारे में ही जानेंगे। साथ ही अगर आप सिंगल हैं, तो उनके लिए क्या एडॉप्शन पॉलिसी है, इस पर भी बात करेंगे।

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    भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया

    भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority) इस प्रक्रिया की देखरेख करता है।

    गोद लेने की पूरी प्रक्रिया 

    स्टेप 1: पंजीकरण

    • बच्चा गोद लेने वाले माता-पिता को CARA वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है।

    • वे अधिकृत एडॉप्शन एजेंसीज, राज्य एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी या जिला बाल संरक्षण इकाइयों के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।

    स्टेप 2: होम स्टडी रिपोर्ट (HSR)

    • किसी अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी के सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा एक होम स्टडी की जाती है।

    • होम स्टडी में इस बात की पड़ताल की जाती है कि गोद लेने वाला दंपत्ति बच्चे की देखरेख करने में पूरी तरह सक्षम हैं या नहीं।

    स्टेप 3: संदर्भ और स्वीकृति

    • होम स्टडी के बाद CARA पोर्टल के माध्यम से उस दंपत्ति को एक बच्चे का संदर्भ दिया जाता है।

    • इसमें बच्चे का मेडिकल और सोशल बैकग्राउंड होता है और दंपत्ति के पास इसे स्वीकार करने के लिए 48 घंटे का वक्त होता है।

    स्टेप 4: गोद लेने से पहले देखभाल की प्रक्रिया

    • बच्चे को स्वीकार करने के बाद, उसे कुछ वक्त के लिए दंपत्ति के साथ देखभाल के लिए रखा जाता है।

    • इस अवधि में बच्चे और उसके दत्तक माता-पिता के बीच संबंधों के मजबूत होने की उम्मीद की जाती है और उसके बाद ही गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।

    स्टेप 5: कानूनी प्रक्रिया

    • गोद लेने वाले दंपत्ति को संबंधित न्यायालय में गोद लेने की याचिका दाखिल करनी होती है।

    • न्यायालय होम स्टडी रिपोर्ट, संबंधित दस्तावेज और अन्य आवश्यक कागजी कार्रवाई की समीक्षा करता है।

    • फिर न्यायालय के द्वारा एक सुनवाई निर्धारित की जाती है जिसमें बच्चा गोद लेने के लिए जरूरी आदेश पारित किया जाता है।

    स्टेप 6: गोद लेने के बाद का फॉलो-अप

    • अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी द्वारा समय-समय पर उस परिवार का फॉलो-अप लिया जाता है जिसने बच्चे को गोद लिया है।

    • हर 6 महीने के अंतराल में ये फॉलो-अप दो साल तक किए जाते हैं।

    अकेली महिलाओं और पुरुषों के लिए कानूनी प्रक्रिया

    अकेली महिलाएं के लिए

    • अकेली महिलाएं हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किसी भी बच्चे को गोद ले सकती है।

    • इसकी कानूनी प्रक्रिया ठीक वैसी ही होती है जैसी किसी दंपत्ति के लिए होती है।

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    अकेले पुरुष के लिए

    • अकेले पुरुष किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं।

    • इसमें भी पंजीकरण, होम स्टडी रिपोर्ट से लेकर पूरी कानूनी प्रक्रिया वही होती है जो एक अकेली महिला के लिए होती है।

    परिवारों की बदलती संरचना को देखते हुए बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सुधारने और सुव्यवस्थित करने की दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं, जिससे जरूरतमंद दंपतियों और बच्चों को सही वातावरण मिल सके और वे एक खुशहाल भविष्य का निर्माण हो सके।

    (डॉ. रेनी जॉय, वकील, आलेख फाउंडेशन से बातचीत पर आधारित)

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