जब 38 मिनट में दुश्मनों ने टेक दिए थे घुटने, आखिर क्यों सबसे छोटा युद्ध रहा Anglo-Zanzibar War?
दुनिया के सबसे छोटे युद्ध की बात की जाती है तो Anglo Zanzibar War का ही नाम लिया जाता है। दरअसल ये युद्ध मात्र 38 मिनट में समाप्त हो गया था। इसमें 500 लोग घायल हुए थे। इतिहास के पन्नों में दर्ज यह युद्ध भले ही छोटा रहा हो लेकिन यह सबक देता है कि चेतावनियों को नजरअंदाज करना कभी-कभी भारी पड़ सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में इतिहास के पन्नों को पलटें तो ऐसे कई युद्ध हुए हैं जो सालों तक चले हैं। इनकी कहानी भी काफी लंबी रही है। ज्यादातर युद्ध अपनी लंबाई, तबाही और रणनीति के लिए जाने जाते हैं। अब वर्ल्ड वॉर प्रथम और द्वितीय को ही देख लीजिए। ये युद्ध तकरीबन चार से छह सालों तक चला था। हालांकि आपने कभी ऐसे किसी युद्ध के बारे में सुना है जो मात्रा 38 मिनट में ही समाप्त हो गई थी?
अगर नहीं, तो हम आपको ऐसे ही एक युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया का सबसे छोटा युद्ध माना जाता है। बताया जाता है कि 38 मिनट तक चले इस युद्ध में दुश्मनों ने घुटने टेक दिए थे। यह युद्ध 27 अगस्त 1896 को ब्रिटेन और जांजीबार (अब तंजानिया का हिस्सा) के बीच लड़ा गया था। आइए इस युद्ध के बारे में विस्तार से जानते हैं-
जांजीबार की सत्ता को लेकर हुआ था विवाद
आपको बता दें कि यह युद्ध पॉलिटिकल डिस्प्यूट के कारण शुरू हुआ था। उस दौरान ब्रिटेन की सेना ने बिना किसी मेहनत के इस युद्ध को समाप्त कर दिया था। दरअसल, जांजीबार की सत्ता को लेकर विवाद होने लगा था, इसी कारण युद्ध हुआ। इसका अंत सिर्फ एक चेतावनी को अनदेखा करने के बाद हुआ। इस छोटे से युद्ध ने यह भी दिखाया कि रणनीतिक ताकत और सैन्य ताकत के आगे राजनीतिक जिद कैसे बेअसर हो जाती है।
कैसे शुरू हुआ था विवाद?
दरअसल, 1893 में ब्रिटिशों ने जांजीबार की देखरेख का जिम्मा सैयद हमद बिन थुवैनी को सौंप दिया था। वह ब्रिटिशों के साथ शांतिपूर्वक शासन चला रहे थे। लेकिन 25 अगस्त 1896 को उनकी अचानक मौत हो गई। हमद बिन की माैत के बाद जांजीबार की सत्ता पर उनके भतीजे खालिद बिन बर्गश ने खुद को जांजीबार का सुल्तान घोषित कर लिया।
ब्रिटेन ने दिया था आदेश
उस समय जांजीबार पर ब्रिटेन का अधिकार था। ब्रिटेन को खालिद बिन बर्गश द्वारा जांजीबार की सत्ता हथियाना पंसद नहीं आया। ऐसे में ब्रिटेन ने खालिद को सुल्तान पद से हटने का आदेश दिया। दरअसल, ब्रिटेन चाहता था कि सुल्तान हमद के उत्तराधिकारी के रूप में हमद के चचेरे भाई हमुद बिन मोहम्मद को गद्दी पर बिठाया जाए।
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बर्गश ने आदेश को कर दिया अनसुना
इस दौरान बर्गश ने आदेश को अनसुना कर दिया। ऊपर से उसने अपनी और महल की सुरक्षा के लिए चारों तरफ करीब 3000 सैनिकों को तैनात कर दिया। यह बात जब ब्रिटेन को पता चली तो उसने एक बार फिर खालिद से सुल्तान पद छोड़ने को कहा। लेकिन इस बात पर भी खालिद ने ध्यान नहीं दिया।
38 मिनट में ही मान ली थी हार
इसके बाद ब्रिटेन ने चेतावनी दी कि अगर वह सुबह 9 बजे तक आत्मसमर्पण नहीं करता है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूर खालिद टस से मस नहीं हुआ। 27 अगस्त की सुबह 9 बजकर 2 मिनट पर ब्रिटिश ने हमला कर दिया। एक बार जब युद्ध शुरू हुआ तो खालिद की सेना ने मात्र 38 मिनट में ही हार मान ली।
500 लोग हुए थे घायल
ब्रिटिश सेना ने महल को तबाह कर दिया। इसके बाद खालिद वहां से भाग निकला। युद्ध में खालिद के लगभग 500 लोग घायल हुए थे जबकि ब्रिटिश सेना का केवल एक ही नाविक घायल हुआ था। 38 मिनट में युद्ध के खत्म होने के कारण ही इसे दुनिया का सबसे छोटा युद्ध माना जाता है।
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