डिस्लेक्सिया जैसी समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए मददगार साबित हो सकता है एआई
डिस्लेक्सिया हो या एस्परगर्स सिंड्रोम इनका सीधा अर्थ है बच्चों में पढ़ाई-लिखाई और कुछ विशेष बातों पर सामान्य से इतर व्यवहार। दिन-प्रतिदिन विकसित होती तकनीक इन खास बच्चों के लिए मददगार साबित हो रही है। एआई एक ऐसा ही तरीका साबित हो रहा है। आरती तिवारी ने की पड़ताल कि कैसे समय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बन चुकी है इन बच्चों की सलाहकार।

आरती तिवारी, नई दिल्ली। फिल्म ‘तारे जमीन पर’ का ईशान तो याद ही होगा। डिस्लेक्सिक यानी पढ़ने-लिखने में धीमेपन की तकलीफ झेल रहे ईशान को मम्मी-पापा ने तो नहीं, मगर अध्यापक ने उसकी बुद्धिमत्ता के हिसाब से पढ़ाया और काबिल बना दिया। ‘माइ नेम इज खान’ में शाह रुख खान का किरदार जिस मानसिक तकलीफ का शिकार था, वह थी एस्परगर्स सिंड्रोम। जिसमें फिल्म का वह किरदार लोगों के साथ सामान्य तौर-तरीके से बात- व्यवहार करने में असमर्थ होता है, मगर उसकी मां बनती हैं सहायक व देती हैं दुनियादारी के सबक और बना देती हैं उसे सबसे समझदार। अब सामान्य वास्तविक जीवन में ऐसा ही कोई सहायक मिल जाए, यह उतना संभव नहीं, मगर डिस्लेक्सिया और एस्परगर्स सिंड्रोम जैसी न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों वाले बच्चों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आशा का प्रकाश साबित हो रहा है। एआई का उपयोग करके हम अधिक अनुकूल और सहज वातावरण बना सकते हैं, जहां ऐसे न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों के लिए बन सकती है सामान्य दुनिया।
जैसी समझ वैसा ट्यूटर
डिस्लेक्सिया, जो पढ़ने और लिखने की क्षमताओं में बाधा डालता है, बच्चों के शैक्षणिक और सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। बच्चों को किसी स्तर पर लिखने-पढ़ने में मुश्किल आ रही है या यह वाकई डिस्लेक्सिया है, इसे ओसीआर (आप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) से पहचाना जा सकता है। इसकी मदद से बच्चों की लिखी कापी देखकर सही स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सकता है। अच्छी बात यह है कि आजकल ऐसे बच्चों की समझ के हिसाब से पढ़ाई के लिए एआई-संचालित उपकरण आसानी से उपलब्ध हैं। ये एआई एल्गोरिदम से बच्चे के पढ़ने के तरीके का विश्लेषण करके उसके लिए उपयुक्त शैक्षणिक सामग्री तैयार करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बच्चे को सही गति और कठिनाई के स्तर पर पढ़ाई कराई जाए। इसके अलावा टेक्स्ट-टू-स्पीच और स्पीच-टू-टेक्स्ट जैसी तकनीकें टेक्स्ट को आडियो में और आडियो को टेक्स्ट में बदलने में मदद करती हैं, जिससे डिस्लेक्सिक बच्चों के लिए पढ़ना और लिखना आसान हो जाता है। एआई-संचालित शिक्षण प्लेटफार्म भी बच्चे की सीखने की शैली और गति के अनुसार खुद को ढाल सकते हैं, जिससे उन्हें तात्कालिक प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मिलता है।
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सिखाता है समाज के गुर
आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का एक प्रकार एस्परगर्स सिंड्रोम बच्चों को अक्सर सामाजिक बातचीत, संचार आदि में कठिनाइयां महसूस कराता है। इस संदर्भ में एआई महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, बच्चों को सामाजिक कौशल सिखाने के लिए एआई का उपयोग किया जा सकता है, जिससे वे एक सुरक्षित और नियंत्रित माहौल में संवाद और बातचीत के कौशल का अभ्यास कर सकते हैं। इसके अलावा, एआई बच्चे के व्यवहार और उसके चारों ओर के वातावरण में पैटर्न का विश्लेषण करके बच्चे में उसकी भावनाओं को पहचानने और उसे प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। साथ ही, एआई आधारित एप ऐसे बच्चों को उनकी भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने में सहायता कर सकते हैं।
भविष्य के गुरु
आज डिजिटल क्लासरूम एक सामान्य बात बन चुकी है। तकनीक के तेजी से विकास के साथ यह स्पष्ट है कि न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों की मदद में एआई की क्षमता बेहद महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे तकनीक में प्रगति हो रही है, हम नए और प्रभावी समाधानों की उम्मीद कर सकते हैं। एआई बच्चे के प्रदर्शन पर त्वरित प्रतिक्रिया दे सकता है, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाने में मदद मिलती है। इसी तरह, एआई बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करके अधिक समावेशी कक्षाओं का निर्माण कर सकता है। हालांकि एआई में अद्भुत संभावनाएं हैं, मगर यह महत्वपूर्ण है कि इसे इंसानों के सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जाए, न कि इसके स्थान पर। एआई के प्रभावी और नैति उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों, चिकित्सकों और माता-पिता को सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। भविष्य यही है कि एआई की क्षमताओं का सही उपयोग करके हम न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों में छुपी खूबियों और क्षमताओं को सामने ला सकते हैं!
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