AIIMS News: डिस्लेक्सिया रोग से पीड़ित बच्चों के लिए एम्स ने लांच की वेबसाइट
AIIMS News डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चे आमतौर पर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि आमिर खान की फ़िल्म तारे जमीन पर में मौजूद बच्चे दर्शील सफारी को भी यही बीमारी दिखाई गई है।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बुधवार को बच्चों में पाई जाने वाली न्यूरोलाजिकल बीमारी डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक वेबसाइट http://readabled.com लांच की गई। इसकी मदद से उन्हें सामान्य बच्चों की तरह पढ़ने, लिखने और सीखने में मदद मिलेगी। एम्स ने इस वेबसाइट से मदद पाने वाले बच्चों का फंक्शनल एमआरआइ कर यह भी पता लगाया कि उनका दिमाग सामान्य बच्चों की तरह काम कर रहा है। एम्स के बाल न्यूरोलाजी विभाग की प्रो. डा. शैफाली गुलाटी ने बताया कि डिस्लेक्सिया में पढ़ना, लिखना और शब्दों का विन्यास कर पाना मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क शब्दों या अक्षरों को मिला देता है।
देश में हर पांच में से एक बच्चा है डिस्लेक्सिया रोग से पीड़ित
डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चे आमतौर पर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि आमिर खान की फ़िल्म तारे जमीन पर में मौजूद बच्चे दर्शील सफारी को भी यही बीमारी दिखाई गई है। उन्होंने बताया कि देश में पांच में से एक बच्चा डिस्लेक्सिया रोग से पीड़ित है। डा. शैफाली ने आगे बताया कि इस वेबसाइट में आठ माड्यूल के माध्यम से बच्चों को आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के जरिए सामान्य बच्चों की तरह पढ़ने, लिखने और समझाने के रचनात्मक तरीके मौजूद हैं। एम्स में विश्व मस्तिष्क दिवस के अवसर पर स्कूली बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं: सुझाव व समाधान विषय पर सार्वजनिक व्याख्यान का आयोजन भी हुआ। इसमें कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। व्यख्यान के दौरान ही वेबसाइट को लांच किया गया।
वेबसाइट से बच्चों के दिमाग में सामान्य बच्चों जैसे दिखे बदलाव
एम्स ने इस वेबसाइट की मदद पाने वाले डिस्लेक्सिया से पीड़ित 44 बच्चों का एफएमआरआइ किया और पाया कि उनके दिमाग में भाषा सीखने और अक्षरों को समझने वाले कार्यों में सामान्य बच्चों की तरह ही बढ़ोतरी हुई है। अब एम्स आइआइटी दिल्ली के साथ मिलकर आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीक पर आधारित ऐप भी विकसित कर रहा है। आइआइटी की तरफ से इस कार्य को प्रो. तपन मेंहदी देख रहे हैं।
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