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    नई महामारी की वजह बन सकता है आर्कटिक बर्फ के नीचे दबा Zombie Virus, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

    Updated: Wed, 24 Jan 2024 01:40 PM (IST)

    Zombie viruses एक तरफ जहां कोरोना महमारी अभी तक हमारी पीछा नहीं छोड़ रही हैं तो वहीं अब वैज्ञानिकों ने एक और नई महामारी को लेकर चिंता जाहिर की है। दरअसल वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़ते तापमान की वजह से हो रही ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आर्कटिक बर्फ पिघलने से जॉम्बी वायरस के रिलीज होने का खतरा बढ़ रहा है। यह वायरस एक नई महामारी की वजह बन सकता है।

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    जॉम्बी वायरस को लेकर वैज्ञानिकों से जारी की चेतावनी

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Zombie viruses: कोरोना महामारी का भयानक मंजर आज भी लोगों के जहन में मौजूद है। उस भयावह दौर को याद कर आज भी कई लोगों के जख्म ताजे हो जाते हैं। इस महामारी ने दुनियाभर में कई लोगों की जान छीन ली थी। आज तक कई लोग इसके दर्द से उभर नहीं पाए हैं। आज भी इस वायरस के नए स्ट्रेन लोगों की चिंता बढ़ा देते हैं। इसी बीच अब एक और वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने 'जॉम्बी वायरस' को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

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    नई महामारी का खतरा

    वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि आर्कटिक में बर्फ की परतों के नीचे दबा 'जॉम्बी वायरस' नई महामारी की वजह बन सकता है। लगातार बढ़ते तापमान की वजह से यह खतरा और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग के परिणामस्वरूप जमी हुई बर्फ पिघल रही है, जिससे 'जॉम्बी वायरस' रिलीज हो सकता है, जो एक नई महामारी को जन्म दे सकता है।

    बर्फ पिघलना चिंता का विषय

    वैज्ञानिकों की मानें तो तापमान में होती बढ़ोतरी से गर्म हो रही पृथ्वी और शिपिंग, माइनिंग जैसी मानवीय गतिविधियों में हो रही वृद्धि के चलते आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट में फंसे पुराने 'जॉम्बी वायरस' बाहर निकल सकते हैं, जिससे एक और नई महामारी आ सकती है। पर्माफ्रॉस्ट पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे स्थायी रूप से जमी हुई परत को कहा है। मिट्टी, बजरी और रेत से बनी यह परत आमतौर पर बर्फ से एक साथ बंधी होती है।

    वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

    बीते साल एक वैज्ञानिक ने इस बड़े खतरे को समझने के लिए साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से लिए नमूनों से शोध किया था। इस शोध के आधार पर उन्होंने आर्कटिक में नीचे दबे वायरस के बारे में बताया था। वैज्ञानिकों की मानें तो आर्कटिक में मौजूद ये वायरस हजारों सालों से जमे हुए हैं और पर्माफ्रॉस्ट में निष्क्रिय हैं, लेकिन बीमारियों के फैलने और फैलाने का जोखिम रखते हैं।

    ऐक्स-मार्सिले विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक जीन-मिशेल क्लेवेरी के मुताबिक हजारों साल से संरक्षित ये वायरस एक नई बीमारी के फैलने के संभावित एजेंट हैं। ऐसे में आर्कटिक से बर्फ गायब होने की वजह से बर्फ में दबे यह वायरस बढ़ सकते हैं और दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं।

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    Picture Courtesy: Freepik