खुद ही निकालनी होगी, खुशहाली की राह; महिलाएं इस तरह रखें अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान
सामाजिक आर्थिक लैंगिक और आनुवंशिक जैसे तमाम कारण महिलाओं की मानसिक सेहत को प्रभावित करते हैं। वहीं कामकाजी और घर में रहने वाली महिलाओं के मानसिक संघर्ष में भी अंतर है। जिम्मेदारी के बोझ निरंतर तनाव से जूझते रहने की स्थिति में क्या है तन-मन को दुरुस्त रखने का तरीका आइए डॉ. संजय गुप्ता (मनोचिकित्सक एवं डीन आइएमएस बीएचयू वाराणसी) से जानें।

सीमा झा, नई दिल्ली। बच्चों को समय पर स्कूल भेजने से ब लेकर परिवार के हर सदस्य का खयाल रखने तक महिलाएं सुबह से शाम तक अनेक जिम्मेदारियों में घिरी होती हैं। घर में रहने वाली स्त्रियां इससे अधिक प्रभावित हैं।
यह दबाव उन पर इतना हावी होता है कि वे अपनी खराब होती सेहत से भी बेखबर रहती हैं। आज अधिकांश भारतीय महिलाएं आयरन की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में अगर स्वास्थ्य के प्रति लंबे समय तक लापरवाही बनी रहे तो गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
वास्तव में, महिलाओं की जीवनशैली परिवार में उनकी भूमिका और परिवार व समाज की अपेक्षाएं मानसिक सेहत को जोखिम में डाल रही हैं। ऐसे में निरंतर चिड़चिड़ापन, छोटी सी बात पर रोने, जल्दी क्रोध करने या आक्रामक होने की आदत उन्हें बीमार बना रही है। आगे चलकर यही एंजाइटी, अवसाद का रूप ले सकते हैं।
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निरंतर तनाव में रहने का दुष्प्रभाव
- शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द
- हाइपरटेंशन, पैनिक अटैक आदि
- हृदयरोग की आशंका
- पाचन तंत्र की गड़बड़ी
- अनियमित व पीड़ायुक्त मासिक धर्म
- चयापचय संबंधी विकार (जैसे मधुमेह, मोटापा)
- रजोनिवृति से जुड़ी परेशानी
- पालीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
समझना होगा कारणों को
- सांस्कृतिक पहलू- तनाव का संबंध रहन- सहन से है। परंपराओं में कुछ ऐसी बातें निहित होती हैं जो अनजाने में ही आदत में शामिल रहती हैं | स्त्री-पुरुष असमानता, उनका वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर नहीं होना, घर की स्त्रियों में अवसाद का एक बड़ा कारण है। अक्सर उनकी प्राथमिकताओं को अनुसना कर दिया जाता है। यह मान लिया जाता है कि घर संभालना काम है तो वे करेंगी ही । यही सोच कई बार उनके आत्मविश्वास को कमजोर करने लगता है । सहयोग नहीं मिलने के कारण वे अकेलेपन का शिकार होने लगती हैं।
- अपना ध्यान नहीं रखना- घर पर रहने वाली महिलाएं आज भी सबसे बाद में भोजन करती हैं। घर पर रहकर भी वे आराम करने, शौक पूरा करने या अपनी सेहत को प्राथमिकता नहीं दे पातीं। संयुक्त परिवार में यह चुनौती और भी बड़ी हो सकती है।
- अपेक्षित मदद नहीं मिलना- निरंतर दबाव में रहने से नींद की कमी, घबराहट होती है । इससे वजन बढ़ने, रक्तचाप की समस्या और हार्मोनल असंतुलन जैसी परेशानियां अवसाद को जन्म दे सकती हैं। इसलिए खुशहाल रहने के लिए स्वयं ही राह तलाशनी चाहिए।
- भावनात्मक आवश्यकताओं की अनदेखी- भावनात्मक आवश्यकताओं जैसे, कुछ विशेष खानपान या कोई आयोजन आदि करने पर प्रशंसा न हो या किसी काम की अनदेखी हो, तो वे स्वयं को अनसुना महसूस कर सकती हैं । वह सबका ध्यान रखती हैं, पर उनकी भावनाओं को नहीं समझा जाता तो यह सोचकर उपेक्षित महसूस कर सकती हैं।
परिवार की भी है जिम्मेदारी
- घर की स्त्री का सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम परिवार है। यदि यहां अनदेखी होती है तो यह उनके लिए एक बड़ा आघात हो सकता है।
- यदि जल्दी क्रोधित होती हैं तो अनादर न करें। उनकी भावनाओं को समझें, मदद की पहल करें।
- किसी अन्य से तुलना न करें। उनके कार्यों को सराहें । उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें ।
- संवाद बनाए रखें। अपनी जरूरतों, समस्याओं को एकतरफा सुनाने के साथ उनकी बातों को ध्यान से सुनें।
- मेरे पास आपके लिए इतना समय नहीं है या अपना ध्यान खुद रखना चाहिए, मैं खुद परेशान हूं, ऐसे वाक्यों का प्रयोग न करें।
- समय का अभाव सामान्य चीज है, पर घर से बाहर रहकर उनसे जुड़े रहें। मोबाइल पर छोटा सा संदेश या अवसर विशेष पर उनके लिए समय निकालने का प्रयास करें।
- यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उन्हें आश्वस्त करें कि घर के कार्य वशेष जिम्मेदारी आप पूरा कर सकते हैं।
महिलाएं खुद भी रखें अपना ध्यान
- किताब पढ़ना हो या संगीत सुनना अथवा सुबह की सैर, अपने पसंदीदा कार्यों के लिए समय जरूर निकालें। आप प्रसन्न रहेंगी तो औरों को भी प्रसन्न रख सकेंगी।
- किसी को आप बदल नहीं सकतीं, इसलिए स्वयं की सेहत पर अधिक ध्यान दें ।
- किसी समुदाय, क्लब आदि से जुड़ें। कोई खेल या कौशल सीखें। इससे मन और मस्तिष्क, दोनों की सेहत अच्छी रहेगी।
- अनदेखी महसूस हो तो यह गलतफहमी भी हो सकती है। कोई बात मन को ठेस पहुंचा रही है तो उसे अपनों से साझा करें।
- अपने कार्यों को पूरा करने के लिए मदद मांगने से नहीं झिझके। याद रहे घर की जिम्मेदारी केवल आपकी नहीं, पूरे परिवार की है।
- नियमित कसरत, योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की प्रक्रिया से आप अपना तनाव कम कर सकती हैं। यदि यह अधिक है तो चिकित्सक से परामर्श में देर न करें।
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