क्या आप योग को केवल आसन मानते हैं? जानिए इसका मन से क्या है गहरा रिश्ता
यह लेख योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिसमें मनोविज्ञान दर्शन और तकनीकी पहलू शामिल हैं। योग विशेषज्ञ डा. हंसा जी योगेंद्र के अनुसार योग का उद्देश्य शरीर को सक्रिय रखना रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बनाए रखना और नाभि का ध्यान रखना शामिल है। योग करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता है।

सीमा झा, नई दिल्ली। शरीर और मन का साथ जुड़ना ही योग है। योग मन को दिशा देने की बात करता है। योग का सीधा मतलब एकाग्रता भी है। जब आप लंबे समय तक फोकस्ड रहते हैं तो वह ध्यान बन जाता है। योग के साथ कई विषय जुड़े हैं, जिनमें से एक है मनोविज्ञान। मन को कैसे सोचना चाहिए, क्या प्रतिक्रिया करनी चाहिए, योग इसे स्पष्ट करता है। इसके बाद आप जान पाते हैं कि जब किसी की बात बुरी लग जाए तो आपको कैसी प्रतिक्रिया देनी है।
राष्ट्रीय योग संस्थान, मुंबई के निदेशक और योग विशेषज्ञ डा. हंसा जी योगेंद्र ने बताया कि यह कैसे संभव है? उन्होंने बताया कि योग का दूसरा विषय दर्शन भी है। इसके अनुसार, अपने कर्म पर पूरा ध्यान देना चाहिए। जो आप कर रहे हैं उसका क्या उद्देश्य है, यह स्पष्ट होना चाहिए। दर्शन में कर्म का सिद्धांत भी जुड़ा है, जो यह बताता है कि कर्म का फल भोगना होगा।
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योग विशेषज्ञ डॉ. हंसा जी योगेंद्र
योग शरीर को एक्टिव रखता है
योग का तीसरा पक्ष है इसका तकनीकी पहलू। आसन, मुद्रा, प्राणायाम; ज्यादातर लोग इस तकनीकी पक्ष को ही योग समझते हैं। योग के दोनों पहलू यानी मनोविज्ञान और दर्शन को कैसे आत्मसात करना है, इसके लिए तकनीकी पक्ष का उपयोग होता है। योग केवल योगा मैट बिछाकर, अच्छे साधनों से लैस होकर क्रियाओं, आसनों को करना नहीं है। योग का सरल उद्देश्य है शरीर को सक्रिय रखना। जो अंग ठीक से काम नहीं कर रहा, उससे संबंधित आसन करना।
शरीर में बना रहता है लचीलापन
योगशास्त्र के अनुसार, शरीर के दो क्षेत्रों पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए। पहला, रीढ़ सीधी रहे, इसमें लचीलापन हो। दूसरा, नाभि क्षेत्र का ध्यान। इनके लिए अलग-अलग प्रकार के आसन बताए गए हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि योग आसन, सूर्य नमस्कार के प्रति इतने आग्रही हो जाएं कि आपको सेहत को लेकर एक अलग चिंता हावी हो जाए कि अमुक व्यक्ति कितना बढ़िया आसन करता है और मुझसे नहीं हो रहा। ऐसी चिंता योग के वास्तविक उद्देश्य से दूर करती है।
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इन चीजों को दें महत्व
आप सूर्य नमस्कार कर रहे हैं, यही अच्छी बात है। ध्यान रहे कि सुबह उठकर सूर्य की किरणों को शरीर पर पड़ने देने के भी लाभ हैं। वास्तव में आपका पूरा ध्यान दिनचर्या सुधारने पर होना चाहिए। इसमें स्वस्थ खानपान व शारीरिक सक्रियता शामिल है। नेचर के करीब जाएं, संगीत सुनें और आराम को भी समान महत्व दें। योग में इन्हें आहार-विहार कहा गया है।
बनर रहती है पॉजिटिविटी
यह योग का जरूरी पहलू है, जिसकी आज बड़ी उपेक्षा हो रही है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच आपकी दिनचर्या व क्रियाकलाप कैसा है, यह आचार है। आचार के बाद है आपका विचार। विचार यानी आपका नजरिया कैसा है? आप शिकायत करते रहते हैं, चिंता में डूबे रहते हैं या विपरीत परिस्थितियों में भी आपकी सकारात्मकता बनी रहती है। योग के ये सभी पहलू आपस में गुंथे हुए हैं। इनमें एक भी बिगड़ जाए तो जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- योग के 20-30 मिनट के बाद स्नान करें। तुरंत बाद स्नान करने से शरीर का तापमान अचानक बदलता है, जिससे सर्दी-जुकाम की आशंका रहती है।
- योग करने के 30 मिनट बाद ही कुछ खाएं।
- दो समय की हेल्दी डाइट आपके लिए पर्याप्त है।
- पांच दिन तक योग शुरू करने से पहले सूक्ष्म क्रियाएं करें।
- तीन महीने बाद योग का असर दिखना शुरू हो जाता है।
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