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    ज्यादा स्क्रीन टाइम पहुंचा रहा है बच्चों की आंखों को नुकसान, डॉक्टर से जानें कैसे रखें उनका ख्याल

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 08:13 AM (IST)

    आजकल हमारा ज्यादा से ज्यादा काम कम्प्यूटर या स्मार्टफोन पर ही होता है। बच्चों की भी पढ़ाई से लेकर एंटरटेंमेंट तक सबकुछ फोन या लैप्टॉप पर काफी निर्भर है। ऐसे में बढ़ते स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों (Tips for Eye Care) का ध्यान रखकर उनकी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं।  

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    बच्चों की आंखों का ऐसे रखें ध्यान (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के डिजिटल दौर में, स्मार्टफोन, टैबलेट और कम्प्यूटर बड़ों ही नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक, हर चीज के लिए स्क्रीन का इस्तेमाल बढ़ गया है। तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल एक ओर जहां बच्चों के लिए नए अवसरों के दरवाजे खोल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके आंखों के स्वास्थ्य (Children's Eye Care) के लिए एक बड़ी चिंता भी पैदा कर रहे हैं। 

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    दरअसल, स्क्रीन पर लंबे समय तक नजर गड़ाए रहने से बच्चों में डिजिटल आई स्ट्रेन, आंखों में ड्राईनेस, धुंधलापन और यहां तक कि मायोपिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में, पेरेंट्स के लिए यह समझना जरूरी है कि वे अपने बच्चों की कीमती आंखों की देखभाल कैसे करें। आइए इस बारे में डॉ. महिपाल सिंह सचदेवा (चेयरमैन एंड मेडिकल डायरेक्टर, सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल) और डॉ. पवन गुप्ता (सीनियर कैटरैक्ट एंड रेटिना सर्जन, आई 7 हॉस्पिटल, लाजपत नगर)  से जानते हैं। 

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    स्क्रीन टाइम को व्यवस्थित करने के लिए नियम

    बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखने का सबसे पहला और जरूरी कदम है स्क्रीन से हर थोड़ी देर पर ब्रेक लेना। इसके लिए '20-20-20 नियम' एक बेहतरीन तरीका है-

    • हर 20 मिनट के बाद, बच्चों को अपनी नजर 20 फीट (लगभग 6 मीटर) दूर किसी तीज पर, कम से कम 20 सेकंड के लिए टिकाना चाहिए।
    • यह नियम आंखों की मांसपेशियों को आराम देता है और तनाव को कम करता है। साथ ही, बच्चों को बार-बार पलक झपकने के लिए कहें, क्योंकि स्क्रीन देखते समय हम अनजाने में कम पलकें झपकाते हैं, जिससे आंखें सूख जाती हैं।

    सही पोस्चर और स्क्रीन की दूरी

    बच्चों के आंखों के स्वास्थ्य के लिए सही पोस्चर और स्क्रीन से दूरी बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।

    • स्क्रीन को बच्चे के चेहरे से लगभग 18 से 24 इंच की दूरी पर रखें।
    • स्क्रीन हमेशा आंखों के स्तर पर होनी चाहिए। इससे गर्दन और आंखों दोनों पर कम दबाव पड़ता है।
    • स्क्रीन की ब्राइटनेस को कमरे की रोशनी के अनुसार कॉर्डिनेट करें। बहुत ज्यादा या बहुत कम रोशनी, दोनों ही आंखों पर दबाव डालते हैं। ग्लेयर से बचने के लिए एंटी-ग्लेयर स्क्रीन प्रोटेक्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • स्मार्टफोन और कम्प्यूटर में उपलब्ध ब्लू लाइट फिल्टर या 'नाइट मोड' का इस्तेमाल करना भी हानिकारक ब्लू लाइट का एक्सपोजर कम करने में मदद मिलेगी।

    आउटडोर समय और नियमित जांच

    बाहर समय बिताना मायोपिया के जोखिम को कम करने में मदद करता है। प्राकृतिक रोशनी स्वस्थ आंखों के विकास में सहायक होती है। इसलिए, बच्चों को रोजाना कम से कम एक घंटा बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें, भले ही मौसम कैसा भी हो।

    आंखों के लिए हेल्दी डाइट 

    आंखों को ड्राई होने से बचाने के लिए हाइड्रेशन का ध्यान रखें और बच्चों को भरपूर मात्रा में पानी पीने की सलाह दें। साथ ही, नारियल पानी और जूस पिलाएं। खाने में विटामिन-ए, सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर फूड्स शामिल करें। 

    इसके अलावा, पेरेंट्स को चाहिए कि वे नियमित रूप से बच्चों का आई चेकअप करवाएं। अगर बच्चा आंखों में बेचैनी, सिरदर्द, या देखने में परेशानी के संकेत दिखाता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती जागरूकता और अच्छी आदतें बच्चों की आंखों की रोशनी को डिजिटल युग में सुरक्षित रखने के लिए बेहद जरूरी हैं।

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