World Preeclampsia Day 2025: मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है प्रीएक्लेम्प्सिया, ऐसे करें बचाव
हर साल 22 मई को वर्ल्ड प्रीएक्लेम्प्सिया डे मनाया जाता है जिसका मकसद प्रीएक्लेम्प्सिया के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह प्रेग्नेंसी में होने वाली एक गंभीर समस्या है जिसमें ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और लिवर व किडनी जैसे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। आइए जानें प्रीएक्लेम्प्सिया से बचने (Preeclampsia Prevention) के लिए क्या करना चाहिए।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्रेग्नेंसी एक खास सफर है, जो होने वाली मां के लिए बेहद खास होता है। लेकिन इस दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव भी होते हैं (Preeclampsia Symptoms), जिसकी वजह से सतर्क रहना जरूरी हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को प्रीएक्लेम्प्सिया जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है। इस बारे में लोगों को ज्यादा से जागरूक बनाने के लिए हर साल 22 मई को वर्ल्ड प्रीएक्लेम्प्सिया डे (World Preeclampsia Day 2025) मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने के पीछे का मक्सद लोगों को इस बारे में जानकार और सतर्क बनाना है, ताकि इसकी वजह से होने वाली मौंतों और कॉम्प्लिकेशन्स को कम किया जा सके। आइए डॉ. आदित्य विक्रम (सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्स्ट्रेटिक्स और गायनेकोलोजी, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद) और डॉ. मनन गुप्ता (चेयरमैन एंड एचओडी- ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनोकोलोजी, इलांटिस हेल्थ केयर, नई दिल्ली) से जानते हैं कि प्रीएक्लेम्प्सिया होता क्या है और इससे कैसे बचा (Preeclampsia Prevention) जा सकता है।
क्या होता है प्रीएक्लेम्प्सिया?
प्रीएक्लेम्प्सिया प्रेग्नेंसी से जुड़ी एक कॉम्प्लिकेशन है, जिसमें प्रेग्नेंट महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसके कारण लिवर, किडनी जैसे ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचने लगता है। आमतौर पर यह प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते के बाद शुरू होता है, लेकिन उससे पहले बीपी बिल्कुल नॉर्मल होता है। अगर प्रीएक्लेम्प्सिया गंभीर रूप ले ले, तो इसकी वजह से प्रीमेच्योर डिलिवरी, प्लासेंटल अबरप्शन, एक्लेम्प्सिया और यहां तक मां और शिशु की मौत भी हो सकती है।
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हालांकि, प्रीएक्लेम्प्सिया का कारण क्या है यह अभी तक साफतौर पर पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह प्लासेंटा में असामान्य ब्लड वेसल्स विकसित होने की वजह से होता है। इसके कई रिस्क फैक्टर्स ऐसे होते हैं- पहली प्रेग्नेंसी, पहले भी प्रीएक्लेम्प्सिया का मामला रहा हो, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, किडनी से जुड़ी बीमारी, मल्टीपल प्रेग्नेंसी, डायबिटीज या प्रेग्नेंट महिला की उम्र ज्यादा होना।
कैसे कर सकते हैं प्रीएक्लेम्प्सिया से बचाव?
हालांकि, ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे प्रीएक्लेम्प्सिया के रिस्क को टाला जा सके। लेकिन प्रेग्नेंसी के शुरुआती स्टेज से ही हाई रिस्क वाली महिलाओं को सतर्कता बरतनी चाहिए। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर जांचें और यूरिन में प्रोटीन लेवल टेस्ट करें, ताकि इसका जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।
जिन महिलाओं में प्रीएक्लेम्प्सिया का रिस्क ज्यादा है, उन्हें लो-डोज एस्पिरिन से इसका रिस्क कम किया जा सकता है। जिन महिलाओं की डाइट में कैल्शियम की कमी होती है, वे कैल्शियम के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं, जो प्रीएक्लेम्प्सिया के रिस्क को कम करता है। साथ ही, अगर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को मैनेज करना भी इसके रिस्क को कम करने के लिए जरूरी है।
इसके साथ में, एक हेल्दी लाइफस्टाइल, बैलेंस्ड डाइट, एक्सरसाइज और हेल्दी वजन मेंटेन करके भी प्रीएक्लेम्प्सिया के रिस्क को कम किया जा सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रीएक्लेम्प्सिया के रिस्क और वॉर्निंग साइन्स के बारे में पता होना चाहिए और बहुत तेज सिरदर्द, धुंधला दिखना, पेट में दर्द, हाथ और चेहरे में सूजन जैसे संकेत नजर आते ही, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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