World Health Day 2025: प्रदूषण से पहुंच सकता है शिशु और मां की सेहत को नुकसान, बचाव के लिए रखें इन बातों का ध्यान
सेहत से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं होता। इसलिए लोगों को उनकी सेहत के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2025) मनाया जाता है। इस साल की थीम मेटरनल और न्यू बॉर्न बेबीज की हेल्थ पर फोकस करती है। आइए जानें इसी से जुड़े एक मुद्दे प्रदूषण कैसे प्रेग्नेंसी के दौरान खतरनाक हो सकता है के बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारी सेहत ही हमारा सबसे अनमोल खजाना है। यह तो आपने बड़े-बुढ़ों से सुना ही होगा और उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपको इस बात का एहसास भी हो रहा होगा। सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2025) मनाया जाता है।
इस साल वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम (World Health Day 2025 Theme) मेटरनल और न्यू बॉर्न हेल्थ पर फोकस करती है। प्रेग्नेंसी एक ऐसा समय होता है जब महिला के स्वास्थ्य का ध्यान रखना न केवल उसके लिए, बल्कि उसके होने वाले बच्चे के लिए भी बेहद जरूरी होता है।
ऐसे में इस दौरान वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व और टॉक्सिन्स मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं (Pregnancy and pollution)। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, हानिकारक केमिकल्स और घरेलू टॉक्सिन्स प्रेग्नेंट महिलाओं के फिजिकल और मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए इस बारे में डॉ. शिल्पा घोष (मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की यूनिट हेड और वरिष्ठ निदेशक) से जानते हैं।
वायु प्रदूषण और मेटरनल हेल्थ
वायु में मौजूद हानिकारक कण जैसे PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) प्रेग्नेंट महिला के रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं। ये छोटे कण फेफड़ों से ब्लड में मिलकर प्लासेंटा तक पहुंच सकते हैं, जिससे बच्चे के विकास में बाधा आ सकती है। वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले प्रसव, बच्चे का जन्म के समय कम वजन और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
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जल और मिट्टी में मौजूद टॉक्सिन्स
प्रदूषित जल में भारी धातुएं जैसे सीसा (लेड), आर्सेनिक और मरकरी पाई जा सकती हैं, जो गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हैं। ये धातुएं शरीर में जमा होकर हार्मोनल असंतुलन, किडनी की समस्याएं और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसी तरह, मिट्टी में मौजूद कीटनाशक और केमिकल फसलों के जरिए खाने में शामिल हो सकते हैं, जिससे शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
घरेलू प्रदूषण का प्रभाव
- घर के अंदर भी कई प्रदूषक मौजूद होते हैं, जैसे कि-
- रसोई से निकलने वाला धुआं (खाना पकाने के दौरान)
- क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में मौजूद हानिकारक केमिकल
- पेंट, ग्लू और सिंथेटिक सेंटेड प्रोडक्ट्स से निकलने वाली गैसें
ये सभी तत्व इनडोर एयर क्वालिटी को खराब करते हैं, जिससे अस्थमा, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाएं इनके प्रति ज्यादा सेंसिटिव होती हैं, क्योंकि उनकी इम्युनिटी इस दौरान कमजोर होती है।
मेंटल हेल्थ पर प्रभाव
प्रदूषण का असर केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण तनाव और एंग्जायटी बढ़ सकती है, जो गर्भावस्था में हानिकारक हो सकती है। प्रदूषण के कारण महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।
बचाव के उपाय
हालांकि, पूरी तरह से प्रदूषण से बच पाना मुश्किल है, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर जोखिम को कम किया जा सकता है-
- साफ हवा वाली जगहों पर समय बिताएं और भीड़-भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें।
- घर को हवादार बनाएं और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- शुद्ध पानी पिएं और ऑर्गेनिक फूड्स खाएं।
- केमिकल फ्री क्लीनिंग प्रोडक्ट्स के बजाय नेचुरल विकल्प चुनें (जैसे नींबू, सिरका आदि)।
- मास्क पहनकर बाहर निकलें, खासकर ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में।
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