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    World Cancer Day 2025: ब्रेस्ट कैंसर शरीर के साथ कैसे मानसिक स्वास्थ्य को भी करता है कमजोर, समझें डॉक्टर से

    Updated: Tue, 04 Feb 2025 08:41 AM (IST)

    हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस साल यह दिन (World Cancer Day 2025) मंगलवार को मनाया जा रहा है। इसी मौके पर हमने डॉ. से ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े एक गंभीर मुद्दे पर बात की। ब्रेस्ट कैंसर कैसे मरीज की मानसिक सेहत को प्रभावित करता है और इससे उबरने में कैसे उनकी मदद कर सकते हैं इस बारे में जानने की कोशिश की।

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    Breast Cancer सिर्फ शरीर ही नहीं, मानसिक सेहत को भी करता है प्रभावित (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Cancer Day 2025: ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ एक शारीरिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी लड़ाई है जो मरीज के मन और दिल पर गहरे निशान छोड़ जाती है। आज मेडिकल साइंस ने इसके इलाज में काफी प्रगति कर ली है, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं की लड़ाई सर्जरी और कीमोथेरेपी के बाद भी खत्म नहीं होती।

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    इस बीमारी का मानसिक स्वास्थ्य, बॉडी इमेज और रिश्तों पर गहरा असर पड़ता है (Breast Cancer Impact on Mental Health), जिससे ठीक होने का सफर और भी मुश्किल हो जाता है। इस बारे में और जानने के लिए हमने डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा (सी.के. बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक) से बात की।

    ब्रेस्ट कैंसर का मानसिक प्रभाव

    ब्रेस्ट कैंसर का पता चलते ही सबसे पहले मरीज इनकार की स्थिति में चले जाते हैं। ब्रेस्ट के खोने या शरीर में होने वाले बदलाव का डर महिलाओं को डॉक्टर से परामर्श लेने से रोकता है, जिससे बीमारी का पता अक्सर देर से चलता है। कई महिलाएं मास्टेक्टॉमी (ब्रेस्ट को हटाने की सर्जरी) या ब्रेस्ट को बचाने वाली सर्जरी के डर से जांच कराने से कतराती हैं, जिससे बीमारी और बढ़ जाती है। यह देरी न सिर्फ इलाज को मुश्किल बनाती है, बल्कि मानसिक बोझ को भी बढ़ा देती है।

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    सर्जरी के बाद का मानसिक संघर्ष

    ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी, चाहे वह मास्टेक्टॉमी हो या लम्पेक्टॉमी, महिलाओं के आत्मविश्वास और शरीर की छवि पर गहरा असर डालती है। ब्रेस्ट के आकार में बदलाव या उसके खोने से महिलाएं अक्सर खुद को कम आंकने लगती हैं। इससे उनमें डिप्रेशन, उदासी और सामाजिक अलगाव की भावना पैदा होती है। कई महिलाएं सोशल एक्टिविटीज से दूर हो जाती हैं और खुद में असहज महसूस करने लगती हैं।

    रिश्तों पर भी पड़ता है असर

    ब्रेस्ट कैंसर का असर रिश्तों पर भी पड़ता है, खासकर पति या पार्टनर के साथ। शोध बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर कई बार शादीशुदा जीवन में तनाव पैदा कर देता है, जिससे रिश्ते टूटने तक की नौबत आ जाती है। ब्रेस्ट के खोने और मानसिक तनाव के कारण इंटिमेसी और आत्मविश्वास प्रभावित होता है, जिससे रिश्तों में दरार आ सकती है।

    सर्जरी और पुनर्निर्माण में हुई प्रगति

    खुशखबरी यह है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में काफी प्रगति की है, जिससे मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है। रोबोटिक सर्जरी और ओंकोप्लास्टिक सर्जरी जैसी नई तकनीकों की मदद से डॉक्टर अब कैंसर ग्रस्त ऊतक को हटाने के साथ-साथ ब्रेस्ट के प्राकृतिक आकार को भी बनाए रख सकते हैं। रोबोटिक सर्जरी से की गई चीरों के निशान छिपे होते हैं, जिससे शरीर पर दिखने वाले निशान कम होते हैं। इसके अलावा, पुनर्निर्माण की तकनीकों से ब्रेस्ट को प्राकृतिक रूप दिया जा सकता है, जो मरीजों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

    मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरूरत

    इलाज में हुई प्रगति के बावजूद, ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को मानसिक सहायता की भी जरूरत होती है। काउंसलिंग, सपोर्ट ग्रुप और थेरेपी सेशन मरीजों को इस मुश्किल दौर से गुजरने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, मरीजों को पुनर्निर्माण के विकल्पों के बारे में जागरूक करना और उनके डर को समझना भी जरूरी है, ताकि वे सही फैसला ले सकें।

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