World Breastfeeding Week 2025: मां का गलत खानपान शिशु के लिए बन सकता है खतरा, पढ़ें डॉक्टर की सलाह
मां का दूध नवजात का एक मात्र आहार है। इससे मां और बच्चे दोनों को भावनात्मक लाभ मिलता है। जन्म के छह महीने तक शिशु को मां का ही दूध देना चाहिए लेकिन आजकल मां के दूध की पौष्टिकता प्रभावित हो रही है। कुछ महिलाओं द्वारा गलत और मादक पदार्थों के सेवन का असर शिशुओं की सेहत पर हो रहा है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Breastfeeding Week 2025: मां के दूध से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है और उसका विकास जल्दी होता है। लेकिन, जो मांए अल्कोहल या धूमपान करती हैं, उनके दूध से बच्चे की सेहत जोखिम में पड़ सकती है। दरअसल, स्तनपान कराने वाली महिलाएं आहार में जो कुछ भी लेती हैं, उसका असर दूध में भी होता है। ऐसे में कैफीन, निकोटिन जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
डॉ. सरोजा वालन (सीनियर कंसल्टेंट, नियोनेटोलोजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली) का कहना है कि नशीले पदार्थों में जो निकोटीन और इथेनाल की गंध होती है, वह मां द्वारा धूमपान या शराब पीने के 30 मिनट से एक घंटे बाद चरम पर पहुंच जाती है और उस वक्त अगर मां स्तनपान कराती हैं तो बच्चे के लिए वह बहुत हानिकारक हो सकता है। जिन बच्चों की मांएं धूमपान करती हैं, उनमें किशोरावस्था के दौरान धूमपान का जोखिम बढ़ जाता है।
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स्तनपान से दोनों को मिलता है लाभ
मां का दूध बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। स्तनपान के दौरान मां के अंदर से जो आक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है, उससे दोनों के बीच एक गहरा संबंध बनता है। मां का दूध शिशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए भी एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। जन्म के बाद शिशु को मां के दूध में ही सारे पोषक तत्व मिलते हैं। शिशु को जीवन के पहले छह महीनों में जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे सभी मां के दूध में मिल जाते हैं, जैसे वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज। बच्चे को स्तनपान कराने से मांओं में स्तन कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है । इसलिए सही और सुरक्षित ब्रेस्टफीडिंग आवश्यक है।
मां का आहार शुद्ध होना जरूरी
बच्चे के जन्म से छह महीने तक मां जो भी खाती-पीती हैं, उसका सीधा असर ब्रेस्टफीडिंग पर होता है। ऐसे में कैफीन या निकोटीन जैसे हानिकारक तत्वों के दूध में मिलने से शिशु का स्वास्थ्य खराब हो सकता है । इसीलिए, गर्भवती महिलाओं को पहले से ही सलाह दी जाती है कि वे इस तरह की चीजों का सेवन एकदम बंद कर दें, अगर किसी महिला को यह छोड़ने में दिक्कत आती है तो उसकी काउंसेलिंग की जाती है।
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