World Brain Tumor Day 2025: डॉक्टर ने बताई ब्रेन ट्यूमर से जुड़े 5 मिथकों की सच्चाई, आप भी रहें सावधान
क्या आपको लगता है कि मोबाइल-फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है? अगर हां तो आप अकेले नहीं हैं। ब्रेन ट्यूमर को लेकर हमारे समाज में कई गलत धारणाएं फैली हुई हैं जो अक्सर आधी-अधूरी जानकारी पर आधारित होती हैं। ऐसे में आइए 8 जून को मनाए जाने वाले World Brain Tumor Day 2025 के मौके पर डॉक्टर से जानें ऐसे 5 मिथकों की सच्चाई।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Brain Tumor Day 2025: ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते ही अक्सर लोग डर जाते हैं, लेकिन जितना डर इस बीमारी के नाम से लगता है, उतनी ही गलत धारणाएं भी इससे जुड़ी हुई हैं। इंटरनेट और कुछ जगहों पर मिलने वाली अधूरी या गलत जानकारी लोगों में भ्रम और घबराहट पैदा कर देती है। ऐसे में, आइए डॉ. शैलेश जैन (एसोसिएट डायरेक्टर - न्यूरोसर्जरी और हेड - न्यूरो-इंटरवेंशनल, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग) से जानते हैं ऐसे 5 मिथक (Brain Tumor Myths) और उनकी सच्चाई के बारे में।
मिथक 1: हर ब्रेन ट्यूमर कैंसर होता है
सच: यह बिल्कुल गलत है। हर ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं होता। कई बार ट्यूमर बेनाइन यानी गैर-कैंसरयुक्त होता है, जो बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, ये ट्यूमर शरीर में कहीं और नहीं फैलते, फिर भी दिमाग के संवेदनशील हिस्सों पर दबाव बनाकर सिरदर्द, दौरे या आंखों की रोशनी पर असर डाल सकते हैं। इसलिए सही समय पर जांच और इलाज बहुत जरूरी है।
मिथक 2: मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर होता है
सच: अब तक की शोधों से यह साबित नहीं हुआ है कि मोबाइल फोन का सामान्य उपयोग ब्रेन ट्यूमर की वजह बनता है। मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन non-ionizing होती है, जो डीएनए को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। इसके विपरीत, ionizing radiation (जैसे एक्स-रे) ज्यादा खतरनाक मानी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका की कैंसर सोसाइटी जैसी संस्थाएं लगातार इस पर नजर रखती हैं और उन्होंने मोबाइल उपयोग को ट्यूमर का कारण नहीं माना है।
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मिथक 3: अगर सिर दर्द होता है तो ब्रेन ट्यूमर जरूर है
सच: सिरदर्द कई कारणों से हो सकता है – जैसे माइग्रेन, तनाव या यहां तक कि पानी की कमी। ब्रेन ट्यूमर के कारण होने वाले सिरदर्द आमतौर पर लगातार बढ़ते हैं, एक जैसे रहते हैं और इनके साथ कभी-कभी उलझन, बोलने में दिक्कत या दौरे जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी होती हैं। अगर सिरदर्द लंबे समय तक बना रहे या उसमें कोई बदलाव दिखे, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
मिथक 4: ब्रेन ट्यूमर का मतलब मौत तय है
सच: आज की आधुनिक चिकित्सा ने ब्रेन ट्यूमर के इलाज में काफी प्रगति की है। सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट जैसी तकनीकों से अब ट्यूमर को समय रहते काबू में किया जा सकता है। कई लोग, जिनका ट्यूमर कैंसरयुक्त भी होता है, लंबा और सामान्य जीवन जीते हैं। इलाज की सफलता ट्यूमर की किस्म, उसके आकार, स्थान और मरीज की सेहत पर निर्भर करती है।
मिथक 5: ब्रेन ट्यूमर सिर्फ बूढ़े लोगों को होता है
सच: यह धारणा भी पूरी तरह ग़लत है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है- बच्चों, किशोरों और युवाओं में भी। वास्तव में, बच्चों में होने वाले ठोस ट्यूमरों में ब्रेन ट्यूमर प्रमुख है। उम्र केवल एक जोखिम कारक है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है।
सही जानकारी ही है सही इलाज की कुंजी
ब्रेन ट्यूमर को लेकर फैली गलतफहमियां न केवल मरीजों को डराती हैं, बल्कि सही समय पर इलाज की राह में भी रुकावट बन सकती हैं। जरूरी है कि हम सही जानकारी लें और समय पर डॉक्टर से संपर्क करें। अगर किसी को लंबे समय से सिरदर्द, दौरे या अन्य असामान्य लक्षण हों, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से जांच कराएं। जल्दी पहचान और इलाज से जीवन बचाया जा सकता है।
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