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    उम्र के साथ दिमाग हो रहा है कमजोर, भूल रहे हैं चीजें, तो डॉक्टर से जानें ब्रेन को पावरफुल बनाने के तरीके

    हर साल 22 जुलाई को World Brain Day मनाया जाता है। इस दिन को दिमाग से जुड़ी परेशानियों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। दिमाग से जुड़ी आम परेशानियों में Cognitive Decline यानी याददाश्त कमजोर होना और सोचने समझने की क्षमता कम होना आम है। आइए डॉक्टर से जानते हैं कॉग्नीटिव डिक्लाइन के लक्षण और बचाव के तरीके।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 22 Jul 2024 05:17 PM (IST)
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    Cognitive Decline होने पर नजर आते हैं ये लक्षण (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Brain Health Tips: दिमाग हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन जब भी इसका ख्याल रखने की बात आती है, हम इस पर ध्यान नहीं देते। हालांकि, इसका ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इसलिए न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर्स यानी दिमाग से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे (World Brain Day) मनाया जाता है।

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    वैसे तो बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त और सोचने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित होती है, लेकिन कई बार सिर पर चोट लगने या किसी मेडिकल कंडीशन की वजह से भी दिमाग की काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि कॉग्नीटिव डिक्लाइन यानी दिमाग के लगातार कमजोर होने के कुछ लक्षणों की पहचान करके जल्द से जल्द इसका इलाज करवाया जाए। इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. मुनिया भट्टाचार्य (मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम की साइकोलॉजिस्ट कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या बताया।

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    क्या है कॉग्नीटिव डिक्लाइन?

    कॉग्नीटिव डिक्लाइन का मतलब होता है-धीरे-धीरे लगातार दिमाग का कमजोर होना, जिसके कारण सोचने, सीखने और याद रखने की क्षमता कम होने लगती है। साथ ही, फोकस करने और रीजनिंग की क्षमता भी कम हो जाती है। कॉग्नीटिव डिक्लाइन के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर उन्हें बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।

    कॉग्नीटिव डिक्लाइन के लक्षण

    1. कमजोर याददाश्त- हाल-फिलहाल की बातें या घटनाएं याद न रहना, सामान कहीं रखकर भूल जाना, कोई ईवेंट या अप्वाइंटमेंट भूल जाना।
    2. भाषा से जुड़ी परेशानियां- अपने विचार प्रकट करने के लिए सही शब्दों को न चुन पाना, बोलते-बोलते बीच में रुक जाना, लोगों से बात करने में परेशानी महसूस करना
    3. जटिल काम करने में दिक्कत- ऐसे काम, जिनमें प्लानिंग और ऑर्गेनाइजिंग करनी पड़ती हो, उन्हें न कर पाना, जैसे- फाइनेंस से जुड़े काम या किताब से देखकर रेसिपी फॉलो करना आदि।
    4. मूड और पर्सनैलिटी में बदलाव- मूड स्विंग्स होना, एंग्जाइटी या डिप्रेशन महसूस होना या पर्सनैलिटी में अचानक बड़ा बदलाव आना।
    5. नीरसता- अपने पसंदीदा काम या हॉबी से अरुचि या सोशल फंक्शन से दूर होना

    कैसे कर सकते हैं कॉग्नीटिव डिक्लाइन से बचाव?

    • दिमाग एक्टिव रखें- ऐसी एक्टिविटीज करें, जिनसे दिमाग एक्टिव रहें और उसकी एक्सरसाइज हो, जैसे- पजल सॉल्व करें, कोई म्यूजिकल इंस्टूमेंट बजाना सीखें या कोई नई स्किल सीखें।
    • एक्सरसाइज करें- रोजाना एक्सरसाइज करने से दिमाग का ब्लड फ्लो बेहतर होता है, जिससे दिमागी सेहत को फायदा मिलता है। कोशिश करें कि हफ्ते में कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।
    • हेल्दी डाइट- संतुलित आहार खाएं, जिसमें सभी तरह के फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल हों। मेडिटिरेनियन डाइट दिमाग के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है।
    • सोशल इंगेजमेंट- सोशल कनेक्शन मजबूत बनाएं और सोशल एक्टिविटीज में शामिल हों।
    • भरपूर नींद लें- नियमित 7-8 घंटे की नींद लें, क्योंकि नींद की कमी की वजह से भी दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • मेडिकल कंडीशन ठीक करें- लंबे समय तक रहने वाली बीमारियां, जैसे- हाइपरटेंशन, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें।
    • स्मोकिंग और शराब न पिएं- स्मोकिंग और शराब पीने की वजह से भी दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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