World Bicycle Day 2025: पूरे शरीर के लिए जरूरी है साइकिलिंग, फायदे जान लेंगे ताे चाैंक जाएंगे आप
विश्व साइकिल दिवस 2025 3 जून को मनाया जाएगा। साइकिल चलाना पूरे शरीर के लिए एक बेहतरीन व्यायाम है जो मोटापे को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। यह फेफड़ों को मजबूत बनाता है। साइकिलिंग एक सरल और आनंददायक तरीका है जो फिटनेस को बेहतर बनाता है। साइकिलिंग स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

मिक्की मेहता, नई दिल्ली। साइकिल को सेहत की सवारी कहा जाता है। साइकिल पर्यावरण के साथ दोस्ती का कदम बढ़ा रही है। गूगल हेड क्वार्टर से लेकर आइआइटी कानपुर तक के कई बड़े अधिकारी साइकिल पर मिल जाते हैं। इस साल मोटापे के विरुद्ध भारत की लड़ाई में साइकिल को खास हथियार बनाया गया है। विश्व साइकिल दिवस तीन जून को मनाया जा रहा है। इस मौके पर फिट इंडिया के ब्रांड एंबेसडर मिक्की मेहता ने बताया कि संपूर्ण स्वास्थ्य की मुहिम में साइकिल कितनी कारगर है।
आज अगर दुनिया बहुत तेजी से भाग रही है तो लोग सुबह की शुरुआत के लिए एक धीमी सवारी क्यों चुन रहे हैं? आखिर क्यों वे अपनी लग्जरी कारों और दमदार बाइक्स को छोड़कर हफ्ते के अंत में साइकिल पर पैडल घुमाते हुए स्वजनों या मित्रमंडली के साथ लंबी सैर या कभी-कभी तो एडवेंचर ट्रिप पर निकल पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि वजह बहुत सीधी सी है और विश्वास मेरे इस अनुभव से जुड़ा हुआ है कि तेज रफ्तार जीवनशैली में साइकिलिंग का यह समावेश अच्छी सेहत, फिटनेस और लंबी जिंदगी का वादा करता है।
बन जाएं जिम्मेदार नागरिक
आज दुनिया में जहां हर तरफ डेडलाइन प्रेशर, ध्यान में भटकाव और डिजिटल थकान हावी है, वहां सरल सी साइकिल एक शक्तिशाली स्वास्थ्य क्रांति के रूप में उभर रही है। पर्यावरण की बात करें तो यह वास्तविक ‘हरित वाहन’ है और स्वास्थ्य की बात करें तो इसका संचालन शरीर को सुडौल, मन को शांत और एनर्जी लेवल को बनाए रखता है। इसे फिटनेस के लिए चुनें या अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें, साइकिल का पहला पैडल मूवमेंट करते ही आप शहरी संस्कृति को सकारात्मक आकार देने वाले जिम्मेदार नागरिकों के समूह में शामिल हो जाते हैं।
उम्र के साथ बढ़ते लाभ
साइकिलिंग आपके शरीर का संतुलन सुधारती है। वह कौशल जिसकी आपको बुढ़ापे में सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि नियमित साइकिल चलाना आपके दिल और फेफड़ों को दुरुस्त रख सकता है। फेफड़े की क्षमता बढ़ती है और Tissues को भरपूर मात्रा में आक्सीजन की आपूर्ति होती है। साइकिल चलाना लाइपोलिसिस (वसा कोशिकाओं का टूटना) को बढ़ावा देता है और ईपीओसी (व्यायाम के बाद शरीर द्वारा आक्सीजन की अतिरिक्त खपत) को भी बढ़ाता है, जिसका मतलब है कि शरीर साइकिलिंग बंद करने के बाद भी कैलोरी जलाता रहता है।
शान की सवारी है साइकिल
यह लिप्टिन और गैर्लिन जैसे हार्मोन को भी नियंत्रित करता है, जो भूख को नियंत्रित करते हैं, जिससे धीरे-धीरे स्वस्थ भोजन का पैटर्न बनता है। साइकिल की सवारी सामाजिकता की भावना जगाने का काम भी करती है। हमने बचपन के दिनों में समवयस्क बच्चों को किराए की साइकिल पर, महिलाओं को साड़ियों में और बुजुर्गों को बाजार-हाट में साइकिल चलाते देखा है। 20वीं शताब्दी के आठवें दशक तक शान की सवारी साइकिल दोगुणी शान से लौट आई है। इस बार आपकी सेहत के सफर को आसान और जीवन को लंबा बनाने के लिए।
हर पैडल में है एनर्जी
साइकिल उपचार, सशक्तीकरण और अंतर्मन में बदलाव का प्रेरक बन रही है। इसके संचालन में ध्यान तीव्रता पर नहीं, निरंतरता पर होता है, शरीर की वर्तमान क्षमता का सम्मान करते हुए और उसमें धीरे-धीरे विस्तार करते हुए। साइकिल चलाना स्वास्थ्य, समुदाय और ग्रह के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना भी है। इसका हर पैडल ऊर्जा का प्रमाण है। पसीने की हर बूंद परिश्रम का परिमाण है।
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पूरे शरीर का व्यायाम है साइकिलिंग
साइकिल चलाना सबसे सहज और आनंददायक तरीके से मोटापा हटाकर फिटनेस सुधारने का तरीका है। सप्ताह में तीन से पांच बार 10-20 मिनट की धीमी साइकिलिंग दिल की सेहत में सुधार और शरीर में संग्रहित वसा को ऊर्जा में बदलने में बड़ी मदद कर सकती है। हर पैडल स्ट्रोक के साथ, आप मुख्य मांसपेशी समूहों को सक्रिय करते हैं। इसका प्रभाव ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स, टखनों और कोर तक पहुंचता है।
मजबूत बनते हैं फेफड़े
इसके साथ एक बढ़िया बात यह भी है कि कई वजन उठाने वाले व्यायामों के विपरीत साइकिल चलाने से घुटनों, कमर और टखनों पर कम दबाव पड़ता है, जिससे यह सभी उम्र, शरीर के प्रकार और फिटनेस स्तर के लिए सही होता है। साइकिल चलाने का मतलब फेफड़ों को मजबूत बनाना तो है ही, यह माइटोकांड्रियल बायोजेनेसिस को भी बढ़ाता है।
टाइप 2 डायबिटीज का खतरा होता है कम
वह प्रक्रिया जिसमें आपकी कोशिकाएं ज्यादा माइटोकांड्रिया बनाती हैं, जो ऊर्जा का स्रोत होते हैं। इससे धैर्य बढ़ता है, साथ ही इंसुलिन संवेदन में सुधार होता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज जैसी मेटाबोलिक समस्याओं का खतरा कम होता है। मस्कुलोस्केलेटल स्तर पर देखें तो, साइकिल चलाने से स्लो ट्विच मांसपेशी तंतु विकसित होते हैं जो शरीर को देर तक मेहनत कर सकने में सक्षम बनाते हैं।

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