Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World Anaesthesia Day 2023: एनेस्थीसिया ने कैसे बना दिया सर्जरी को आसान, जानें पहले कैसे होता था ऑपरेशन

    By Swati SharmaEdited By: Swati Sharma
    Updated: Sun, 15 Oct 2023 05:20 PM (IST)

    हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है। इस दिन मेडिकल साइंस में एनेस्थिसिया के महत्व के बारे में बताया जाता है। इस दिन पहली बार एनेस्थीसिया का इस्तेमाल हुआ था। एनेस्थीसिया की खोज से पहले सर्जरी करना डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए ही बहुत कष्टदायक होता था। जानें एनेस्थीसिया की खोज से पहले कैसे की जाती थी सर्जरी।

    Hero Image
    एनेस्थीसिया की खोज से पहले कैसे होती थी सर्जरी

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Anaesthesia Day 2023: साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है। इस दिन स्वास्थय सेवाओं में एनेस्थीसिया कितनी अहम भूमिका निभाता है, इस बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है। इस दिन को एनेस्थेटिस्ट्स के सम्मान में भी मनाया जाता है। सर्जरी को आसान बनाने में इनकी बहुत अहम भूमिका होती है, इस बारे में लोगों को जानकारी देने की कोशिश की जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दिन सबसे पहली बार 1846 में एनेस्थीसिया का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था। इस दिन इथर का एनेस्थीसिया की तरह कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इसका सफलता पूर्वक प्रयोग करके दिखाया गया था। इसलिए कई देशों में इसे इथर डे भी कहा जाता है। मेडिकल लाइन की इस बड़ी उपलब्धी को याद करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

    यह भी पढ़ें: छात्रों को जोश से भर देंगे, डॉ अब्दुल कलाम के ये कुछ खास कोट्स

    क्या है इस साल की थीम?

    इस साल की थीम है “ एनेस्थीसिया और कैंसर केयर”। इस थीम के जरिए कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया की अहम भूमिका के बारे में बताने की कोशिश की गई है।भविष्य में कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया के सुरक्षित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी इस थीम को चुना गया है।

    एनेस्थीसिया की मदद से बिना किसी दर्द के सर्जरी करना संभव हो पाया है, जो कि मेडिकल साइंस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है। आइए जानते हैं कि एनेस्थीसिया की खोज से पहले कैसे सर्जरी की जाती थी।

    एनेस्थीसिया से पहले कैसे होती थी सर्जरी?

    एनेस्थीसिया की खोज होने से पहले सर्जरी को जितना हो सके टालने की कोशिश की जाती थी क्योंकि बिना एनेस्थीसिया के मरीज को सर्जरी के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता था। मरीज की चीखों के बीच डॉक्टरों को सर्जरी करनी पड़ती थी, जो कि इमोशनल तकलीफ का भी कारण होता था। इसके बाद ओपियम और मैन्ड्रेक से जूस को मरीज के शरीर पर लगाकर सर्जरी किया जाना शुरू किया गया। इससे दर्द थोड़ा कम होता था, लेकिन यह बहुत मददगार नहीं था। इसके अलावा एक डवेल नाम के जूस का भी इस्तेमाल किया जाता था, जिसे पीकर मरीज सो जाता था और तब सर्जरी की जाती थी। इसके बाद 1600 के आस-पास ओपियम और एल्कोहल को मिलाकर एक लिक्विड बनाया जाने लगा, जिससे दर्द से राहत मिलती थी। इन लिक्विड्स का असर थोड़े समय के लिए ही होता था, जिस कारण से डॉक्टरों को बहुत जल्दी सर्जरी खत्म करनी पड़ती थी। इसके बाद 1846 में पहली बार इथर का एनेस्थीसिया की तरह इस्तेमाल किया जाता। इसके बाद 1848 में सर्जरी के दौरान दर्द कम करने के लिए क्लोरोफॉर्म का इस्तेमाल किया गया। इस तरह कई एक्सपेरिमेंट के बाद मॉडर्न एनेस्थीसिया की खोज हुई, जिसने सर्जरी को इतना आसान बना दिया है कि मरीजों को ऑपरेशन के दौरान दर्द का एहसास तक नहीं होता।

    यह भी पढ़ें: धड़कन स्किप होना प्यार का नहीं, हार्ट एरिथमिया का कारण हो सकता है, जानें इससे बचाव के तरीके

    Picture Courtesy: Freepik