क्यों मनाया जाता है National PTSD Awareness Day? इन लक्षणों से करें इस समस्या की पहचान
हर साल 27 जून को National PTSD Awareness Day मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य PTSD के बारे में जागरूकता फैलाना है, जो किसी दर्दनाक घटना के बाद विकसित हो सकती है। PTSD की पहचान कुछ लक्षणों (PTSD Symptoms) से की जा सकती है। ये लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है, ताकि व्यक्ति को सही इलाज मिल सके।

27 जून को मनाया जाता है National PTSD Awareness Day (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल PTSD अवेयरनेस डे (National PTSD Awareness Day) हर साल 27 जून को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य PTSD के बारे में जागरूकता फैलाना, इसके लक्षणों को समझना और प्रभावित लोगों को सही मदद देना है। आपको बता दें कि PTSD एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो किसी भयानक या दर्दनाक घटना के अनुभव के बाद विकसित हो सकती है। आइए जानें इसके लक्षण (PTSD Symptoms) कैसे होते हैं और इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई।
क्यों मनाया जाता है यह दिन?
PTSD केवल सैनिकों या युद्ध से जुड़े लोगों को ही नहीं, बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा, हिंसा, यौन उत्पीड़न, या किसी करीबी की अचानक मृत्यु जैसी घटनाएं PTSD को जन्म दे सकती हैं। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में इस समस्या के बारे में संवेदनशीलता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना है।
PTSD के बारे में सही जानकारी फैलाकर लोगों को इसके लक्षण पहचानने में मदद मिलती है। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को तोड़ने के लिए भी यह दिन काफी जरूरी है। इस दिन का उद्देश्य PTSD से पीड़ित लोगों को काउंसलिंग और इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराना भी है। साथ ही, इस दिन परिवार और दोस्तों को PTSD से जूझ रहे व्यक्ति की मदद करने के तरीकों के बारे में भी बताया जाता है।
कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत?
साल 2010 में अमेरिका ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की और 27 जून की तारीख को इसके लिए चुना गया। इसका मकसद लोगों में PTSD के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। साथ ही, इससे जूझ रहे लोगों तक सही मदद पहुंच सके, इसकी भी कोशिश की जाती है।
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PTSD के लक्षण कैसे होते हैं?
PTSD के लक्षण व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं और इन्हें चार मुख्य कैटेगोरी में बांटा जा सकता है-
इंट्रूजन
- बार-बार दर्दनाक यादें आना।
- डरावने सपने या नाइटमेयर आना।
- फ्लैशबैक (ऐसा महसूस होना कि वह घटना फिर से हो रही है)।
एवॉइडेंस
- उन लोगों, स्थानों या एक्टविटीज से बचना जो दर्दनाक घटना की याद दिलाते हैं।
- घटना के बारे में बात करने से बचना।
सोच और मनोदशा में बदलाव
- नेगेटिव ख्याल, डर, ग्लानि या शर्म महसूस करना।
- घटना के बारे में याददाश्त कमजोर होना।
- दूसरों से अलग-थलग महसूस करना।
- पहले पसंद आने वाली गतिविधियों में रुचि खो देना।
उत्तेजना और रिएक्शन में बदलाव
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना।
- बेचैनी और फोकस करने में कठिनाई।
- हमेशा सतर्क रहना (हाइपरविजिलेंस)।
- नींद न आने की समस्या।
नेशनल PTSD अवेयरनेस डे हमें याद दिलाता है कि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य। PTSD से पीड़ित व्यक्ति को समझदारी और सहानुभूति के साथ सहारा देना चाहिए। अगर आप या आपका कोई परिचित PTSD के लक्षण दिखा रहा है, तो साइकेट्रिस्ट या काउंसलर से सलाह लेना जरूरी है।
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