क्यों जरूरी है PCOS की समय रहते पहचान, इन 5 आम लक्षणों से लगा सकते हैं वक्त रहते पता
पीसीओएस महिलाओं में होने वाला एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जिससे लाखों महिलाएं जूझ रही हैं। इसके कारण फर्टिलिटी ही नहीं बल्कि पूरी सेहत पर असर होता है। इसलिए इसका जल्दी पता लगाना जरूरी है वरना समस्या और गंभीर हो सकती है। कुछ लक्षणों (PCOS Signs) की मदद से इसकी पहचान कर सकते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। महिलाओं से जुड़ी सबसे आम हार्मोनल समस्याओं में से एक है पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)। यह केवल पीरियड्स की अनियमितता तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली एक कंडीशन है। इस समस्या से दुनियाभर में कई महिलाएं प्रभावित हैं।
लेकिन फिर भी लोग इसके लक्षणों (PCOS Symptoms) को अनदेखा कर देती हैं, जिसके कारण समय पर इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। अगर PCOS का समय पर पता न लगाया जाए, तो कई परेशानियां हो सकती हैं। आइए इसके लक्षणों और इसका जल्दी पता न लगे, तो क्या परेशानियां हो सकती हैं, इस बारे में जानने के लिए डॉ. आस्था गुप्ता (सीनियर आईवीएफ कंसल्टेंट और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, दिल्ली IVF, नई दिल्ली) से बात की। आइए जानें उन्होंने क्या बताया।
PCOS क्या है?
PCOS एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें महिलाओं के ओवरीज सामान्य से ज्यादा एंड्रोजन यानी पुरुष हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं। इसकी वजह से ओवरीज में छोटे-छोटे सिस्ट बन सकते हैं और ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है।
PCOS के आम लक्षण
- अनियमित पीरियड्स- पीरियड्स का न आना या बहुत देर से आना।
- कंसीव करने में कठिनाई- अंडों का नियमित रूप से रिलीज न होना।
- वजन बढ़ना- खासकर पेट के आसपास फैट जमा होना।
- मुंहासे- हार्मोनल इमबैलेंस के कारण लगातार पिंपल्स की समस्या।
- ज्यादा बाल- चेहरे, छाती या शरीर पर असामान्य रूप से बाल बढ़ना।
इन लक्षणों को अक्सर महिलाएं सामान्य मानकर अनदेखा कर देती हैं, लेकिन यही आगे चलकर बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
अगर समय पर पहचान न हो तो क्या हो सकता है?
PCOS को हल्की समस्या समझना गलत है, क्योंकि यह लंबे समय में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।
- इनफर्टिलिटी- नियमित ओव्यूलेशन न होने से यह महिलाओं में बांझपन का अहम कारण बन सकता है।
- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर- पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस, टाइप-2 डायबिटीज और मोटापे का खतरा ज्यादा होता है।
- दिल की बीमारियों का जोखिम- हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर के चलते हार्ट डिजीज की संभावना बढ़ जाती है।
- एंडोमेट्रियल कैंसर- लगातार ओव्यूलेशन न होने से यूटेरस की परत मोटी हो सकती है, जिससे कैंसर का खतरा रहता है।
- मेंटल हेल्थ पर असर- लगातार मुंहासे, बालों की समस्या और रिप्रोडक्शन से जुड़ी परेशानियों के चलते डिप्रेशन, एंग्जायटी और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है।
बचाव के लिए क्या करें?
हालांकि, PCOS को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन सही लाइफस्टाइल अपनाकर इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- स्वस्थ वजन बनाए रखें- 5–10% वजन कम करने से पीरियड्स नियमित हो सकते हैं और ओव्यूलेशन में सुधार आता है।
- हेल्दी डाइट लें- साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, हरी सब्जियां और हेल्दी फैट शामिल करें। मीठे और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- नियमित एक्सरसाइज करें- रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक, योग या किसी भी फिजिकल एक्टिविटी को रूटीन में शामिल करें।
- तनाव कम करें- मेडिटेशन, योग और पूरी नींद हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं।
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