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    दिन में चैन से सोते हैं न्यू बॉर्न बेबी, लेकिन रात में क्यों हो जाते हैं बेचैन? एक्सपर्ट ने बताई वजह

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 02:05 PM (IST)

    क्या आपके घर में भी नन्हा मेहमान आया है और आप भी इस बात से परेशान हैं कि आपका बच्चा दिन में तो खूब सोता है लेकिन रात होते ही बेचैन हो जाता है? बता दें कई न्यू पेरेंट्स इस समस्या से जूझते हैं। आखिर क्या वजह है कि छोटे बच्चे दिन और रात के सोने के पैटर्न (Newborn Sleep Pattern) में इतना अंतर दिखाते हैं? आइए जानते हैं।

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    क्यों नवजात दिन में सोते हैं चैन से और रात में मचाते हैं धमाल? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी सोचा है कि दिन भर चैन से सोने वाला आपका न्यू बॉर्न रात में अचानक क्यों रोने लगता है, मानो कोई मुसीबत खड़ी हो गई हो? अगर आप भी इस अबूझ पहेली से जूझ रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। दुनिया भर के नए माता-पिता इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटे रहते हैं। आखिर क्या वजह है कि छोटे बच्चे दिन और रात के सोने के पैटर्न में उल्टा बर्ताव करते हैं? आइए, एक्सपर्ट की मदद से जानते हैं।

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    क्यों रात में बेचैन हो जाते हैं न्यू बॉर्न बेबी?

    • सर्केडियन रिदम: शिशुओं में सर्केडियन रिदम का विकास धीरे-धीरे होता है। उन्हें दिन के उजाले और रात के अंधेरे के बीच का अंतर समझने में समय लगता है। इसलिए, वे दिन में जब रोशनी और शोर होता है, तब भी आसानी से सो जाते हैं और रात में जब सब शांत होता है, तब भी जाग सकते हैं।
    • भूख: नवजात शिशुओं का पेट बहुत छोटा होता है और वे थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पीते हैं। रात में भी उन्हें हर 2-3 घंटे में भूख लग सकती है, जिसकी वजह से वे जाग जाते हैं और बेचैन हो जाते हैं।
    • गैस या पेट दर्द: कई बार शिशुओं को रात में गैस या पेट दर्द की समस्या हो सकती है, जिससे वे असहज महसूस करते हैं और रोने लगते हैं।
    • डायपर बदलना: गीले या गंदे डायपर भी बच्चों की नींद में खलल डाल सकते हैं।
    • सुरक्षा का अहसास: कुछ बच्चे रात में अपनी मां या देखभाल करने वाले को अपने करीब महसूस करना चाहते हैं। ऐसे में, अकेला फील करने पर वे बेचैन हो सकते हैं।
    • उल्टा स्लीप पैटर्न: कई बच्चों में शुरुआती दिनों में उल्टा स्लीप पैटर्न विकसित हो जाता है, जहां वे दिन में ज्यादा सोते हैं और रात में जागते हैं।

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    क्या है एक्सपर्ट की राय?

    सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के नियोनेटोलॉजी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. मनोज मोदी बताते हैं कि खासकर पहले 6-8 हफ्तों तक, न्यू बॉर्न बेबी अक्सर दिन में सोते हैं और रात में जगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शुरुआती हफ्तों में उनकी सर्केडियन रिदम (सोने-जागने की प्राकृतिक घड़ी) पूरी तरह से विकसित नहीं होती है।

    जैसे-जैसे शिशु बड़े होते हैं, उनकी सर्केडियन रिदम मैच्योर होती जाती है। सूरज की रोशनी के संपर्क में आने और नियमित नींद की दिनचर्या अपनाने से वे रात में ज्यादा देर तक सोने लगते हैं और दिन में ज्यादा एक्टिव रहते हैं। डॉक्टर का कहना है कि दिन के समय कमरे में रोशन और रात में अंधेरा व शांति रखने से इस प्रक्रिया को और तेज किया जा सकता है।

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