सिगरेट की लत से पीछा छुड़ाना आखिर क्यों है इतना मुश्किल? डॉक्टर से समझें दिमाग पर क्या पड़ता है असर
क्या आपने कभी सोचा है कि सिगरेट की लत से छुटकारा पाना इतना मुश्किल क्यों होता है? क्या ऐसा इसलिए है कि लोगों में इच्छाशक्ति की कमी है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण छिपा है? आइए मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के पल्मोनोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. शरद जोशी से समझते हैं कि Cigarette हमारे दिमाग पर ऐसा क्या असर डालती है कि इसकी लत छोड़ना पहाड़ चढ़ने जैसा लगता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आपकी जेब में रखी वो छोटी-सी सिगरेट की डिब्बी, जो देखने में इतनी मामूली लगती है, असल में लाखों-करोड़ों लोगों को अपनी गुलाम बनाए हुए है। जी हां, क्या आपने कभी सोचा है कि जब कोई इसे छोड़ने की कोशिश करता है, तो वो खुद को बेबस और लाचार ही क्यों पाता है (Why Is Cigarette Hard To Quit)?
क्यों हर साल लाखों लोग कसम लेते हैं कि "आज के बाद नहीं", और फिर भी चंद दिनों में ही उसी धुएं के छल्ले में लौट आते हैं? दरअसल, ये सिर्फ इच्छाशक्ति की कमी नहीं है, बल्कि एक गहरी वैज्ञानिक पहेली है, जो हमारे दिमाग के अंदर छिपी है। आइए, डॉ. शरद जोशी से समझते हैं कि सिगरेट का धुआं हमारे दिमाग पर ऐसा क्या जादू करता है कि इसकी लत छोड़ना इतना मुश्किल हो जाता है।
दिमाग का सबसे बड़ा दुश्मन है निकोटिन
जैसे ही आप सिगरेट पीते हैं, उसमें मौजूद निकोटिन नाम का रसायन कुछ ही सेकंड में आपके दिमाग तक पहुंच जाता है। यह निकोटिन दिमाग में डोपामाइन (Dopamine) नामक एक केमिकल को रिलीज करता है। बता दें, डोपामाइन वह केमिकल है जो हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है। यही वजह है कि सिगरेट पीने के बाद आपको अच्छा महसूस होता है, तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
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दिमाग को मिलती है 'नकली खुशी'
हमारा दिमाग इस डोपामाइन की 'नकली खुशी' का आदी हो जाता है। धीरे-धीरे, दिमाग को इतनी खुशी पाने के लिए निकोटिन की लगातार खुराक की जरूरत पड़ने लगती है। जब आप सिगरेट नहीं पीते, तो डोपामाइन का स्तर गिर जाता है और आपको बेचैनी, चिड़चिड़ापन, उदासी और फोकस करने में मुश्किल जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसे ही 'विड्रॉल सिम्पटम्स' (Withdrawal Symptoms) कहते हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
कई लोग सिगरेट छोड़ना चाहते हैं लेकिन फिर भी वे इस आदत से बाहर नहीं निकल पाते। इसका मुख्य कारण निकोटिन की लत है। निकोटिन एक ऐसा रसायन है जो दिमाग में डोपामाइन रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति को थोड़े समय के लिए सुकून और खुशी का एहसास होता है। यही वजह है कि जब कोई व्यक्ति सिगरेट छोड़ने की कोशिश करता है, तो उसे Withdrawal Symptoms जैसे चिड़चिड़ापन, बेचैनी, सिरदर्द, नींद न आना और फोकस में कमी का सामना करना पड़ता है।
क्यों होती है बार-बार तलब?
सिगरेट पीने की आदत केवल शारीरिक लत नहीं होती, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक आदत भी बन जाती है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग तनाव, अकेलापन या मानसिक थकान में सिगरेट का सहारा लेते हैं। कई बार सामाजिक माहौल, जैसे दोस्तों के साथ पीना, इस आदत को मजबूती देता है।
निकोटिन की लत के कारण दिमाग में बने 'रिवॉर्ड पाथवे' इतने मजबूत होते हैं कि जब आप स्ट्रेस में होते हैं, खुशी में होते हैं, या यहां तक कि किसी खास जगह पर होते हैं जहां आप पहले सिगरेट पीते थे, तो दिमाग को तुरंत निकोटिन की याद आती है। यही 'ट्रिगर्स' बार-बार तलब पैदा करते हैं।
कैसे पाएं इस लत से छुटकारा?
डॉ. शरद जोशी का मानना है कि सिगरेट छोड़ने के लिए केवल इच्छाशक्ति ही नहीं, बल्कि सही परामर्श, दवाइयां (जैसे निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी), काउंसलिंग और फैमिली सपोर्ट की भी जरूरत होती है।
अगर व्यक्ति ठान ले और उसे सही मार्गदर्शन मिले, तो वह इस लत से आजादी पा सकता है। धीरे-धीरे आदत में बदलाव लाकर और एक्सपर्ट की मदद से सिगरेट छोड़ना बिल्कुल संभव है।
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