क्यों कमजोर होने लगी हैं बच्चों की हड्डियां? सफदरजंग के डॉक्टर ने बताई वजह और बचाव के तरीके
लगभग 25 वर्ष की उम्र तक हड्डियां विकसित और मजबूत होती हैं। लेकिन अब बचपन में ही हाथों-पैरों और जोड़ों में दर्द की शिकायत आने लगी है। ऐसे में हड्डियों को कम उम्र से ही स्वस्थ रखने (Tips for Healthy Bones) और आगे चलकर आस्टियोपोरोसिस जैसी परेशानियों से बचाने का क्या है तरीका आइए जानते हैं।

सीमा झा, नई दिल्ली। माना जाता है कि जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में जकड़न या कमजोरी की समस्या बढ़ती उम्र में होती है, पर आज स्कूली बच्चों में भी ऐसी समस्याएं देखी जा रही हैं। हाथ-पांव, गर्दन और कमर में दर्द हो या क्रैंप की शिकायतें, बच्चों और किशोरों में (Weak Bones in Kids) भी देखने को मिल रही हैं।
बच्चों में ये समस्याएं खराब खानपान, निष्क्रियता और अनियमितता भरी जीवनशैली के कारण हो रही हैं। आइए इस बारे में डॉ. दीपक जोशी (निदेशक, स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली)। साथ ही जानेंगे कि इससे बचने के लिए (Healthy Bone Tips) क्या कर सकते हैं।
बचपन से ही सजगता क्यों जरूरी?
इसका एक कारण यह है कि बढ़ती उम्र में कैल्शियम, मिनरल्स के साथ विटामिंस की आवश्यकता बढ़ती है। वास्तव में बच्चे स्वस्थ आहार की अपनी कुल जरूरत का 10 प्रतिशत भी नहीं ले पाते। स्क्रीन टाइम का बढ़ना, इनडोर यानी घर या स्कूल के अंदर अधिक समय बिताने के कारण विटामिन-डी की कमी हो रही है।
वहीं, खानपान में जंक फूड के बढ़ते चलन के कारण कैल्शियम और विटामिन की भरपाई नहीं हो पाती। यही बच्चे जब वयस्क होते हैं, तो ज्यादातर की आदतें नहीं बदल पातीं। ये आदतें वयस्कों और आगे चलकर 60 की उम्र के बाद गंभीर समस्याओं का कारण बन जाती हैं।
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कैल्शियम की उचित मात्रा
बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों से लेकर मांसपेशियां और शरीर के सभी अंगों का विकास हो रहा होता है। ऐसे में शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें कैल्शियम सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चों के लिए कैल्शियम एक जरूरी तत्व है, पर क्या हम इस जरूरी तत्व के बारे में सजग हैं? यह सबसे अहम सवाल है।
आमतौर पर एक से तीन वर्ष की उम्र तक के बच्चों को रोजाना 700 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है, जबकि चार से आठ वर्ष की उम्र के बच्चों को 1000 मिलीग्राम और नौ से 18 साल की उम्र के बच्चों को एक दिन में 1300 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। साथ ही बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि विटामिन डी उचित मात्रा में मिले। यह कैल्शियम अवशोषण के लिए यह बेहद जरूरी है।
केवल दूध से नहीं बनेगी बात
बच्चों को आप पर्याप्त दूध दे भी रहे हैं, तो यह ध्यान रहे कि केवल दूध बच्चों में कैल्शियम की भरपाई नहीं कर सकता। उन्हें कैल्शियम युक्त आहार भी खिलाएं, ताकि उनकी लंबाई अच्छे ढंग से बढ़े। कैल्शियम के लिए बच्चों को बादाम, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियां, बींस, ब्रोकली, टोफू, सूखे अंजीर, संतरा आदि के सेवन के लिए प्रेरित करें। कैल्शियम की कमी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। चिकित्सक की सलाह पर बच्चों को सप्लीमेंट्स भी दिया जा सकता है।
इन बातों का रहे ध्यान
- पढ़ाई या किसी कारण से लंबी सिटिंग के बाद उठकर स्ट्रेचिंग की आदत विकसित करनी चाहिए।
- ज्यादा देर तक गर्दन-कंधे झुकाकर या आधा लेटकर टीवी, मोबाइल या कंप्यूटर देखने से बचना चाहिए।
- शरीर को डिहाइड्रेट ना होने दें। कम से कम ढाई लीटर पानी का सेवन अवश्य करें।
- डिहाइड्रेट रहने के कारण मांसपेशियों के चोटिल होने की आशंका अधिक रहती है। उनमें क्रैंप व जोड़ों में दर्द की शिकायतें अधिक होती हैं।
- जंक फूड, अस्वस्थ खाद्य के नुकसान के बारे में बच्चों को बताएं, ताकि कैल्शियम और मिनरल्स के सेवन के प्रति वे सचेत हो सकें।
- सोडा, प्रसंस्करित खाद्य पदार्थ व स्नैक्स का अधिक सेवन ना करें। ये कैल्शियम अवशोषण पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
जितनी सक्रियता, उतनी सेहत
आप जितना या जिस रूप में सक्रिय रहते हैं, उसी अनुपात में आपके हड्डियों और मांसपेशियों की सेहत बेहतर होती है। सक्रिय रहकर हड्डियों और मांसपेशियों का प्रयोग नहीं करेंगे, तो शरीर विटामिन और मिनरल्स खोने लगता है। आप भले पूरक दवाइयां लेकर इनकी भरपाई करना चाहें, पर सक्रियता की कमी से होने वाले नुकसान की भरपाई बहुत मुश्किल है।
कैल्शियम की कमी के लक्षण
- हड्डियों का दर्द और फ्रैक्चर होने की आशंका
- बच्चों का धीमा विकास
- दांतों की सड़न, दांत देर से निकलना
- मांसपेशियों में ऐंटन और कमजोरी
- मूड में उतार-चढ़ाव होना, चिड़चिड़ापन और लगातार थकान रहना
- रिकेट्स या आस्टियोपोरोसिस की आशंका
संतुलित आहार का रखें ध्यान
- दूध, पनीर और दही ब्रोकली, केल, टोफू, बादाम और विटामिन डी युक्त खाद्य या पौधे-आधारित कैल्शियम
- अंडे, मछली और अन्य विटामिन डी युक्त उत्पादों का सेवन
काम की बात
- हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बचपन से लेकर उम्र के हर पड़ाव पर हड्डियों की मजबूती पर ध्यान देना जरूरी है | हमारा शरीर पुरानी की जगह नई हड्डियों का निर्माण करता रहता है। इसे रीमॉडलिंग कहते हैं।
- बचपन, किशोरावस्था से लेकर 20 वर्ष की आयु के मध्य तक हड्डियों का निर्माण तेजी से होता है। इस उम्र तक यदि नियमित कसरत करें तो अधिकतम अस्थि द्रव्यमान (अधिकतम अस्थि घनत्व और शक्ति) प्राप्त कर सकते हैं।
- ज्यादातर हड्डियों का द्रव्यमान 35 साल की उम्र के आसपास अपने चरम पर होता है। इसके बाद हड्डियां धीरे-धीरे
- कम होने लगती हैं। नियमित व्यायाम, पैदल चलने की आदत से हड्डियों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता
- है।
- छोटे बच्चों यानी तीन से पांच साल तक बच्चों में कैल्शियम की कमी है तो चिकित्सक की सलाह पर उन्हें पूरक दवाएं दें।
- 11 - 16 वर्ष में प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत बढ़ जाती है। ध्यान नहीं देने पर आगे चलकर अनेक समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
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