Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मानसून में आंतों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए क्या करना चाहिए? डॉक्टर ने शेयर किए आसान टिप्स

    मानूसन में बुखार उलटी सिरदर्द जैसी समस्या बढ़ जाती है जिसके पीछे- बैक्टीरिया वायरस या पैरासाइट्स का हाथ हो सकता है। इस तरह के इन्फेक्शन से पाचन तंत्र की परेशानी बढ़ जाती है। आइए डॉ. पीयूष रंजन (को चेयरमैन गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली) से बचने के उपाय जानते हैं।

    By Jagran News Edited By: Swati Sharma Updated: Wed, 02 Jul 2025 11:53 AM (IST)
    Hero Image
    आंतों के इन्फेक्शन से बचने के लिए क्या करें? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मानसून के मौसम में पेट के संक्रमण की समस्याएं आमतौर पर सबसे अधिक देखने में आती हैं। ये दो तरह की होती हैं- लिवर का संक्रमण और जीआइ ट्रैक्ट (जठरांत्र ) का संक्रमण। पहले लिवर संक्रमण की बात करें तो इस मौसम में वायरल हेपेटाइटिस अधिक होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसे आम बोलचाल की भाषा में पीलिया के नाम से भी जानते हैं। दूषित पेयजल और अस्वच्छ भोजन के चलते हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण होने की आशंका प्रबल होती है। इसके अलावा इस मौसम में वायरल संक्रमण, बुखार के मामले भी अधिक देखने में आते हैं। वहीं एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस होने की दशा में लिवर की बीमारी गंभीर हो सकती है।

    आंतों में क्यों होता है संक्रमण

    आमतौर पर आंतों में संक्रमण होने के पीछे सबसे आम कारण दूषित भोजन और पेयजल ही है। इस संक्रमण का रेंज काफी ज्यादा होता है। यह वायरल, बैक्टीरियल, पैरासाइटिक आदि किसी भी रूप में हो सकता है । सामान्य तौर पर वायरल और बैक्टीरियल डायरिया जैसी समस्याएं भी भोजन और पेयजल के अस्वच्छ होने के कारण ही होती हैं। अमीबिक टाइफाइड भी एक तरह का बैक्टीरियल संक्रमण ही है। वैसे तो यह समस्या वर्ष भर में कभी भी हो सकती है, लेकिन इस मौसम में बैक्टीरिया, वायरस के पनपने की अनुकूलता के चलते यह समस्या बढ़ जाती है।

    यह भी पढ़ें: मानसून बनाना चाहते हैं खुशनुमा, तो जरूर बरतें ये 5 सावधानियां, वरना लगाने पड़ेंगे डॉक्टर के चक्कर

    हाइड्रेशन का खयाल जरूरी

    संक्रमण रोकने के लिए हाइड्रेशन आवश्यक है। अगर बाहर निकलते हैं तो पर्याप्त पानी पीने का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। अगर डायरिया और उलटी की समस्या हो रही है, तो इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए पानी और इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन का खयाल रखना जरूरी है।

    एंटीबायोटिक्स नियंत्रण और तनाव का प्रबंधन

    एंटीबायोटिक्स के लंबे समय तक प्रयोग करने के कारण माइक्रोबियल फ्लोरा पर प्रभाव पड़ता है। इन दवाओं से पैथोजेनिक बैक्टीरिया को टारगेट किया जाता है, पर इससे अच्छे बैक्टीरिया को भी नुकसान हो जाता है। इसके कारण इसे एंटीबायोटिक एसोसिएटेड डायरिया कहा जाता है। इसके बचाव के लिए प्रोबायोटिक की एक हद तक भूमिका होती है। एंटीबायोटिक के साथ प्रोबायोटिक लिया जा सकता है। इसी तरह तनाव के कारण भी आंतों के बैक्टीरियल फ्लोरा को नुकसान होता है। तनाव से गैस्ट्रिक एसिड का स्तर बदलता है। आंतों को स्वस्थ रखने के लिए डाक्टर के परामर्श पर ही एंटीबायोटिक लेना चाहिए।

    आंतों को स्वस्थ रखने के उपाय

    इस मौसम में बीमार होने से बचने के लिए सबसे पहले खुले में रखे, बासी भोजन या क हुए फलों के सेवन से बचना चाहिए। हमेशा ताजा फलों-सब्जियों और अच्छे से पके हुए भोजन का ही प्रयोग करना चाहिए। स्ट्रीट फूड का सेवन आजकल जोखिम भरा हो सकता है। केवल अस्वच्छता के चलते ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अच्छे से फिल्टर किया हुआ या उबला हुआ ही पानी प्रयोग करना चाहिए।

    आंतों को ऐसे रखें स्वस्थ

    • आंतों और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए उच्च कार्बोहाइड्रेट, रिफाइंड शुगर और वसा के सेवन को कम करना चाहिए ।
    • सलाद, फलों आदि का सेवन आंतों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। यह एक तरह से प्रोबायोटिक में भी मदद करता है।
    • सैचुरेटेड फैट से परहेज करना चाहिए। प्रोबायोटिक से भरपूर फूड आइटम्स का सेवन बढ़ाना चाहिए, इससे
    • आंतें स्वस्थ रहेंगी।
    • जीआइ बैक्टीरिया शरीर के कई सारे फंक्शन को प्रभावित करते हैं। फैट लिवर, मोटापे में इसकी भूमिका होती है।
    • खानपान को दुरुस्त रखने के साथ पर्याप्त शारीरिक श्रम करना आवश्यक है।
    • जिनके आंतों का बैक्टीरिया खराब होता है, उनमें मोटापा होने की आशंका अधिक रहती है।

    यह भी पढ़ें: सावधान! मानसून में नहीं रखेंगे इन बातों का ख्याल, तो हो जाएंगे Stomach Infection का शिकार