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    समझें क्या है प्री-डायबिटीज और इसके संकेत, ताकि समय रहते कर सकें अपना बचाव

    Diabetes एक गंभीर बीमारी है जो इन दिनों कई लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। भारत में भी इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। यह एक लाइलाज बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं। ऐसे में डायबिटीज से पहले आने वाले प्री-डायबिटीज के स्टेज में भी इस बीमारी को कंट्रोल कर लेना चाहिए ताकि गंभीर परिणामों से बचा जा सकें।

    By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 21 Feb 2025 08:34 AM (IST)
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    प्री-डायबिटीज के संकेत और बचाव के तरीके (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, जो दुनियाभर में चिंता का विषय बना हुआ है। खासकर भारत में इसके मामले पिछले कुछ दिनों में तेजी से सामने आ रहे हैं। डायबिटीज होने से पहले एक चरण प्री-डायबिटीज का आता है। इस दौरान सामान्य से ज्यादा ब्लड शुगर लेवल हो जाता है लेकिन ये डायबिटीज के लेवल तक नहीं होता है।

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    ऐसे में डायबिटीज के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाने में असमर्थ होती है या फिर उपलब्ध इंसुलिन का इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं होती है तो डायबिटीज की शुरुआत होती है। इससे ब्लड में ग्लूकोज इकट्ठा होने शुरू हो जाता है। इस शुरुआती चरण को प्री-डायबिटीज कहते हैं।

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    प्री-डायबिटीज के लक्षण को समझने के लिए समझे ये संकेत-

    • बार बार प्यास लगना
    • बार बार पेशाब जाना
    • नजर धुंधली होना
    • थकावट

    प्री-डायबिटीज के कारण-

    • इनएक्टिव लाइफस्टाइल
    • मोटापा
    • हाइपरटेंशन
    • जेस्टेशनल डायबिटीज
    • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
    • लो गुड कोलेस्ट्रॉल
    • हाई बैड कोलेस्ट्रॉल
    • फैमिली हिस्ट्री

    प्री-डायबिटीज से बचाव-

    ब्लड शुगर लेवल बढ़ते ही सचेत हो जाना बचाव की पहली सीढ़ी है। सचेत होने के लिए अपनाएं ये तरीके-

    • नियमित रूप से एक्सरसाइज - वर्कआउट या एक्सरसाइज करने से इन्सुलिन के फंक्शन में सुधार होता है और ग्लूकोज रेगुलेशन में मदद मिलती है जिससे ब्लड शुगर लेवल कम होता है। इसलिए ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, रनिंग, योग, ध्यान, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कार्डियो आदि में से किसी न किसी रूप में वर्कआउट जरूर करें। प्री डायबिटीज से बचाव करने के लिए ये एक बेहद महत्वपूर्ण स्टेप है।
    • हेल्दी डाइट- कार्ब्स और शुगर सीधे तौर पर डायबिटीज को बढ़ावा देते हैं। वहीं प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल रिच डाइट शुगर लेवल को कंट्रोल कर के इसे कम करने में सहायक होती है। शुगर लेवल संतुलित बनाए रखने के लिए सैचुरेटेड फैट, प्रोसेस्ड फूड्स और ट्रांसफैट युक्त फूड्स के सेवन से भी दूरी बनानी चाहिए।
    • वेट लॉस- टाइप 2 डायबिटीज डेवलप होने में मोटापे का बहुत बड़ा हाथ होता है। ये मुख्य रिस्क फैक्टर में से एक है। बढ़ते हुए BMI के साथ प्री डायबिटीज और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ते जाता है। मोटापा होने से मांसपेशियां और अन्य टिश्यू अपने ही इंसुलिन हार्मोन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाते हैं। मोटापे से स्ट्रोक और हाइपरटेंशन का खतरा भी बढ़ता है। कुल मिलाकर हेल्दी डाइट ले कर वेट लॉस करने से प्री डायबिटीज से बचाव संभव है।

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