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    Menopause का गंभीर लक्षण है मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग, भारी पड़ सकती है इसकी अनदेखी

    एक महिला के जीवन में कई सारे पड़ाव आते हैं जिनकी वजह से उन्हें कई समस्याओं और बदलावों का सामना करना पड़ता है। menopause इन्हीं में से एक है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है। यह एक नेचुरल प्रोसेस में जिसमें महिलाओं को पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें से एक menstrual flooding है।

    By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 30 Aug 2024 12:19 PM (IST)
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    मेनोपॉज के लक्षणों से रहें सावधान (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। एक महिला के जीवन में कई तरह के पड़ाव आते हैं, जिनकी वजह से उन्हें कई समस्याओं और बदलावों का सामना करना पड़ता है। मेनोपॉज (Menopause) इन्हीं में से एक है, जिससे हर महिला को एक उम्र के बाद गुजरना पड़ता है। यह वह पड़ाव है, जब शरीर कई प्रकार के हार्मोनल असंतुलन और बदलाव से गुजरता है, जिसके बाद पीरियड्स आना बंद हो जाता है। ये समय इतना आसान नहीं होता है। इस दौरान हार्मोनल असंतुलन के कारण ऐसी कई चीजें होती हैं, जो एक महिला के शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार से स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

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    पेरी मेनोपॉज यानी मेनोपॉज के पहले कुछ ऐसे सांकेतिक लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं, जिनसे मेनोपॉज शुरू होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। पेट दर्द, क्रैंप्स, तेज सिरदर्द, एंग्जायटी, थकान, डिप्रेशन, हॉट फ्लैशेज, जोड़ों में दर्द इसके आम लक्षण हैं।

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    क्या होता है मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग

    हालांकि, इस दौरान एक बेहद आम समस्या होती है, जिसे मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग कहा जाता है। आम भाषा में इसे हैवी पीरियड या पीरियड्स के दौरान अतिरिक्त खून का बहाव भी कह सकते हैं। ऐसा ओव्युलेटरी डिस्फंक्शन के कारण होता है। ओवरी में से असामान्य मात्रा में अंडे निकलते हैं, क्योंकि इनकी मात्रा बढ़ती उम्र के साथ कम होते जाती है।

    क्यों होती है मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग

    इससे रिप्रोडक्टिव हार्मोन डिस्टर्ब होते हैं, जिससे हैवी ब्लीडिंग होने लगती है। 30 साल की उम्र के बाद पीरियड्स की साइकिल छोटी, अनियमित और ब्लीडिंग हैवी होना शुरू हो सकती है। फिर 40 और 50 की उम्र तक जब शरीर में अंडे बनाने की कोशिश करती है, तब एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल बढ़ते हैं और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन की मात्रा घटती है। ये गर्भाशय की बाहरी परत को मोटा करते हैं। यही परत क्लाॅट यानी खून के थक्के और हैवी ब्लड फ्लो के रूप में शरीर से बाहर निकलती है, जिसे मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग भी कहते हैं। ऐसा हफ्तों या महीनों तक भी चल सकता है।

    मेंस्ट्रुअल फ्लडिंग के गंभीर प्रभाव

    इससे महिलाओं में खून की कमी हो सकती है और वे एनीमिक हो सकती हैं। साथ ही हर समय एक थकान और चिड़चिड़ापन महसूस होते रहता है। अगर आपको भी ऐसा महसूस होता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। उनके द्वारा बताए गए टेस्ट और जांच कराएं। इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि गंभीर रूप लेने पर सर्जरी करने तक की नौबत आ सकती है।

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