कितना कारगर है बर्थ कंट्रोल के लिए IUD, डॉक्टर ने बताए इससे जुड़े आम मिथक
अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए IUD (इंट्रायूटेराइन डिवाइस) एक सुरक्षित तरीका है। यह T आकार का उपकरण गर्भाशय में लगाया जाता है और 3 से 10 साल तक प्रेग्नेंसी को रोक सकता है। हॉर्मोनल IUD हैवी ब्लीडिंग में मददगार है जबकि कॉपर IUD प्रेग्नेंसी रोकने के लिए। इससे जुड़े मिथकों में वजन बढ़ना इंफर्टिलिटी और कैंसर शामिल हैं जो कि सही नहीं हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए महिलाएं कई तरीके अपनाती हैं, जिसमें एक है IUD (इंट्रायूटेराइन डिवाइस)। इसे बाकी तरीकों में सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसे लगवाना और निलवाना आसान होता है। कुछ का कहना है इसे लगवाने में काफी तकलीफ होती है और कई ऐसा नहीं मानतीं।
बर्थ कंट्रोल पिल्स, कंडोम के साथ-साथ आईयूडी भी प्रेग्नेंसी को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। यह T आकार की एक डिवाइस है, जो दशकों से बर्थ कंट्रोल के लिए इस्तेमाल होती आ रही है। इसके बावजूद भी इसे लगवाने और हटवाने को लेकर महिलाओं के मन में काफी सवाल उठते हैं। आइए, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. पूजा घोरी से जानते हैं इस डिवाइस और उससे जुड़े मिथकों के बारे में। साथ ही जानते हैं यह डिवाइस क्या है और कैसे प्रेग्नेंसी रोकने में कारगर है।
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कब लगवाया जा सकता है
डिलीवरी के 72 घंटों के बाद या फिर गर्भावस्था खत्म होने के बाद इसे लगवाया जा सकता है। इसे आमतौर पर पीरियड के चौथे या पांचवें दिन इंसर्ट किया जाता है।
3, 5 या 10 साल के लिए
T आकार के इस डिवाइस को यूट्रस या गर्भाश्य के अंदर प्लेस किया जाता है। यह डिवाइस 3, 5 या 10 साल तक प्रेग्नेंसी को रोक सकती है, जो उसके टाइप और जरूरत पर निर्भर करता है। बाकी बर्थ कंट्रोल के तरीकों में जहां ओव्यूलेशन की प्रक्रिया रुक जाती है, वहीं आईयूडी स्पर्म को यूट्रस और एग तक जाने से रोकती है। सामान्य कॉपर डिवाइस के फेल होने की दर सिर्फ 0.8% है।
- इस तरह की परेशानी हो सकती है: पेट में हल्का दर्द या असहजता महसूस हो सकती है, डिवाइस को अगर हाल ही में इंसर्ट किया गया है, तो वजाइना से हल्की स्पॉटिंग, व्हाइट डिस्चार्ज हो सकता है। अगर डिवाइस को हाइजीनिक तरीके से इंसर्ट न किया जाए, तो माइक्रोबायल इन्फेक्शन हो सकता है, कॉपर-टी को सही जगह पर न लगया जाए या फिर खुद से डिवाइस को रिमूव करने की कोशिश की जाए, तो प्रेग्नेंसी से बचाव में यह नाकाम हो सकती है।
- दो प्रकार की होती है IUD: हॉर्मोनल और कॉपर। हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस को माहवारी के दौरान हैवी ब्लीडिंग के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जबकि कॉपर को प्रेग्नेंसी रोकने के लिए।
इससे जुड़े कुछ मिथ भी हैं
- वजन बढ़ जाता है- ऐसा डिवाइस इंसर्ट करने की वजह से नहीं, हॉर्मोन्स में होने वाले बदलावों की वजह से हो सकता है।
- मिसप्लेस कॉपर टी शरीर में घूमती है: डिवाइस को सही तरीके से प्लेस न करने की वजह से या फिर गैर-अनुभवी द्वारा कराने पर होता है।
- इंफर्टिलिटी हो सकती है: यह गलत है, क्योंकि इसे रिमूव करवाने के बाद ही गर्भधारण हो सकता है।
- कैंसर होता है: ऐसा नहीं है, इसके कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।
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