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    Auto Brewery Syndrome: क्या है ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम, जिसमें खुद-ब-खुद अल्कोहल बनाने लगता है शरीर?

    Updated: Fri, 03 May 2024 05:34 PM (IST)

    शराब के सेवन के बाद होने वाले नशे के बारे में सभी ने सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर खुद से भी अल्कोहल बना सकता है और व्यक्ति बिना पिए भी नशे में धुत्त रह सकता है? जी हां दरअसल यह एक दुर्लभ बीमारी है जो किसी भी उम्र या लिंग के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    इस बीमारी में बिना पिए ही नशे में धुत्त रहने लगता है इंसान!

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Auto Brewery Syndrome: सेहत के लिए शराब कितनी नुकसानदायक होती है, यह किसी से छिपी बात नहीं है। आप ये भी जानते होंगे कि नशे की हालत में गाड़ी लेकर सड़क पर निकलने की भी मनाही है और सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों में इस मामले में जुर्माने से लेकर सजा का भी प्रावधान है।

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    इस बीच हाल ही में बेल्जियम में एक शख्स के ऊपर शराब पीकर गाड़ी चलाने का केस दर्ज हुआ, लेकिन मेडिकल जांच में पाया गया कि उसने शराब का सेवन ही नहीं किया था, बल्कि वह ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसमें इंसान के शरीर में अपने आप अल्कोहल बनने लगता है और व्यक्ति बिना पिए ही नशे में धुत रहने लगता है।

    जी हां, इस व्यक्ति के तीन मेडिकल टेस्ट भी हुए जिसमें एबीएस नाम की बीमारी की पुष्टि हुई। बता दें, कि कमजोर इम्युनिटी और आंत की बीमारी से जूझ रहे लोगों को इसका जोखिम ज्यादा रहता है। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि क्या है यह कंडीशन और कैसे दिखते हैं शरीर में इसके लक्षण।

    क्या है 'ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम'

    यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया का स्कूल ऑफ मेडिसिन 'ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम' को एक दुर्लभ बीमारी मानत है, जिसमें शरीर खुद ही अल्कोहल बनाने लगता है और व्यक्ति नशे में धुत्त रहने लगता है। इसे 'गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम' भी रहते हैं, जिससे पीड़ित व्यक्ति के जठराग्नियों में मौजूद एक किस्म की फंगी, कार्बोहाइड्रेट्स को माइक्रोबैक्टीरिया फर्मेंटेशन के माध्यम से अल्कोहल में तब्दील हो जाती है।

    बता दें, अभी इसका उपचार काफी मुश्किल ही है, क्योंकि इसके बारे में सीमित जानकारी ही उपलब्ध है। इस समस्या से जूझ रहा शख्स अगर थोड़ी मात्रा में भी शराब का सेवन कर लेता है, तो इससे गंभीर लक्षण देखने को मिल सकते हैं और लिवर समेत कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का भी जोखिम रहता है।

    पिछले कुछ सालों में इसके कुछ ही मामले सामने आए हैं और ताजा मामला बेल्जियम से देखने को मिला है, जहां 40 वर्षीय व्यक्ति एबीएस से पीड़ित पाया गया है। इस बीमारी के होने पर गट में ऐसे यीस्ट की संख्या बढ़ जाती है, जिससे शरीर में जाने वाला कार्ब एनर्जी सोर्स बनाने के बजाय अल्कोहल बनने लगता है।

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    किन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा?

    पहले से कमजोर इम्युनिटी, डायबिटीज, आंत की बीमारी या मोटापे से जूझ रहे लोगों को इसका खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही, ऐसे लोग जिन्हें फैमिली हिस्ट्री से ही एएलडीएच (एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज) या एडीएच (अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज) है और उन्हें इथेनॉल पचाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। ये दो पहलू ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

    क्या होते हैं ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम के लक्षण?

    • ब्लड में अल्कोहल का स्तर बढ़ जाना
    • बोलने में कठिनाई और जुबान का लड़खड़ाना
    • त्वचा लाल हो जाना
    • सूजन, पेट फूलना और दस्त जैसी समस्याएं
    • लगातार बना हुआ सिरदर्द
    • मतली और उल्टी
    • डिहाइड्रेशन और मुंह सूखना
    • लगातार थकान रहना
    • याददाश्त में कमी
    • मूड स्विंग होना

    गंभीर मामलों में दिखते हैं ये लक्षण

    इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने सीनियर कंसलटेंट-गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉ. महेश कुमार गुप्ता से बातचीत की। आइए जानें।

    डॉ. महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसे 'गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम' भी रहते हैं। उन्होंने बताया कि पीड़ित व्यक्ति के जठराग्नियों में मौजूद एक किस्म की फंगी, कार्बोहाइड्रेट्स को माइक्रोबैक्टीरिया फर्मेंटेशन के माध्यम से अल्कोहल में बदल जाती है। ऐसे में भले ही आपने शराब न पी हो, लेकिन आपको चक्कर आना, सिर घूमना और नशे से जुड़े अन्य लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

    ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम का इलाज

    ऑटो ब्रीवरी सिंड्रोम से ग्रसित मरीज को कार्बोहाइड्रेट में कटौती करने की सलाह दी जाती है। इस स्थिति में डॉक्टर कुछ प्रोबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाएं दे सकते हैं। बता दें, लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव जैसे एक्सरसाइज और स्ट्रेस में कमी से सेहत में सुधार दिख सकता है। इस असामान्य बीमारी को मैनेज करने के लिए गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का इलाज करने और इसके लक्षणों की वक्त रहते पहचान और उपचार जरूरी है, इसके लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत होती है।

    बता दें, ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम की जांच करने के लिए कोई खास टेस्ट नहीं है। इसके लक्षण पाए जाने पर आंतों में यीस्ट की जांच की सलाह दी जाती है। ध्यान रखें, कि इस बीमारी में अगर मरीज थोड़ा भी शराब का सेवन कर ले, तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है। बता दें, फंगस को बैलेंस करके ही इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

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    Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik