Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोटापा रोकने के लिए नई दवाएं 'चमत्कारी इलाज’ नहीं, वेट लॉस के लिए जीवनशैली में बदलाव भी है जरूरी

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 08:16 AM (IST)

    मोटापा 21वीं सदी की एक बड़ी चुनौती है, जो विश्व स्तर पर एक अरब से ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है। 1990 से 2022 के बीच इसके मामले दोगुने हो गए हैं। हालांकि, ऐसे में कई लोग मोटापे की दवा को चमत्कारी इलाज मान बैठे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स का कुछ और ही कहना है। आइए जानें इस बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं। 

    Hero Image

    सिर्फ दवाओं से कम किया जा सकता है मोटापा? (Picture Courtesy: Freepik)

    प्रेट्र, पेरिस। इक्कीसवीं सदी में मोटापा सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभरा है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से कई जटिलताएं पैदा करता है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 1990 से 2022 के बीच मोटापे का वैश्विक प्रसार दोगुना हो गया और अब यह दुनिया भर में 88 करोड़ वयस्क और 16 करोड़ बच्चों सहित एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित कर रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाल में विकसित नई दवाएं ग्लूकागन लाइक पेप्टाइड 1 (जीएलपी - 1) एनालाग्स- चिकित्सकों के लिए नई उम्मीदें लेकर आई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल इन दवाओं के भरोसे मोटापे पर काबू नहीं पाया जा सकता। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अधिक वजन और मोटापा शरीर में असामान्य या अत्यधिक वसा संचय है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

    25 से अधिक बाडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को अधिक वजन और 30 से अधिक को मोटापा माना जाता है। अब तक मोटापे के इलाज में जीवनशैली सुधार, संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि, मनोवैज्ञानिक सहयोग और जटिलताओं की रोकथाम मुख्य उपाय रहे हैं। गंभीर मामलों में बेरिएट्रिक सर्जरी भी विकल्प रही है।

    Healthy Weight Loss (Envato)

    (Picture Courtesy: Freepik)

    मोटापे की ये दवाएं हैं कारगर 

    मोटापे की पुरानी दवाओं जैसे डेक्सफेनफ्लुरामीन (आइसोमेराइड) और बेनफ्लुओरेक्स (मेडिएटर) को हृदय और फेफड़ों पर गंभीर दुष्प्रभावों के कारण बाजार से हटा लिया गया था। अब चिकित्सकों के पास नई श्रेणी की दवाएं हैं जीएलपी - 1 एनालाग्स, जो इंसुलिन स्राव को बढ़ाकर ब्लड शुगर नियंत्रण में मदद करती हैं, भूख कम करती हैं और पेट खाली होने कौ धीमा करती हैं।

    इनमें लिराग्लूटाइड (ब्रांड नाम सैक्सेंडा, विक्टोजा), सेमाग्लूटाइड (वेगोवी, ओजेम्पिक) और टिरजेपाटाइड (माउंजारो) शामिल हैं। हफ्ते में एक बार इंजेक्शन के रूप में दी जाने वाली ये दवाएं टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में पहले से उपयोग की जाती हैं। कई बड़े क्लिनिकल परीक्षणों में पाया गया कि जब इन दवाओं का उपयोग नियंत्रित आहार और शारीरिक गतिविधि के साथ किया गया, तो वजन में उल्लेखनीय कमी आई। साथ ही हृदय और मेटाबोलिज्म संबंधी मानकों में भी सुधार देखा गया।

    कई रासायनिक पदार्थों को मोटापा बढ़ाने वाला माना गया 

    शोध से स्पष्ट है कि मोटापा केवल कैलोरी सेवन और खर्च के असंतुलन का परिणाम नहीं है। इसके पीछे आनुवंशिक, हार्मोनल, औषधीय, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारण भी होते हैं। पर्यावरण में मौजूद कई रासायनिक पदार्थों को 'ओबेसोर्जेनिक' यानी मोटापा बढ़ाने वाला माना गया है, जो हार्मोन संतुलन बिगाड़ सकते हैं, आंतों के सूक्ष्मजीव तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और जीन स्तर पर बदलाव ला सकते हैं। कई बार इन प्रभावों के परिणाम वर्षों बाद या अगली पीढ़ियों में दिखाई देते हैं।

    मोटापे को पूरी तरह से 'ठीक' नहीं कर सकतीं ये दवाएं 

    अध्ययनों के अनुसार, जीएलपी- 1 एनालाग्स मोटापे को 'ठीक' नहीं कर सकते, वे केवल वजन घटाने में सहायक हैं। उदाहरण के लिए, एसटीईपी3 अध्ययन में सेमाग्लूटाइड लेने वाले प्रतिभागियों का वजन 68 सप्ताह में औसतन 15 प्रतिशत कम हुआ, जबकि प्लेसीबो समूह में यह केवल पांच प्रतिशत था।

    हालांकि यह सुधार महत्वपूर्ण है, फिर भी मरीज मोटापे की श्रेणी में बने रहते हैं। साथ ही, लंबे समय तक उपचार जारी रखना और व दुष्प्रभाव (जैसे मांसपेशियों में कमी या वजन वापस बढ़ना) चिंताएं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएलपी - 1 दवाएं केवल रोग विकसित होने के बाद इस्तेमाल की जाती हैं यानी यह उपचारात्मक दृष्टिकोण है, न कि निवारक। 

    यह भी पढ़ें- क्या होगा अगर रोज सुबह खाली पेट खाएंगे पपीता, सेहत में दिखाई देंगे कई हैरतअंगेज बदलाव

    यह भी पढ़ें- रोजाना सुबह के समय करें धनुरासन, शरीर को मिलेंगे 9 कमाल के फायदे