World Heart Day 2023: किन वजहों से होती है दिल में छेद की समस्या, जानें लक्षणों के साथ इलाज के बारे में
World Heart Day 2023 जन्म के साथ होने वाली कई सारी बीमारियों में से एक दिल में छेद भी है। दिल में छेद होने की समस्या में सही समय पर इलाज न करवाना जानलेवा हो सकता है। नवजात बच्चों में इसके लक्षणों की पहचान कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Heart Day 2023: हृदय में छेद यानी वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट एक गंभीर बीमारी है, जिसे कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी ज्यादातर जन्मजात होती है। दिल में छेद होने की वजह से नवजात बच्चे के शरीर की ग्रोथ सही तरह से नहीं हो पाती है। हालांकि नवजात शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में बिल्कुल नजर नहीं आते हैं। जिस वजह से समय रहते इसका पता ही नहीं लग पाता और इलाज न मिलने की वजह से बच्चे की जान भी जा सकती है।
डॉ. मनोज डागा, बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च सेंटर, कोलकाता के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक कहते हैं, “प्रत्येक हजार में से 2 से 6 मनुष्यों में वीएसडी होता है। दिल में छेद होने का मतलब है हार्ट के बीच वाले वॉल में छेद होना। जिसकी वजह से ब्लड एक चैम्बर से दूसरे चैम्बर में खुद से लीक होने लगता है। इससे बच्चों के फेफड़ों पर असर पड़ता है। जिन बच्चों में ये होल बड़ा होता है, उनके फेफड़े छोटी उम्र में ही डैमेज हो जाते हैं।'
दिल में छेद के लक्षण
ऐसे बच्चों में जन्म के बाद सांस फूलना, फेफड़ों में बार-बार इन्फेक्शन होना, शरीर का तापमान ज्यादा रहना, पसीना ज़्यादा आना, वज़न न बढ़ना, बार-बार सर्दी, कफ़, निमोनिया जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
दिल में छेद का इलाज
डॉ. मनोज डागा ने बताया कि, 'इस बीमारी का इलाज दो तरह से किया जा सकता है। या तो क्लोज़्ड टेक्निक से या फिर ओपन हार्ट सर्जरी से। दोनों में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है ये बच्चे के दिल में छेद की साइज़ के जांच के बाद डिसाइड किया जाता है। छेद को तीन भागों में विभाजित किया जाता है, छोटे, मध्यम और बड़ा। बड़ा दिल का छेद ही बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है, तो अगर बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है और बार-बार खांसी, सर्दी-जुकाम का शिकार हो रहा है, तो तो डॉक्टर तुरंतर सर्जरी की सलाह देते हैं। ओपन हार्ट सर्जरी में बच्चे के दिल की धड़कन को रोककर चेस्ट ओपन कर दिल में मौजूद छेद को बंद किया जाता है। वहीं क्लोज्ड़ टेक्निक में बच्चे के हाथ या पैरों की नसों में एक यंत्र को डालकर हार्ट तक पहुंचाया जाता है और उससे छेद को बंद किया जाता है। इलाज के दोनों ही ऑप्शन में पेशेंट के ठीक होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, लेकिन इससे लिए सबसे ज्यादा जो जरूरी चीज है वो है सही समय पर इस बीमारी का पता लगना।'
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