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    ध्यान भंग के बाद फिर ऐसे केंद्रित होता है मन, वैज्ञानिकों ने सुलझाया दिमाग का यह रहस्य

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 09:29 AM (IST)

    एक नए अध्ययन के अनुसार, जब व्यक्ति का कॉन्सनट्रेशन टूट जाता है, तो दिमाग फिर से कैसे काम पर फोकस करता है, इस बारे में पता लगाया गया है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने बंदरों पर किए गए अध्ययन में पाया कि कुछ खास तरंगें दिमाग को सही गणनात्मक पथ पर वापस लाती हैं और फिर से फोकस करने में मदद करती हैं। 

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    एक काम पर दोबारा कैसे फोकस करता है दिमाग? (Picture Courtesy: Freepik)

    प्रेट्र,नई दिल्ली। पढ़ाई-लिखाई या कोई अन्य मानसिक करते व्यक्ति को यह बात अक्सर कहते सुना जाता रहा है कि तंग या परेशान (डिस्टर्ब) मत करो.... ध्यान केंद्रित (माइंड कांसन्ट्रेट) करने में कठिनाई हो रही है। काम नहीं हो पा रहा है। मतलब, ध्यान भंग हो रहा।

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    लेकिन, इसके साथ ही अब यह जानना दिलचस्प होगा कि एक बार ध्यान भंग होने के बाद यह फिर से कैसे केंद्रित होता और काम पूरा कर लिया जाता है। एक हालिया अध्ययन में मस्तिष्क की इस प्रक्रिया विश्लेषण किया गया है। 

    इसमें बताया गया है कि सिर के प्रीफ्रंटल कार्टेक्स में न्यूरानों द्वारा समन्वित घूमने वाली (रोटेटिंग) तरंगें होती हैं, जो ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं और व्यक्ति के ध्यान भंग होने के बाद कार्य पर वापस लौटने में सहायता करती हैं।

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    (Picture Courtesy: AI Generated Image

    अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने बंदरों के प्रीफ्रंटल कार्टेक्स में विद्युतीय गतिविधि का विश्लेषण किया, जो उच्च स्तर के कार्यों में मदद करने के लिए जाना जाता है, जिसमें ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है।

    जर्नल आफ काग्निटिव न्यूरोसाइंस में प्रकाशित निष्कर्षों में मस्तिष्क में एक रोटेटिंग तरंग का उल्लेख किया गया है, जो कार्टेक्स में न्यूरानों द्वारा अत्यधिक समन्वित होती है, ताकि व्यक्ति के विचार प्रक्रियाएं फिर से सही दिशा में लौट सकें। एमआइटी के द पिकॉवर इंस्टीट्यूट और ब्रेन एंड काग्निटिव साइंसेज विभाग के प्रोफेसर अर्ल के. मिलर के मुताबिक, रोटेटिंग तरंगें उन चरवाहों की तरह कार्य करती हैं, जो कार्टेक्स को सही गणनात्मक पथ पर वापस ले जाती हैं। यह रोटेशन बंदरों की गतिविधि की स्थिति की वसूली का प्रतिनिधित्व करता है, जो ध्यान भंग के बाद होती है।

    शोधकर्ताओं ने बताया कि बंदरों को एक दृश्य कार्य करने के लिए कहा गया, लेकिन कभी-कभी उन्हें दो प्रकार के ध्यान भंग का सामना करना पड़ा जब वे एक वस्तु को याद रखने की कोशिश कर रहे थे। ध्यान भंग ने जानवरों के प्रदर्शन को प्रभावित किया, जिससे या तो गलतियां हुईं या उन्हें निर्धारित कार्य पर कार्य करने में धीमी प्रतिक्रिया समय का सामना करना पड़ा। जहां जानवरों ने ध्यान भंग के दौरान कोई गलती नहीं की, वहां शोधकर्ताओं ने “एक पूर्ण वृत्त (फुल सर्किल) देखा, जो दर्शाता है कि रिकवरी पूरी हो गई थी।

    जहां गलतियां हुईं, वहां रोटेटिंग मस्तिष्क तरंग का मार्ग औसतन 30 डिग्री के कोण से पूर्ण वृत्त (सर्किल) बनाने में विफल रहा। गलती करने के दौरान तरंग की गति भी धीमी थी, जो ध्यान भंग से रिकवरी की कमी को स्पष्ट कर सकती है।

    इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि ध्यान भंग के प्रारंभ और व्यक्ति के कार्य पर वापस लौटने की आवश्यकता महसूस करने के बीच अधिक समय बीतता है, तो इसकी रिकवरी बेहतर होती है। मस्तिष्क को गणितीय रूप से फुल सर्किल बनाने और व्यावहारिक रूप से सही दिशा में लौटने के लिए उस समय की आवश्यकता होती है।

    अध्ययन के लेखकों का कहना है कि कार्टिकल गतिविधि ध्यान भंग से रिकवरी की क्षमता को दर्शाती है। अध्ययन में बंदरों के प्रीफ्रंटल कार्टेक्स से न्यूरल गतिविधि का विश्लेषण किया गया, जिसमें कार्यशील मेमोरी कार्य कर रहे थे और मध्य - मेमोरी देरी के ध्यान भंग होने जैसी प्रक्रियाएं शामिल थीं। जब कार्य सही ढंग से किया गया तो रोटेशन अधिक पूर्ण थे, जबकि जब गलतियां हुईं तो ऐसा नहीं था।