Sudden Cardiac Arrest: इन वजहों से महिलाओं में बढ़ जाता है सडन कार्डिएक अरेस्ट का खतरा, न करें इन्हें इग्नोर
Sudden Cardiac Arrest पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कार्डियक अरेस्ट का खतरा ज्यादा रहता है। हाइपरटेंशन मेनोपॉज़ डायबिटीज जैसी समस्याएं सडन कार्डियक अरेस्ट के खतरे को और ज्यादा बढ़ा सकती हैं। तो इन्हें हल्के में लेने की गलती न करें।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sudden Cardiac Arrest: सडन कार्डियक अरेस्ट (यानी हार्ट बीट का अचानक रुक जाना) दुनियाभर के लोगों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है। अब हर उम्र के लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं, चाहे उनका बैकग्राउंड या रिकॉर्ड्स कुछ भी हो। अनहेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल इसमें सबसे बड़ा रोल निभा रहा है। ग्लोबल रिसर्च पर गौर करें तो, सडन कार्डियक अरेस्ट के लगभग 40% मामले महिलाओं से जुड़े देखे जा सकते हैं और उनके लक्षण भी काफी अलग हैं। यही वजह है कि इस बीमारी से जुड़े खतरों और संकेतों को समझना महिलाओं के लिए और भी ज्यादा जरूरी है।
सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है?
सडन कार्डियक अरेस्ट वह स्थिति है, जिसमें दिल धड़कना बंद कर देता और ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। जिसकी वजह से दिल के लिए ब्लड को पम्प करना मुश्किल हो जाता है। इससे मरीज को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। अक्सर ऐसी स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है और समय पर इलाज न मिलने की वजह से मौत भी हो जाती है।
महिलाओं के लिए यह समझना जरूरी है कि हाइपरटेंशन, मेनोपॉज़, डायबिटीज जैसी समस्याएं सडन कार्डियक अरेस्ट के खतरे को और ज्यादा बढ़ा सकती हैं। तो इन समस्याओं को हल्के में लेने की गलती न करें। अगर आपको इनमें से कोई भी बीमारी है तो आपको और ज्यादा सजग रखने के साथ केयर की जरूरत है।
सडन कार्डिएक अरेस्ट की वजहें क्या है?
1. मेनोपॉज़
मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) महिलाओं के जीवन की एक अवस्था है, जिसमें कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। यह महिलाओं के लिए एक मुश्किल वक्त हो सकता है। कई ग्लोबल स्टडीज में पाया गया है कि मेनोपॉज़ की अवस्था और बढ़ी हुई कोरोनरी हार्ट डिजीज में गहरा कनेक्शन है, जिसमें कार्डियक अरेस्ट भी शामिल है। मेनोपॉज़ के दौरान और बाद में महिलाएं कई ऐसे लक्षणों का अनुभव करती हैं, जो सडन कार्डियक अरेस्ट के खतरे को बढ़ाने का काम करते हैं। इनमें से कुछ लक्षण हैं बहुत ज्यादा स्ट्रेस, नींद पूरी ना होना और वजन बढ़ना।
2. पीसीओडी
पीसीओडी (PCOD) वाली कई महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, जिससे शरीर में इंसुलिन जमा हो सकता है जिससे ब्लड ग्लूकोज के नॉर्मल लेवल को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। रिसर्च के अनुसार, पीसीओएस से पीड़ित 35 प्रतिशत महिलाओं को प्री-डायबिटीज होता है और 10 प्रतिशत को 40 साल की उम्र तक डायबिटीज हो जाता है। इसके अलावा, एंड्रोजेन के बढ़े हुए लेवल्स भी डायबिटीज का जोखिम बढ़ाते हैं। इस ज्यादा इंसुलिन की वजह से अक्सर वजन बढ़ जाता है और “गुड कोलेस्ट्रॉल’’ कम हो सकता है। यह सभी मिलकर हार्ट प्रॉब्लम्स के खतरे को बढ़ाते हैं। लेकिन लाइफस्टाइल में जरूरी बदलावों से इसके खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
3. डायबिटीज और गर्भावस्था (जेस्टेशनल डायबिटीज)
डायबिटीज के चलते भी महिलाओं में कार्डियक अरेस्ट के बहुत ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। जिसमें से एक वजह जेस्टेशनल डायबिटीज भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ग्लोबल स्टडीज बताती हैं कि जेस्टेशनल डायबिटीज कैसे फ्यूचर में हार्ट प्रॉब्लम्स की वजह बन सकता है। एनालिसिस के बाद रिसर्चर्स ने पाया है कि जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार महिलाओं को हार्ट अटैक और सडन कार्डियक अरेस्ट का खतरा आम महिलाओं की तुलना में 43% ज्यादा हो जाता है।
4. हाइपरटेंशन
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन से भी कार्डियक अरेस्ट का खतरा काफी बढ़ जाता है खासकर महिलाओं में। सामान्य हाइपरटेंशन के मरीजों में अचानक मौत का जोखिम 3 गुना ज्यादा होता है।
5. तनाव
महिलाओं में तनाव का स्तर पुरूषों से लगभग 50% ज्यादा होता है। अगर आप बहुत ज्यादा तनाव या चिंता से जूझ रही हैं जिसकी वजह से नींद नहीं आ रही, खाने का दिल नहीं कर रहा, तो तुरंत इसके उपायों पर ध्यान दें। जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल गाइडेंस लेने में बिल्कुल न हिचकिचाएं।
(डॉ रिचा शर्मा, डीएम (कार्डियोलॉजी) एवं इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एसएमआइ हॉस्पिटल, देहरादून से बातचीत पर आधारित)
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