इस रंग के फल में छुपा है सेहत का राज, रोजाना खाने से दूर होगा Depression
ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर संतरा सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। इसे अपनी डाइट में शामिल करने से कई तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। अब हाल ही में इसे लेकर एक स्टडी सामने आई है जिसमें यह पता चला कि रोजाना एक संतरा खाने से डिप्रेशन का खतरा कम होता है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। फल हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इन्हें डाइट में शामिल करने से कई सारी समस्याओं से राहत मिलती हैं। यही वजह है कि लोग अपनी पसंद के मुताबिक डाइट में अलग-अलग फल शामिल करते हैं। संतरा इन्हीं फलों में से एक है, जो विटामिन-सी का बढ़िया सोर्स माना जाता है। अब हाल ही में इसे लेकर एक स्टडी सामने आई है। आइए जानते हैं इस ताजा अध्ययन के बारे में-
क्या कहती है स्टडी?
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन के मुताबिक रोजाना एक संतरा खाने से व्यक्ति में डिप्रेशन का खतरा 20% तक कम हो सकता है। यह स्टडी माइक्रोबायोम में प्रकाशित की गई है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिकल इंस्ट्रक्टर और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के डॉ राज मेहता के नेतृत्व में हुए अध्ययन में पाया गया कि संतरे में सिट्रस गट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के विकास को बढ़वा देता है, जो मूड बेहतर करने वाले दो ब्रेन केमिकल सेरोटोनिन और डोपामाइन के प्रोडक्शन को प्रभावित करता है।
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महिलाओं पर किया गया अध्ययन
इस स्टडी में 100,000 से ज्यादा महिलाओं के डेटा को देख गया, जिसमें उन्होंने अपनी डाइट और हेल्थ के बारे में पूरी जानकारी दी थी। खास बात यह थी कि इस शोध में सिर्फ खट्टे फलों से डिप्रेशन के कम होने का संबंध पाया गया, सेब और केले जैसे अन्य फलों से खाने से ऐसा कोई संबंध सामने नहीं आया। ऐसा क्यों होता है, रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में इसका भी पता लगाया।
ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि सिट्रस गट में पाए जाने वाले एक प्रकार के बैक्टीरिया, फेकैलिबैक्टेरियम प्रुस्निट्जी (एफ. प्रुस्निट्जी) के विकास को बढ़वा देता है। इससे न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और डोपामाइन का प्रोडक्शन प्रभावित होता है, जो मूड बेहतर करने वाले दो बायोलॉजिकल मॉलीक्यूल है।
मूड-बूस्टर है ऑरेंज
अध्ययन करने वाले डॉक्टर राज मेहता के मुताबिक रोजाना एक संतरा खाने डिप्रेशन को मैनेज करने में मदद मिलती है। हालांकि, इसके लिए पहले से चल रही एंटी-डिप्रेसेंट मेडिसिन की भी जरूरत पड़ेगी। भविष्य में, खट्टे फल खाना शायद डिप्रेशन मैनेजमेंट की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें ये ट्रेडिशनल फार्मास्यूटिकल्स भी शामिल हैं, लेकिन इससे पहले कि हम यह निष्कर्ष निकाल सकें, उसके लिए अभी और शोध की जरूरत पड़ेगी।
Source
- Microbiome Journal: https://microbiomejournal.biomedcentral.com/articles/10.1186/s40168-024-01961-3
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