लाइफस्टाइल के ये छोटे-छोटे बदलाव, दिमाग को रखेंगे ताउम्र तेज; डिमेंशिया का रिस्क भी होगा कम
उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कमजोर होना सोचने-समझने की क्षमता कम होना आम समस्या है। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ छोटे-छोटे बदलावों (Lifestyle Changes for Healthy Brain) की मदद से आप इस परेशानी से बच सकते हैं। जी हां एक स्टडी में पाया गया है कि लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके आप अपने दिमाग को हेल्दी रख सकते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कमजोर होना एक आम समस्या मानी जाती है। लेकिन हाल ही में हुई एक बड़ी स्टडी से पता चला है कि हेल्दी लाइफस्टाइल (Lifestyle Changes for Sharp Brain) अपनाकर इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है। जी हां, लाइफस्टाइल में कुछ सुधार करके आप अपने दिमाग को उम्र बढ़ने के साथ भी जवां रख सकते हैं। आइए जानें क्या हैं वो बदलाव।
इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने 60-70 साल के 2,100 से ज्यादा वयस्कों पर दो साल तक अध्ययन किया और पाया कि नियमित फिजिकल एक्टिविटी, बैलेंस डाइट, मेंटल एक्सरसाइज और सोशल एक्टिविटी जैसे छोटे-छोटे बदलावों (Lifestyle Changes for Sharp Memory) से उनकी याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में सुधार हुआ।
फिजिकल एक्टिविटी
स्टडी के अनुसार, नियमित एक्सरसाइज न केवल शरीर, बल्कि दिमाग के लिए भी बेहद लाभदायक है। रोजाना 30-45 मिनट की वॉक, योग, या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाती है, जिससे नए सेल्स का निर्माण होता है और याददाश्त तेज रहती है। स्टडी में शामिल जिन प्रतिभागियों ने फिजिकली एक्टिव जीवन जिया, उनमें मानसिक गिरावट की दर काफी धीमी पाई गई।
यह भी पढ़ें- बांह पतली, कमर पर चर्बी, तो समझें जा रही है याददाश्त; AIIMS की स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बात
हेल्दी डाइट
डाइट का सीधा संबंध दिमागी सेहत से होता है। मछली, अखरोट, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्लूबेरी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड्स दिमाग के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने मेडिटीरेनियन डाइट या डैश डाइट को अपनाया, उनकी सीखने-समझने की क्षमता में सुधार हुआ। वहीं, ज्यादा तला-भुना, शुगर वाले और प्रोसेस्ड फूड दिमाग के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
मेंटल एक्सरसाइज
सिर्फ फिजिकल ही नहीं, बल्कि मेंटल एक्सरसाइज भी याददाश्त बनाए रखने में मददगार है। पजल सॉल्व करना, नई भाषा सीखना, म्यूजिक सीखना, पढ़ने की आदत या मेमोरी गेम्स खेलने से दिमाग एक्टिव रहता है। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों ने नियमित रूप से ब्रेन ट्रेनिंग एक्टिविटीज कीं, जिससे उनकी याददाश्त और फोकस में सुधार देखा गया।
सोशल एक्टिविटी
अकेलापन और सोशल आइसोलेशन उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण हो सकता है। दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, सोशल एक्टिविटीज में भाग लेना और नए लोगों से मिलना दिमाग को स्वस्थ रखता है। स्टडी में पाया गया कि जो लोग सामाजिक रूप से एक्टिव थे, उनमें डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा कम था।
नियमित हेल्थ चेकअप
दिल की सेहत और दिमाग की सेहत आपस में जुड़े हुए हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं दिमाग तक ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे याददाश्त कमजोर होती है। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों ने नियमित रूप से अपने दिल स्वास्थ्य की जांच करवाई और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाया, जिससे उनकी कॉग्निटिव एबिलिटी में सुधार हुआ।
यह भी पढ़ें- सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, दिमाग को भी नुकसान पहुंचा रहा है वायु प्रदूषण; डिमेंशिया का बढ़ाता है खतरा
Source:
JAMA Network: https://jamanetwork.com/journals/jama/fullarticle/2837046
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।