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    भारत में सुपरबग का संकट, 83% मरीजों में मिले मल्टीड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया; इससे आप कैसे करें बचाव

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 11:14 AM (IST)

    मामूली सर्दी-जुकाम या छोटा-मोटा इन्फेक्शन होने पर आपने भी केमिस्ट से एंटीबायोटिक्स ली होंगी, लेकिन इसका नुकसान कितना खतरनाक हो सकता है यह एक स्टडी में पता चला है। दरअसल, स्टडी के मुताबिक 83% भारतीयों में मरीज में सुपरबग (Superbug) पाया गया है, यानी ऐसे बैक्टीरिया जिनपर एंटीबायोटिक्स काम ही नहीं करते। आइए जानें इस बारे में। 

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    क्या आप भी बिना डॉक्टर से पूछे लेते हैं दवाएं? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में Lancet eClinical Medicine में प्रकाशित एक स्टडी ने भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। इस स्टडी के मुताबिक, भारतीय मरीजों में 83% तक मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म (MDROs) पाए गए है। हैरान करने वाली बात है कि यह दुनिया के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से एक है। 

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    यह कंडीशन बताती है कि सुपरबग (Superbug) का संकट अब अस्पतालों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह काफी गहराई तक फैल चुका है। आइए जानें क्यों लोगों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance) बढ़ रहा है और इससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं। 

    भारत में स्थिति सबसे गंभीर क्यों?

    चार देशों, भारत, इटली, अमेरिका और नीदरलैंड में 1,200 से ज्यादा मरीजों पर की गई इस स्टडी में पाया गया कि भारत में MDROs के मामले सबसे ज्यादा है। यह आंकड़े कुछ ऐसे दिखे-

    • भारत- 83%
    • इटली- 31.5%
    • अमेरिका- 20.1%
    • नीदरलैंड- 10.8%

    भारतीय मरीजों में खासतौर पर 70.2% ESBL-प्रोड्यूसिंग बैक्टीरिया और 23.5% कार्बापेनेम-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया मिले, जो सबसे ताकतवर “लास्ट-रिजॉर्ट” एंटीबायोटिक्स को भी बेअसर कर देते हैं।

    इस स्टडी से पता लगता है कि यह समस्या मरीज की मेडिकल हिस्ट्री से नहीं जुड़ी है, बल्कि पूरे समाज में एंटीबायोटिक्स के गलत इस्तेमाल से जुड़ी है। 80% से ज्यादा मरीजों में रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पाया जाना काफी गंभीर मुद्दा है, जिसे देखते हुए एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। 

    रेजिस्टेंस बढ़ने की वजहें क्या है?

    • भारत में बिना डॉक्टर की पर्ची के एंटीबायोटिक्स लेना आम है, जिससे बैक्टीरिया दवा के प्रति और मजबूत हो जाते हैं।
    • लोग लक्षण दिखते ही एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर देते हैं, भले ही बीमारी वायरल हो। 
    • एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा न करने से बैक्टीरिया और ज्यादा रेजिस्टेंट बनाता है।
    • जानवरों और खेतों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भी रेजिस्टेंस को बढ़ाता है।

    इसका असर कितना गंभीर है?

    रेजिस्टेंस बढ़ने से इलाज न सिर्फ कठिन होता है बल्कि खर्च और जोखिम भी बढ़ जाते हैं। इसे यूं समझिए कि एक सामान्य मरीज जहां 3 दिनों में ठीक होने में पैसे खर्च करता है, वहीं MDR मरीज को ICU, हाई-एंड दवाओं और लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ती है, जिससे खर्च ज्यादा बढ़ जाताहै।

    कैसे बचें सुपरबग से?

    • बिना डॉक्टर के एंटीबायोटिक न लें।
    • सेल्फ-मेडिकेशन और बची हुई गोलियों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
    • वायरल बीमारियों, जैसे- सर्दी, खांसी, बुखार में एंटीबायोटिक की मांग न करें।
    • एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स पूरा करें।
    • साफ-सफाई रखें, जैसे- हाथ धोना, साफ पानी, सुरक्षित भोजन।
    • वैक्सीन समय पर लगवाएं।
    • साथ ही, पालतू जानवरों में भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सिर्फ वेटरनरी डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।